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Dhun
#jaishreekrishna कृष्ण - इष्ट, ग्रंथ, श्लोक, प्रेम, या कामना नहीं हो सकते, महावीर, बुद्ध की तरह कृष्ण एक विचार धारा है, जो कर्म के प्रति चेतना जगाती है, विपदाओं और क्रोध के विषादो से मनुष्य को दूर रहने का मार्ग प्रशस्त करती है, वाणी और व्यवहार के प्रति सजग और समर्पित होने का भाव उपजाती है। गीता के उपदेश किसी धार्मिक भावना को नहीं अपितु मनुष्यता की दीप शिखा प्रज्वलित करते हैं। मन की जिज्ञासा शांत करते हैं। #nojohindi #nojofamily
read moreKamlesh Kandpal
शिशुपन में ही देना उसको गीता का अमृत ज्ञान जिससे जीवन के दुष्कर पथ पर भी करे वह लक्ष्य संधान ©Kamlesh Kandpal #GitaGyan
MAMTA.K
मम योनिर्महद्ब्रह्म तस्मिन्गर्भं दधाम्यहम् । सम्भवः सर्वभूतानां ततो भवति भारत ॥ 14.3 ▶️ हे भरतवंशी! मेरी यह आठ तत्वों वाली जड़ प्रकृति (जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार) ही समस्त वस्तुओं को उत्पन्न करने वाली योनि (माता) है और मैं ही ब्रह्म (आत्मा) रूप में चेतन-रूपी बीज को स्थापित करता हूँ, इस जड़-चेतन के संयोग से ही सभी चर-अचर प्राणीयों का जन्म सम्भव होता है। (३) ©MAMTA.K #GitaGyan #krishnalove #krishna_flute #suvicharmk #krishana #krishnaquotes #thought
MAMTA.K
अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्त्वज्ञानार्थदर्शनम् । एतज्ज्ञानमिति प्रोक्त मज्ञानं यदतोऽन्यथा ॥१३-११॥ ➡️अध्यात्म ज्ञान में (जिस ज्ञान द्वारा आत्मवस्तु और अनात्मवस्तु जानी जाए, उस ज्ञान का नाम ‘अध्यात्म ज्ञान’ है) नित्य स्थिति और तत्वज्ञान के अर्थरूप परमात्मा को ही देखना- यह सब ज्ञान है और जो इसके विपरीत है वह अज्ञान है- ऐसा कहा है॥13.11॥ ©MAMTA.K #suvicharmk #gita #GitaGyan
MAMTA.K
▶️सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तयः सम्भवन्ति याः । तासां ब्रह्म महद्योनिरहं बीजप्रदः पिता ॥14.4 ⏩️भावार्थ : हे कुन्तीपुत्र! समस्त योनियों जो भी शरीर धारण करने वाले प्राणी उत्पन्न होते हैं, उन सभी को धारण करने वाली ही जड़ प्रकृति ही माता है और मैं ही ब्रह्म (आत्मा) रूपी बीज को स्थापित करने वाला पिता हूँ। (४) ©MAMTA.K #suvicharmk #gita #GitaGyan
KhaultiSyahi
भगवद गीता में लिखा है मन अंधा होता है इसके पास अपना कोई ज्ञान नहीं होता है मन कुछ नहीं जानता और ना ही सही मार्गदर्शन करता है. इसलिए आप अंधे मन की बातें मान कर जरूरी कामों को टालना बंद किजिए. आप हमेशा अपनी बुद्धि से काम लीजिये मन से नहीं. क्योंकि अंधा मन आपको हमेशा जरूरी कामो को करने से रोक देता है. जब आप बुध्दि के जरिए जरूरी कामों को करना शुरू कर देंगे तो धीरे धीरे आपका मन आपका मित्र बनता चला जायेगा लेकिन अभी आपका मन आपका दुश्मन बना हुआ है जो आपको दिन पे दिन बरवाद कर रहा है. ©KhaultiSyahi Happy birthday to Me according to Hindi calendar #andhere #Bhagwad #gita #GitaGyan #gyan #khaultisyahi #Life #Life_experience #think #krishna_flute
Happy birthday to Me according to Hindi calendar #andhere #Bhagwad #gita #GitaGyan #gyan #khaultisyahi Life #Life_experience #think #krishna_flute
read moreKamlesh Kandpal
यथा सर्वगतं सौक्ष्म्यादाकाशं नोपलिप्यते। सर्वत्रावस्थितो देहे तथाऽऽत्मा नोपलिप्यते।। =======0=======0========0 ।13.33।।परमात्मा किसीकी भाँति न करता है और न लिप्त होता है इसपर यहाँ दृष्टान्त कहते हैं --, जैसे आकाश? सर्वत्र व्याप्त हुआ भी सूक्ष्म होनेके कारण लिप्त नहीं होता -- सम्बन्धयुक्त नहीं होता? वैसे ही आत्मा भी शरीरमें सर्वत्र स्थित रहता हुआ भी ( उसके गुणदोषोंसे ) लिप्त नहीं होता। =======0======0=============0 ©Kamlesh Kandpal #GitaGyan
Devashree R
Devashree R