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कवि प्रदीप वैरागी
   संस्मरण :एक रात भूतों के साथ बात उन दिनों की है जब मैं कक्षा 9 में पढ़ता था मैं अपने मित्र अमित के साथ उनके एक सगे संबंधी के यहाँ उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले मोहम्मदी तहसील स्थित उनके घर गया। उन्होंने खूब हमारे ढंग से खातेदारी की हालचाल पूछा शाम को भोजन इत्यादि करने के उपरांत लगभग 9:00 बजे फिल्म देखने का विचार आया और लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित नीलम टॉकीज मैं अमित को साथ लेकर चला गया। उन दिनों तब फिल्म और सिनेमा जगत अपनी चरम सीमा पर था इस प्रकार के एंड्राइड फोन आदि नहीं हुआ करते थे। 3 घंटे फिल्म देखने के वाद रात्रि के 12:00 बजे के बाद हम लोग फिल्म देखकर टॉकीज से निकले और पैदल -पैदल ही अपने गंतव्य की ओर बढ़ने लगे । घर से मात्र 200 मीटर की दूरी जब शेष रह गई तो रास्ते में एक कब्रिस्तान के पास पर लगे हुए सरकारी हैंडपंप से पानी पीने लगा अब वह कब्रिस्तान वहाँ पर नहीं है । उसे खत्म करके अब दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है और पड़ोस में ही एक गुरुद्वारा की स्थापना कर दी गई है। मैंने जैसे ही पानी पीने के लिए हैंड पंप का हाथ था चलाया पास में ही श्वेत रंग के विशालकाय दैत्याकार आकृतियांँ दिखाई दीं जिन्हें देखकर मैं अचरज में पड़ गया। मैंने चारों तरफ दृष्टि दौड़ाई और ऊपर से नीचे तक देखा तो मानो वह आकृतियांँ संपूर्ण आसमान को ही स्पर्श कर रही थीं। शायद यह मोटे मोटे दो लिप्टिस के पेड़ रहे होंगे! किंतु मेरा अंदाजा शायद गलत था! क्योंकि जब मैं यहाँ से पहले गुजरा था तो यहाँ पर ऐसे किसी प्रकार के कोई पुराने और विशाल वृक्ष मैंने नहीं देखे थे ।लेकिन अचानक यह दो मोटे मोटे और भारी-भरकम पेड़ आए तो आए कहाँ से? मेरे अचरज का कोई ठिकाना नहीं रहा। किंतु मैंने सोचा हो सकता है दिमाग का वहम हो वृक्ष शायद रहे होंगे और मैंने उन पर ध्यान नहीं दिया होगा किंतु मेरा सोचना व्यर्थ था! मैंने जैसे ही हैंडपंप चलाया और हाथ के चुल्लू में पानी लिया तब तक देखा कि अचानक अंधेरी रात में सफेद रंग के दिखने वाले दोनों वृक्ष वहां से गायब थे मेरी स्थान पर यदि कोई और व्यक्ति होता तो शायद भाई से डर कर ही मर गया होता मैंने बुद्धि साहस से काम लिया बिना डरे हुए अपने मित्र अमित से कहा कि अभी यहां पर दो विशालकाय वृक्ष थे लेकिन अब वह गायब हो गए उन्होंने कहा कि यहां से जल्दी चलो जहां शमशान भूमि है। अतः अवश्य ही कोई प्रेत आत्माएंँ हमको डराने का प्रयास कर रही थीं। मैं तो निश्चिंत था और मन ही मन अपने ईष्ट को याद कर रहा था। किंतु हमारे मित्र शायद कुछ कुछ डर रहे थे हम दोनों ने जल्दी से घर पहुँच कर रिश्तेदारी में सारी बात बताई कि हम लोग इस प्रकार जब आ रहे थे तो रास्ते में कोई दो अजीब आकृतियां दिखाई दीं । और कुछ ही देर में वह अचानक गायब हो गई इतना सुनते ही वालों डर से हक्का-बक्का रह गए और बोले कि हांँ बहुत सारे लोगों ने इससे पहले भी ऐसी आकृतियांँ देखीं हैं। लेकिन व्हाट्सएप पर से बीमार हो गए हम लोगों पर तो कोई असर नहीं हुआ और हम लोग वहाँ से अपने घर के लिए अगली सुबह को ही रवाना हो गए। लेकिन बाद में पता चला कि रिश्तेदारों का पूरा परिवार बहुत डर गया। और उन्हें कई दिन तक बुखार आया, उन लोगों ने बताया कि यहाँ कब्रिस्तान है और 18 57 की क्रांति के बहुत सारे युद्ध लड़े गए थे । जिसके कारण जो भी सैनिक मारे गए वह सभी यहीं पर दफ़न है और आज भी उनकी आत्माएँ यहाँ पर आपस में लड़ रही हैं। #संस्मरण_एक_रात_भूतों_के_साथ #leftalone tushar pawar--maharashtra nashik अधूरी बातें Ajay maurya(#आश्वस्त🇮🇳) //sweta_dankhara_11// Er. Peeyush yadav.
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