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VishwanathAvi..
वो वक़्त की कसक ही कुछ ऐसी थी , जो हमे यू ही बिछड़ना पड़ा। कोशिश तो मैं बहुत किया करता था तुम्हे ढूंढने की, मगर हालात ही कुछ ऐसे हो गयी है कि, कमबख्त मुझे सारी कोशिशें भी अब छोड़ना पड़ा। #Quotes #shayari #बीतते #हुए #पल #कोशिशें #निराशा
आयुष पंचोली
"दशावतार" जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं।
जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं।
read moreRoopanjali singh parmar
इस आईने में खुद को देखें (कृप्या अनुशीर्षक में पढ़ें) ये तीन कहानियां ज़रूर पढ़िए🙏 (1) सोचिए ज़रा.... आपकी नई-नई शादी हुई और बहुत प्यारी सी लड़की को आपने पत्नी के रूप में पाया। शादी के दो-तीन साल बाद आपकी पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया। बहुत मासूम, बहुत प्यारी बेटी। बिल्कुल परियों की तरह दिखने वाली। जो आपकी जान बन चुकी है। पूरे घर की रौनक है वो और सबकी लाडली। आप हर वक्त उसे गोद में लेकर घूमते हैं, और ग़ुरूर से सबको बताते हैं कि ये आपकी बेटी है। धीरे-धीरे आपकी बेटी बड़ी हुई.. उसने चलना सीखा, बोलना सीखा.. उसने आपको पहली बार कहा 'पापा'.. आप खुशी से चहक रहे हैं.. फिर और कुछ साल बीते वो अब स्कूल जाती है। अपनी क्लास में अव्वल आती है। आपको गर्व है कि वो आपकी बेटी है। वो आसमान को छूना चाहती है, चाहती है कल्पना चावला की तरह दूर आसमान में उड़ना.. चाहती है मैरीकॉम बनना, इंदिरा गांधी की तरह देश को संभालना।
ये तीन कहानियां ज़रूर पढ़िए🙏 (1) सोचिए ज़रा.... आपकी नई-नई शादी हुई और बहुत प्यारी सी लड़की को आपने पत्नी के रूप में पाया। शादी के दो-तीन साल बाद आपकी पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया। बहुत मासूम, बहुत प्यारी बेटी। बिल्कुल परियों की तरह दिखने वाली। जो आपकी जान बन चुकी है। पूरे घर की रौनक है वो और सबकी लाडली। आप हर वक्त उसे गोद में लेकर घूमते हैं, और ग़ुरूर से सबको बताते हैं कि ये आपकी बेटी है। धीरे-धीरे आपकी बेटी बड़ी हुई.. उसने चलना सीखा, बोलना सीखा.. उसने आपको पहली बार कहा 'पापा'.. आप खुशी से चहक रहे हैं.. फिर और कुछ साल बीते वो अब स्कूल जाती है। अपनी क्लास में अव्वल आती है। आपको गर्व है कि वो आपकी बेटी है। वो आसमान को छूना चाहती है, चाहती है कल्पना चावला की तरह दूर आसमान में उड़ना.. चाहती है मैरीकॉम बनना, इंदिरा गांधी की तरह देश को संभालना।
read morePravin Kumar
एक चुटकी जहर 👇👇👇 "एक चुटकी ज़हर रोजाना" आरती नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और बहू नए विचारों वाली। आरती और उसकी सास का आये दिन झगडा होने लगा। दिन बीते, महीने बीते. साल भी बीत गया. न तो सास टीका-टिप्पणी करना छोड़ती और न आरती जवाब देना। हालात बद से बदतर होने लगे। आरती को अब अपनी सास से पूरी तरह नफरत हो चुकी थी. आरती के लिए उस समय स्थिति और बुरी हो जाती जब उसे
"एक चुटकी ज़हर रोजाना" आरती नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और बहू नए विचारों वाली। आरती और उसकी सास का आये दिन झगडा होने लगा। दिन बीते, महीने बीते. साल भी बीत गया. न तो सास टीका-टिप्पणी करना छोड़ती और न आरती जवाब देना। हालात बद से बदतर होने लगे। आरती को अब अपनी सास से पूरी तरह नफरत हो चुकी थी. आरती के लिए उस समय स्थिति और बुरी हो जाती जब उसे
read moreआयुष पंचोली
उम्र तो बीत ही रही हैं, और इसी तरह बीत जायेगी एक दिन, देखना हैं तो यह हैं, तजुर्बे कितने देकर जाती हैं। कितने गैरों को अपना बनाती हैं। कितनो अपनो का असल चेहरा दिखाती हैं। कितने सच्चो का साथ दिलाती हैं। कितने झूठो का एहसान जताती हैं। देखना तो हैं, और उम्र बीतते-बीतते दिखा भी जायेगी । आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi उम्र तो बीत ही रही हैं, और इसी तरह बीत जायेगी एक दिन, देखना हैं तो यह हैं, तजुर्बे कितने देकर जाती हैं। कितने गैरों को अपना बनाती हैं। कितनो अपनो का असल चेहरा दिखाती हैं। कितने सच्चो का साथ दिलाती हैं।
उम्र तो बीत ही रही हैं, और इसी तरह बीत जायेगी एक दिन, देखना हैं तो यह हैं, तजुर्बे कितने देकर जाती हैं। कितने गैरों को अपना बनाती हैं। कितनो अपनो का असल चेहरा दिखाती हैं। कितने सच्चो का साथ दिलाती हैं।
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 17 - सात्विक त्याग कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेर्जुन। संगत्यक्त्वा फलं चैव स त्याग: सात्विको मत:।। (गीता 18।9)
read moreAjeet Malviya Lalit
कालेज नामा (कैप्सन में पढें) कालेज नामा भाग १ अजीत मालवीय 'ललित' स्कूल की पढ़ाई पूरी करके उच्च शिक्षा के लिए बड़े से शहर का रुख किया तो ढेरों समस्याओं का सामना करना पड़ा गांव की धूल मिट्टी को छोड़कर अब मैं एक बहुमंजिला इमारतों वाले शहर में अपने घर की यादों को तलाश कर रहा था रात करीब आठ बजे गर्मी के दिन थे ट्रेन से उतरा तो ढेर सारा शोर शराबा बहनों की तीक्ष्ण ध्वनि कानों को अप्रिय लग रही थी। जैसे तैसे ठिकाने पर पहुंचा और दूसरे दिन से शुरुआत होती है दौड़ भाग और सिर्फ दौड़-भाग की, कॉलेज पहुंचता हूं ।
कालेज नामा भाग १ अजीत मालवीय 'ललित' स्कूल की पढ़ाई पूरी करके उच्च शिक्षा के लिए बड़े से शहर का रुख किया तो ढेरों समस्याओं का सामना करना पड़ा गांव की धूल मिट्टी को छोड़कर अब मैं एक बहुमंजिला इमारतों वाले शहर में अपने घर की यादों को तलाश कर रहा था रात करीब आठ बजे गर्मी के दिन थे ट्रेन से उतरा तो ढेर सारा शोर शराबा बहनों की तीक्ष्ण ध्वनि कानों को अप्रिय लग रही थी। जैसे तैसे ठिकाने पर पहुंचा और दूसरे दिन से शुरुआत होती है दौड़ भाग और सिर्फ दौड़-भाग की, कॉलेज पहुंचता हूं ।
read moreInsaf Ali
तुम खामखा हमारे दिल के ख्वाब क्यों जगा रहे हो... जब भी नजरें टकराये तो गुजारिश है मुह फेर लेना, जब भी नजरें टकराये तो गुजारिश है मुह फेर लेना तुम खामखा मेरे दिल के ख्वाब क्यों जगा रहे हो ये जानकर भी की वो मुहब्बत ही क्या जो मुकम्मल हो जाए, ये जानकर भी की वो मुहब्बत ही क्या जो मुकम्मल हो जाए तुम क्यों हमारे सपनों में आग लगा रहे हो अगर तुम्हें जरा सा भी ध्यान हो, जब तुम्हें पहली दफा देखा था ना,अगर तुम्हें जरा सा भी ध्यान हो, जब तुम्हें पहली दफा देखा था ना तो इस छोटे से दिल ने न जाने कितने ख्वाब पाले थे दुनिया तो हमारी थम सी गई थी और इस तेज सरपट दौड़ने वाले दिमाग पर पड़ गए बड़े से पाले थे, पहले लगा कि ये प्यार है, पहली नजर का आकर्षण, संजोग या बचकानी हरकत कुछ कहा नहीं जा सकता, फिर धीरे धीरे जाना कि तुम किसी और की जान हो और ये भी जान चुके थे कि अब तो तुम्हारे बिना रहा नहीं जा सकता दिन बीतते गए और नजरें टकराती गई, दिन बीतते गए और नजरें टकराती गई
जब भी नजरें टकराये तो गुजारिश है मुह फेर लेना, जब भी नजरें टकराये तो गुजारिश है मुह फेर लेना तुम खामखा मेरे दिल के ख्वाब क्यों जगा रहे हो ये जानकर भी की वो मुहब्बत ही क्या जो मुकम्मल हो जाए, ये जानकर भी की वो मुहब्बत ही क्या जो मुकम्मल हो जाए तुम क्यों हमारे सपनों में आग लगा रहे हो अगर तुम्हें जरा सा भी ध्यान हो, जब तुम्हें पहली दफा देखा था ना,अगर तुम्हें जरा सा भी ध्यान हो, जब तुम्हें पहली दफा देखा था ना तो इस छोटे से दिल ने न जाने कितने ख्वाब पाले थे दुनिया तो हमारी थम सी गई थी और इस तेज सरपट दौड़ने वाले दिमाग पर पड़ गए बड़े से पाले थे, पहले लगा कि ये प्यार है, पहली नजर का आकर्षण, संजोग या बचकानी हरकत कुछ कहा नहीं जा सकता, फिर धीरे धीरे जाना कि तुम किसी और की जान हो और ये भी जान चुके थे कि अब तो तुम्हारे बिना रहा नहीं जा सकता दिन बीतते गए और नजरें टकराती गई, दिन बीतते गए और नजरें टकराती गई
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