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Rajni Vijay singla
White मां से बड़ा गुरु कोई हो ही नहीं सकता मां का अंदाज, अल्फाज, आवाज, हर बात, जज्बात, साथ लम्हात , जगती आंखों से देखे सपने, मां की दुआएं करती अपने नित पाठ, नया गीत ,नया संगीत नई शिक्षा दीक्षा हे मातेश्वरी गुरु! तुम्हें मेरा लाखों सादर प्रणाम ©Rajni Vijay singla #teachers_day #गुरुदेव_रवींद्र_नाथ_टैगोर_जयंती # मेरी #मां मेरी गुरु Hinduism Aaj Ka Panchang bhakti geet
#teachers_day #गुरुदेव_रवींद्र_नाथ_टैगोर_जयंती # मेरी #मां मेरी गुरु Hinduism Aaj Ka Panchang bhakti geet #Bhakti
read moreAmreen Jilani
🇮🇳जयहिन्द🇮🇳 महान कवि,साहित्यकार, तत्वज्ञानी, गीतकार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित #गुरुदेव_रवींद्र_नाथ_टैगोर_जयंती 🇮🇳🙏🇮🇳 रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और मां का नाम शारदा देवी था। स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में पूरी करने के बाद बैरिस्टर बनने के सपने के साथ 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में एक पब्लिक स्कूल में दाख़िला लिया। उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से क़ानून की पढ़ाई की लेकिन 1880 में बिना डिग्री लिए भारत लौट आए। रविंद्रनाथ टैगोर मानवता को राष्ट्रवाद से ऊंचे स्थान पर रखते थे। गुरुदेव ने कहा था, "जब तक मैं जिंदा हूं मानवता के ऊपर देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा।" टैगोर गांधी जी का बहुत सम्मान करते थे। लेकिन वे उनसे राष्ट्रीयता, देशभक्ति, सांस्कृतिक विचारों की अदला बदली, तर्कशक्ति जैसे विषयों पर अलग राय रखते थे। हर विषय में टैगोर का क्ष का राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएं हैं। 🇮🇳🙏🇮🇳 ~~~ फिरदौस फातिमा इंचार्ज प्रधान अध्यापिका अल्लीपुर जिजमान । #BuddhaPurnima
Amreen Jilani
🇮🇳जयहिन्द🇮🇳 महान कवि,साहित्यकार, तत्वज्ञानी, गीतकार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित #गुरुदेव_रवींद्र_नाथ_टैगोर_जयंती 🇮🇳🙏🇮🇳 रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और मां का नाम शारदा देवी था। स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में पूरी करने के बाद बैरिस्टर बनने के सपने के साथ 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में एक पब्लिक स्कूल में दाख़िला - रविंद्रनाथ टैगोर मानवता को राष्ट्रवाद से ऊंचे स्थान पर रखते थे। गुरुदेव ने कहा था, "जब तक मैं जिंदा हूं मानवता के ऊपर देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा।" टैगोर गांधी जी का बहुत सम्मान करते थे। लेकिन वे उनसे राष्ट्रीयता, देशभक्ति, सांस्कृतिक विचारों की अदला बदली, तर्कशक्ति जैसे विषयों पर अलग राय रखते थे। हर विषय में टैगोर का दृष्टिकोण परंपरावादी कम और तर्कसंगत ज़्यादा हुआ करता था, जिसका संबंध विश्व कल्याण से होता था। टैगोर ने ही गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी। गुरुदेव ने बांग्ला साहित्य के ज़रिये भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान डाली। वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन और बांग्लादेश का राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएं हैं। 🇮🇳🙏🇮🇳 ~~~ अमरीन जिलानी के जी बी वी तिगाई खतौली #BuddhaPurnima
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