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Ashutosh Varun Raj
दहलीज़ पर खड़ा हूँ, उस ओर अज़ब दुनिया हैं, जद्दोजहद के क़िस्से सुनकर आया हूँ दरवाज़ा पार करने की क़ीमत क्या हैं ? #देहलीज़ #dehleez #दरवाजा #जदोजहद #कीमत #yqbaba #yqtales
Nikesh Bharane
दरवाजा तंग हो गया इस लिए बारिश को दोष मत देना, शायद भींगी हुई कुछ यादें अभी भी देहलीज में फंसी हों। #गीली_यादें #दरवाजा #बारिश #yqbaba #yqhindi #quotesofnikesh #देहलीज़
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read moreAman Agarwal
दिल से ✍️..... ©Aman Agarwal #दिल #जिंदगी #बेवफा #pyaar #देहलीज़
#Jitendra777
देहलीज़ एक मर्यादा की लकीर है, विरासत में मिली ख़ानदानी जागीर है। देहलीज़ एक क़ायदा है तहज़ीब है, जिसने बचा रखा है वही अमीर है। देहलीज़ लांघना आसान होता है, पर लौटकर आना बहुत मुश्किल है। #देहलीज़ #जितेन्द्र777 #देहलीज़ #जितेन्द्र777
Sayed Fitzroy
कंहा नसीब है किसी अज़ीज़ की देहलीज़ मुझे! खुद ही में क़ैद हूँ,खुद की वजह से..... arz-ए-sayed #NojotoQuote देहलीज़ कंहा नसीब है किसी अज़ीज़ की देहलीज़ मुझे। खुद ही में क़ैद हूँ खुद की वजह से।। arz-ए-sayed Indeevar Joshi @j_$tyle Mukesh Poonia Bina Babi Aahna Verma
देहलीज़ कंहा नसीब है किसी अज़ीज़ की देहलीज़ मुझे। खुद ही में क़ैद हूँ खुद की वजह से।। arz-ए-sayed Indeevar Joshi @j_$tyle Mukesh Poonia Bina Babi Aahna Verma
read moreSayed Fitzroy
था और ‛है ’ में फ़र्क होता है। था को आप वापस बुला नही सकते, और ‛है' को अपने जैसा तब्दील कर सकते है। गुज़रे हुए कल में बसर करना कोई समझदारी नही है.आप अपने आज को खराब कर रहे हैं और इससे ख़ुद को दुख देना है। कोई दूरूस्त देहलीज़ आपकी बंद देहलीज़ पर आकर तस्तक नहीं देगी. आपको आपने ज़ेहनी देहलीज़ के दरवाजों को खोलना पड़ेगा और हर फैसले का गर्मजोशी के साथ इस्तक़बाल करना पड़ेगा। ARZ-ए-SAYED था और ‛है ’ में फ़र्क होता है। था को आप वापस बुला नही सकते, और ‛है' को अपने जैसा तब्दील कर सकते है। गुज़रे हुए कल में बसर करना कोई समझदारी नही है.आप अपने आज को खराब कर रहे हैं और इससे ख़ुद को दुख देना है। कोई दूरूस्त देहलीज़ आपकी बंद देहलीज़ पर आकर तस्तक नहीं देगी. आपको आपने ज़ेहनी देहलीज़ के दरवाजों को खोलना पड़ेगा और हर फैसले का गर्मजोशी के साथ इस्तक़बाल करना पड़ेगा। ARZ-ए-SAYED
था और ‛है ’ में फ़र्क होता है। था को आप वापस बुला नही सकते, और ‛है' को अपने जैसा तब्दील कर सकते है। गुज़रे हुए कल में बसर करना कोई समझदारी नही है.आप अपने आज को खराब कर रहे हैं और इससे ख़ुद को दुख देना है। कोई दूरूस्त देहलीज़ आपकी बंद देहलीज़ पर आकर तस्तक नहीं देगी. आपको आपने ज़ेहनी देहलीज़ के दरवाजों को खोलना पड़ेगा और हर फैसले का गर्मजोशी के साथ इस्तक़बाल करना पड़ेगा। ARZ-ए-SAYED
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