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Jp arya
यदि आप पति हो और कभी एकदम सुबह 4.00 बजे जाग जाओ, और चाय पीने की इच्छा हो जाए, जो कि......स्वाभाविक है, तो आप सोचेंगे कि.....चाय खुद ही बनाऊँ या प्रिय अर्धांगिनी को जगाने का दुस्साहस करूँ.....? दोनों ही स्थितियों में आपको निम्नलिखित भयंकर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है... और आप कुछ भी करो, आपको..."चार बातें"...तो सुननी ही है, जो कि वास्तव में 40-50 कम नहीं होती हैं...!! ... ... ● पहली परिस्थिति:--- आपने खुद ही चाय बनाई...!! आपने यदि खुद चाय बना ली, तो सुबह-सुबह ब्रह्म- मुहूर्त में आठ बजे जब भार्या जागेगी तब, आपको सुनना ही है:---- क्या ज़रूरत थी खुद बनाने की, मुझे जगा देते, पूरी पतीली "जला कर", रख दी, और वह "दूध की पतीली" थी, "चाय वाली" नीचे रखी है "दाल भरकर"....!! ... ... विश्लेषण:---- चाय खुद बनाने से पत्नी दुखी हुई / शर्मिंदा हुई / अपने अधिकार क्षेत्र में घुसपैठ से भयाक्रांत हुई / या कुछ और, आप कभी भी समझ नहीं पाएंगे, दूसरा ये कि......"दूध की पतीली" में "चाय" बनाना तो गुनाह है, लेकिन "चाय की पतीली" में "दाल" भरकर रखी जा सकती है....??😉 ... ... ● दूसरी परिस्थिति:--- आपने पत्नि को चाय बनाने के लिए जगा दिया...!! यदि आपने गलती से भी पत्नी को जगा दिया तो, आप सुनने के लिए तैयार रहिये:---- "मेरी तो किस्मत ही ख़राब है, एक काम नहीं आता इस आदमी को, पिताजी ने जाने क्या देखा था इसमें, आधी रात को चाय चाहिए इन्हें....अभी अभी तो, पीठ सीधी की थी और इनकी फरमाइशें हैं कि ख़त्म ही नहीं हो रही हैं, न दिन देखते हैं, न रात....??😢🤦♀ चाय बनकर, पी कर ख़त्म भी हो जाएगी पर 'श्लोक-सरिता' का प्रवाह अनवरत, अविरल चलता ही रहेगा...!! ... ... ● तीसरी परिस्थिति:--- एक अन्य विचित्र परिस्थिति....!! यदि आप चाय खुद बना रहे हैं.......और शक्कर के डिब्बे में शक्कर आधा चम्मच बची है, तो आपके दिमाग में विचार आएगा ही कि बड़े डिब्बे से निकालकर इसमें टॉप-अप कर देता हूँ, यदि आपने ऐसा किया तो पता है क्या सुनोगे....?? शायद आप सोच रहे होंगे कि, आपने बहुत शाबाशी वाला काम किया, नहीं बल्कि आपको....शर्तिया ये सुनना पड़ेगा -- "किसने कहा था शक्कर निकालने को ? मुझे वह डिब्बा, आज मँजवाना था"😏 ... ... निष्कर्ष:---- संसार में पत्नी की नजरों में पति नाम का जो जीव होता है, उसमे अक्ल का बिल्कुल ही अभाव होता है...!! "सर्व-गुण-संपन्न"......तो उसके "पापा" और भाई होते हैं, और या फिर "वो....वाले-जीजाजी"....??? इसलिए सभी पतिओं को, मेरी सलाह है कि, कभी सुबह-सुबह नींद खुल जाए, तो वापस मुँह ढक कर सो जाएं, उसी में भलाई है...!! #MeraShehar
Gokul Tapadiya
Return टिकट तो कन्फर्म है ... इसलिये मन भरकर जीयें मन में भरकर ना जीयें। छोड़िए शिकायत शुक्रिया अदा कीजिये जितना है पास पहले उसका मजा लीजिये चाहे जिधर से गुज़रिये मीठी सी हलचल मचा दीजिये उम्र का हर एक दौर मज़ेदार है अपनी उम्र का मज़ा लीजिये क्योंकि Return Ticket तो कन्फर्म है.
Sheel Sahab
पल भर के लिए *"मन भरकर जीयें"* *"मन में भरकर ना जीयें।"* *छोड़िए शिकायत..* *शुक्रिया अदा कीजिये...* *जितना है पास..* *पहले उसका मजा लीजिये...* *चाहे जिधर से गुज़रिये* *"मीठी" सी हलचल मचा दीजिये,* *उम्र का हर एक दौर मज़ेदार है* *अपनी उम्र का मज़ा लीजिये.* #खुलकरजीयें
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 12 - भगवान ने क्षमा किया ऊँट चले जा रहे थे उस अन्धड़ के बीच में। ऊपर से सूर्य आग बरसा रहा था। नीचे की रेत में शायद चने भी भुन जायेंगे। अन्धड़ ने कहर बरसा रखी थी। एक-एक आदमी के सिर और कपड़ों पर सेरों रेत जम गयी थी। कहीं पानी का नाम भी नहीं था और न कहीं किसी खजूर का कोई ऊँचा सिर दिखायी पड़ रहा था। जमाल को यह सब कुछ नहीं सूझ रहा था। उसके भीतर इससे भी ज्यादा गर्मी थी। इससे कहीं भयानक अन्धड़ चल रहा था उसके हृदय में। वह उसी में झुलसा जा रहा था।
read moreSony.....
Pyaar ki politicas to mujhe nhi aati ए-दोस्त Lekin जब तुम पास हो तो जी-भरकर हँस लेता हूँ डर लगता हैं कंही खो न दू जी-भरकर रो लेता हूँ #मेरे #महबूब
Gokul Tapadiya
"रोज़ सुबह उठकर एक बात याद रखें" "Return Ticket" "तो कन्फर्म है" इसलिये "मन" भरकर जीएं "मन" में भरकर ना जिएं छोड़िए शिकायत शुक्रिया अदा कीजिये जितना है पास पहले उसका मज़ा लीजिये चाहे जिधर से भी आप गुज़रिये "मीठी" सी हलचल मचा दीजिए उम्र का हर एक दौर "मज़ेदार" है अपनी "उम्र" का मज़ा लीजिये.
Deepak Raghuwanshi
बहुत कम शब्दों में बहुत बड़ी बात मन में कुछ भरकर जियेंगे तो मन भरकर जी नहीं पाएंगे
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 9 - सेवा का प्रभाव 'या खुदा, अब आगे को रास्ता भी नहीं है।' सवार घोड़े से कूद पड़ा। प्यास के मारे कण्ठ सूख रहा था। गौर मुख भी अरुण हो गया था। पसीने की बूदें नहीं थी, प्रवाह था। उसके जरी के रेशमी वस्त्र गीले हो गये थे। ज्येष्ठ की प्रचण्ड दोपहरी में जरी एवं आभूषणों की चमक नेत्रों में चकाचौंध उत्पन्न कर रही थी। वे उष्ण हो गये थे और कष्ट दे रहे थे। भाला उसने पेड़ में टिकाया, तरकश एवं म्यान खोल दी। कवच जलने लगा था और उसे उतार देना आवश्यक हो गया
read moreShubham Dave
उस दिन खुदा भी खूब रोया था, उसने दो प्रेमीओ को जो खोया था, दिल भरकर जजबातो से, खुदा भी रात को नहीं सोया था, दिल में भरकर जजबात प्यार के, खुदा भी बारिश के रुप में रोया था see more shayari and story on website...... link. in bio... #nature #love #shayari #shayar #writer #loveyou #missyou
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read moreMATHEMATICS study
#OpenPoetry भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुद्दआ । मौत ने तो धर दबोचा एक चीते कि तरह ज़िंदगी ने जब छुआ तो फ़ासला रखकर छुआ । गिड़गिड़ाने का यहां कोई असर होता नही पेट भरकर गालियां दो, आह भरकर बददुआ । क्या वज़ह है प्यास ज्यादा तेज़ लगती है यहाँ लोग कहते हैं कि पहले इस जगह पर था कुँआ । आप दस्ताने पहनकर छू रहे हैं आग को आप के भी ख़ून का रंग हो गया है साँवला । इस अंगीठी तक गली से कुछ हवा आने तो दो जब तलक खिलते नहीं ये कोयले देंगे धुँआ । दोस्त, अपने मुल्क कि किस्मत पे रंजीदा न हो उनके हाथों में है पिंजरा, उनके पिंजरे में सुआ । इस शहर मे वो कोई बारात हो या वारदात अब किसी भी बात पर खुलती नहीं हैं खिड़कियाँ ।