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Kaushal Almora

कवि व्योम तिवारी

दूर से ही देख लेते हैं उनको वो अब हमारे पास तक नहीं आती याद करती होगी कभी अब उसे हमारी याद तक नहीं आती #व्योम तिवारी ( राहगीर ) #nojotophoto

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 दूर से ही देख लेते हैं उनको वो अब हमारे पास तक नहीं आती
याद करती होगी कभी अब उसे हमारी याद तक नहीं आती
          #व्योम तिवारी ( राहगीर  )

करिश्मा ताब

रिश्तों में दरार  वसुधा  है जननी ,
 तो पिता है व्योम 
 कैसा  उत्कृष्ट नाता है इनका
व्योम का भ्राता है आफ़ताब
वसुधा  का मायका  है मह़ताब
वसुधा और व्योम के मध्य
ब़सता सारा कुटुम्ब हमारा
सुना है ये छोटे- बड़े भेद नहीं करते
जह़ां कोई नहीं रहता वहाँ भी ये जाते

मह़ताब मामू को देख ,हम  ख्वाब़ हैं बुनते
आफ़ताब चाचू की उंगली थाम हम  
दिवा - रात्रि हम एक करते
ऊर्जा और उमंग लिए  फिरते
नये - नये ख्वाब हकीकत  करते
सितारों के साथ के बिना भी 
तो जीवन पूरा  नहीं होता 





 #जिसके_हम_कुटुम्ब

कवि समीर शान्डिल्य

Ram Pujari Kanika Girdhari Om Bodade Tripti Rai Anil Kewat

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क्या गजब रात थी, वो मेरे साथ थी 
हम दहलते गये  वो लरजते गये••••
उर के व्योम पर प्रेम के मेघ बन
वो गरजरते गये फिर बरसते गये
क्या गजब रात ●●●●●●●●●●●●●●

वो प्रिय मिलन की मन आशा लिए,
  लाल जोडो मे जब वो सवरने लगे,॰॰॰
 देखकर शशि वदन,चन्र्दिका सा बदन,
  आईने शर्म से तब बिखरने लगे॰॰॰
सुर्ख होठों से झरते उत्स क्षीर मे, 
भीगकर भी हम प्यासे तडपते रहे।
उर के व्योम पर प्रेम के मेघ बन
वो गरजरते गये फिर बरसते गये। 
क्या गजब रात ●●●●●●●●●●●●●●

उस अमल रात मे मंजरी सेज पर
जब वो बैठी तो मन ये बहकने लगा।
साँसो की गर्मियां जब बढने लगी
मै नियत हिम सा तब पिघलने लगा। 
मेहंदीओ से सजे चूड़ियों से भरे
उनके आगोश मे हम मचलते गये।
उर के व्योम पर प्रेम के मेघ बन 
वो गरजरते गये फिर बरसते गये। 
क्या गजब रात ●●●●●●●●●●●●●●

ओठों की लालिमा उनके घटने लगी
ज्योति की रैन मे जब अन्धेरा हुआ। 
ऐसे डूबे रहे ख्वाब के धुनि मे हम
कुछ पता ना चला कब सवेरा हुआ। 
दृग को मूँदकर वक्ष पर शीश धर
हम सिमटते गये वो लिपटते गये।
उर के व्योम पर प्रेम के मेघ बन 
वो गरजरते गये फिर बरसते। 
क्या गजब रात ●●●●●●●●●●●●●●
            
                              ॥ कवि समीर शान्डिल्य ॥
                            9455568837 , 9999141287 Ram Pujari Kanika Girdhari Om Bodade Tripti Rai Anil Kewat


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