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JALAJ KUMAR RATHOUR

#अपूर्ण_आरजू आज सात दिन बाद हम लौटने वाले थे, आरजू ने हमसे कहा था एयरपोर्ट पर ही मिलेगी वो, रास्ते में मेरे दोस्त ने चाय की दुकान देखी तो बोला यार चल चाय पी लेते हैं, ये चाय ही होती है जो हमे हॉस्टल के दिन याद दिला देती है,चाय की दुकान पर छोटी सी रखी टीवी पर खबर आ रही थी कश्मीर एयरपोर्ट पर आतंकी हमला, ना जाने क्यों हमें अनहोनी होने का एहसास पहले से ही हो जाता है। मैंने तुरन्त आरजू को काल किया उसके PA ने बताया मेडम ज्यादा घायल हुई है एयरपोर्ट के पास अस्पताल में है, हमने जल्दी से कैब वाले के को #जलज

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#अपूर्ण_आरजू
 आज सात दिन बाद हम लौटने वाले थे, आरजू ने हमसे कहा था एयरपोर्ट पर ही मिलेगी वो, रास्ते  में मेरे दोस्त ने चाय की दुकान देखी तो बोला यार चल चाय पी लेते हैं, ये चाय ही होती है जो हमे हॉस्टल के दिन याद दिला देती है,चाय की दुकान पर छोटी सी रखी टीवी पर खबर आ रही थी कश्मीर एयरपोर्ट पर आतंकी हमला, ना जाने क्यों हमें अनहोनी होने का एहसास पहले से ही हो जाता है। मैंने तुरन्त आरजू को काल किया उसके PA ने बताया ब्लास्ट में मेडम ज्यादा घायल हुई है एयरपोर्ट के पास अस्पताल में है, हमने जल्दी से कैब वाले  को वहाँ ले जाने के लिए कहा, हॉस्पिटल में डॉक्टर ने बताया सीरियस कंडिशन है,मैंने तब तक पूछ क्या मैं मिल सकता हूँ, बहुत गुजारिश के बाद डॉक्टर ने नर्स के साथ परमिशन दी,मुझे देख कर आरजू ने थोड़ा उठने की कोशिश की, फिर नर्स ने उसको आराम करने के लिए कहा, मैंने उससे कहा तुम जब ठीक हो जाओ तो मेरी बेटी से मिलना मैंने उसका नाम आरजू रखा है , तभी आरजू बोली अपूर्ण आज ईद है गले नही मिलोगे, मैंने नर्स के मना करने के बाद भी उसे गले लगा लिया, आज मुझे वही आरजू याद आ रही थी जिसने 9 वी क्लास में मेरे गले लग मुझे ईद की बधाई दी थी, मैंने भी उससे पूछा मेरी ईदी,इस बार उसने क्या चाहिए नही पूछ था बल्कि उससे कुछ दूरी पर खड़े एक 6 साल के लड़के की ओर इशारा करते ही कहा अपूर्ण, मैंने बोला हाँ,तभी वो बच्चा बोला" यस अम्मी",उस 6 साल के बच्चे को देख में स्तब्ध था, बस एक ही सवाल था जहन में क्या अधूरी प्रेम कहानियाँ अपने बच्चों के नाम रखने से पूर्ण हो जाती है या हम उस नाम की आदत से बचने के लिए ऐसा करते है, 
मेरे हाथों पर स्पर्श करते हुए आरजू बोली मुझसे एक वादा करो अपूर्ण," इस अपूर्ण की आरजू तुम जरूर पूरी करोगे".... उस दिन मैं खो चुका था ऐसी लड़की को जो कभी कह ना पाई और मैं जिसको कभी जता नही पाया, आज भी मैं इंतजार करता हूँ अपनी आरजू का जो शायद ईद का चाँद बन कर हर ईद पर आती है और पूछती है, गले नही मिलोगे अपूर्ण ठाकुर... 
       #जलज राठौर #अपूर्ण_आरजू
 आज सात दिन बाद हम लौटने वाले थे, आरजू ने हमसे कहा था एयरपोर्ट पर ही मिलेगी वो, रास्ते  में मेरे दोस्त ने चाय की दुकान देखी तो बोला यार चल चाय पी लेते हैं, ये चाय ही होती है जो हमे हॉस्टल के दिन याद दिला देती है,चाय की दुकान पर छोटी सी रखी टीवी पर खबर आ रही थी कश्मीर एयरपोर्ट पर आतंकी हमला, ना जाने क्यों हमें अनहोनी होने का एहसास पहले से ही हो जाता है। मैंने तुरन्त आरजू को काल किया उसके PA ने बताया मेडम ज्यादा घायल हुई है एयरपोर्ट के पास अस्पताल में है, हमने जल्दी से कैब वाले के को

JALAJ KUMAR RATHOUR

#अपूर्ण_आरजू 9 वी में पहली मुलाकात ही तो थी उस दिन मेरी जब ईद के दिन आरजू ने सबके साथ मुझे पहली बार गले लगाया था,पता नही वो मजबुर थी या उसकी ख्वाहिश ,पर मुझसे हमेशा नजरे चुराने वाली वो नकाबपोश लड़की मेरी नजरो के सामने जब भी गुजरती थी तो में रमजान सा इंतजार करता हुआ हो जाता और वो इतने लंबे इंतजार को ईद की तरह सिर्फ कुछ पल ठहर चुकाती, जब उसने मुझे पहली बार गले लगाया था उसी दिन से मैं ईद का इंतजार करने लगा था, 12 वी तक मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन गयी थी आरजू,अम्मी के हाथो की मीठी सेवियाँ व उससे मीठी #जलज

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#अपूर्ण_आरजू
9 वी में पहली मुलाकात ही तो थी उस दिन मेरी जब ईद के दिन आरजू ने  सबके साथ मुझे पहली बार गले लगाया था,पता नही वो मजबुर थी या उसकी ख्वाहिश ,पर मुझसे हमेशा नजरे चुराने वाली वो नकाबपोश लड़की मेरी नजरो के सामने जब भी गुजरती थी तो में रमजान सा इंतजार करता हुआ हो जाता और वो इतने लंबे इंतजार के बाद नजर आने वाले ईद के चाँद की तरह सिर्फ कुछ पल ठहर चुकाती, जब उसने मुझे पहली बार गले लगाया था उसी दिन से मैं ईद का इंतजार करने लगा था, 12 वी तक मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन गयी थी आरजू,अम्मी के  हाथो की मीठी सेवियाँ व उससे मीठी उसकी बाते वो जब भी खिलाती तो मैं मजाकिये लहजे कहता था मेरी ईदी ?,वो कहती क्या चाहिए तुम्हें #अपूर्ण और मैं चुप हो जाता, मेरी ये चुप्पी शायद वो समझती थी, पर ना जाने क्यों हम चीजो को समझ कर भी नासमझो  सा व्यवहार करते है, शायद हम समझदार हो जाते है, रंगो का त्यौहार होली था, उस दिन ना जाने क्यों मुझे ये होली हमेशा ईद सी लगती है, मिठाइयो को खिला कर और गले मिल कर हम सब कुछ भुला देते है,आरजू भी आई थी उस दिन, मैं सभी दोस्तो से गले मिल रहा था, आखिरी सफ़ में खडी आरजू से जब मैंने हाथ मिलाते हुए होली की बधाई दी तो वो बोली," होली पर भी गले मिलते है ना अपूर्ण , मैंने अपनी बाहों को फैला दिया था " उस दिन मुझे एहसास हुआ था उसी पहली ईद जो की बधाई से शुरु हुई थी और उसी दिन पता चला था की वो उस दिन मजबूर नही थी" , बारहवी के बाद उसने  शहर छोड़ दिया , पता नही उसके पापा का ट्रांसफर कहाँ हो गया
...#जलज #अपूर्ण_आरजू
9 वी में पहली मुलाकात ही तो थी उस दिन मेरी जब ईद के दिन आरजू ने  सबके साथ मुझे पहली बार गले लगाया था,पता नही वो मजबुर थी या उसकी ख्वाहिश ,पर मुझसे हमेशा नजरे चुराने वाली वो नकाबपोश लड़की मेरी नजरो के सामने जब भी गुजरती थी तो में रमजान सा इंतजार करता हुआ हो जाता और वो इतने लंबे इंतजार को ईद की तरह सिर्फ कुछ पल ठहर चुकाती, जब उसने मुझे पहली बार गले लगाया था उसी दिन से मैं ईद का इंतजार करने लगा था, 12 वी तक मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन गयी थी आरजू,अम्मी के  हाथो की मीठी सेवियाँ व उससे मीठी


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