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Best बेवक्त Shayari, Status, Quotes, Stories

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Shubham Bhardwaj

Vikash Arya

Mukesh Pilania

जिम्मेदारियों ने पकड़ा था हाथ ना छूटा सका
वो इश्क लिए बैठी रही मैं वक्त ना जुटा सका

©Mukesh Pilania #बेवक्त

Vibha Saroj

बे अदब बे अकल गुमनाम सी हूं,
कईयों के लिए मैं बड़ी आम से हूं।
बेफिजूल सी लगती हैं मेरी बातें कई को,
कईयों के लिए उनके अपने जज्बात सी हूं।
बेतुके हैं बहुतों के लिए मेरे सवाल कई,
कईयों के लिए मैं उनके हर जवाब सी हूं।
बे ख्याली में रहूं यह शौक नहीं मेरा,
पर होश में रहने के लिए मैं भी तैयारी नहीं हूं।
बे काम सी लगती हूं मैं हर लिहाज से,
क्या आप जानते हैं बहुतों के लिए मैं सिर्फ काम की हूं।
बेनकाब सी लगेगी आपको जिंदगी मेरी,
राज़ रखने में इतनी उस्ताद भी हूं।
बेशक मैं साथ नहीं रहती किसी के हमेशा
हमसफर के लिहाज से ज़रा नाकाम सी हूं।
बेवक्त सी लगती है मेरी जिंदगी मुझे।
जैसे किसी गुजरे ज़माने का दिल 
और आने वाले कल का मस्तिष्क लिए,
मैं आज मे हूं।

- विभा१४९५



 #बेवक्त 
#कविता
#हिंदी

Jitesh soni ( Yash )

Anita Saini

दर्द देती है सीने में ऐसी बैरन हुई कमबख़्त छीकें. 😋😃😃❤❤ खुद भी होती, मुझे भी करती, निर्लज्ज ....😀❣️❣️

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मुई हिचकियाँ तो बैरन हुई हैं,
 जीना मुहाल किया,निर्लज्ज छीकों ने..!! दर्द देती है सीने में
ऐसी बैरन हुई 
कमबख़्त छीकें. 😋😃😃❤❤

खुद भी होती, 
मुझे भी करती, 
निर्लज्ज ....😀❣️❣️

Neetish Patel

मै अपना दर्द तो बयां कर दूं
पर क्या कोई मलहम बनेगा 
जो कह नही सकता अल्फ़ाजों से
क्या उसका दर्द वो समझेगा  #दर्द #समझोतो #अनकहे_अल्फ़ाज़ #यादें #बेवक्त #yqbaba #yqhindi

Subhasish Pradhan

वक्त से पहले वक्त भी साथ नहीं देता यहां।।
और बेवक्त हम वक्त को दोष देते रहे यहां।।
     #वक्त #बेवक्त #yqdidi #yqhindi #thoughts  #pinta_quote

Rabindra Kumar Ram

" गैरइरादातन ये आंखें किसकी फ़राज़ ढुढती हैं , मिलेगी कौन सी मंजिलें इश्क की जिसमें पनाह ढुढती हैं , रोशन हो जा की ख़्याल तेरा अब भी रुसवा हैं , मिलेगी कब कैसे इस आरज़ू में जो बेवक्त तेरा खलीश रहा हैं . " --- रबिन्द्र राम #फ़राज़ #मंजिलें #इश्क

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"   गैरइरादातन ये आंखें किसकी फ़राज़ ढुढती हैं ,
मिलेगी कौन सी मंजिलें इश्क की जिसमें पनाह ढुढती हैं ,
रोशन हो जा की ख़्याल तेरा अब भी रुसवा हैं ,
मिलेगी कब कैसे इस आरज़ू में जो बेवक्त तेरा खलीश रहा हैं . "

                          --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram "   गैरइरादातन ये आंखें किसकी फ़राज़ ढुढती हैं ,
मिलेगी कौन सी मंजिलें इश्क की जिसमें पनाह ढुढती हैं ,
रोशन हो जा की ख़्याल तेरा अब भी रुसवा हैं ,
मिलेगी कब कैसे इस आरज़ू में जो बेवक्त तेरा खलीश रहा हैं . "

                          --- रबिन्द्र राम 

 #फ़राज़ #मंजिलें #इश्क

#Rahul

#बेवक्त जनाब की घड़ी खराब हो गई या घड़ी की बैटरी खत्म हो गई।😏

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