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अदनासा-
हे समस्त वृक्षों हे कानन हमें क्षमा कर दो, हम मानव तुम्हारे पतन का कारण बन चुके है, हम विकसित मानव चरम विकास में मग्न है अब हम सुंदर परिधान धारक है नग्न नही, अपितु चरम आधुनिक काल के अंतर्गत, हमें हमारे हर स्थान को सुविधा एवं सरलता में बदलना है, तुम्हारी दुविधा एवं पीड़ा से हमारा नाता नही है, हमारी चिंताएं अधिक है हमें स्वयं का अधिकार चाहिए, तुम्हें अधिकार नही है क्योंकि तुम बोल नही पाते, वैसे हमारी स्वयं की सुनवाई ही कम हो रही है, तो तुम्हारी सुनवाई भला कौन कैसे करे ? हमारा स्वयं से नाता न्युन एवं यंत्र से अधिक है, भला जीव जंतुओं की चिंता एवं चिंतन संभव कैसे हो ? हम विकसित विकासशील मानव पुनः क्षमा प्रार्थी है, माना की हम एकदा विद्यालय में पर्यावरण के विद्यार्थी भी थे, हम सुशिक्षित सुसभ्य केवल हृदय से सॉरी ही कह सकते है, हमें केवल और केवल सुविधाजनक विकास चाहिए, स्वयं के ह्रास हेतु अत: असुविधा हेतु खेद प्रकट करते है, हमने तुम्हारे पतन में स्वयं का उत्थान खोज लिया है। ©अदनासा- #हिंदी #कानन #वृक्षों #आधुनिक #विकास #उत्थान #पतन #Instagram #Facebook #अदनासा
Juhi Grover
एक महिला से दूसरी महिला की झड़प दिखाती है, महिला उत्थान में महिला भी रुकावट हो सकती है। वीप्सा अलंकार #एक #दूसरी #महिला #झड़प #उत्थान #रुकावट #yqhindi
Juhi Grover
महिला दिवस की बधाई हो, बहुत बार सुन लिया, मग़र फिर भी महिला जीवन में क्या सुधार दिया, अग़र कुछ किया भी तो बस एक ही दिन के लिए, कौन है आखिर जो समाज सुधार का ठेका ले गया। ( कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें ) सियासत होती देखी है महिला उत्थान पर हमेशा, क्या कभी किसी महिला के घर जा कर देखा भी है, बैठे बैठे ख़्याली पुलाव पकाने में क्या ही जाता है, मुद्दा तो है ही, बस चुनावी फर्ज़ निभाना आता है। माना कि नारी बढ़ चुकी है आगे बहुत ही ज़्यादा, सफल होने पे उन के नाम की माला जपी जाती है, सफर के काँटों को अाखिर कौन उठाने आता है,
सियासत होती देखी है महिला उत्थान पर हमेशा, क्या कभी किसी महिला के घर जा कर देखा भी है, बैठे बैठे ख़्याली पुलाव पकाने में क्या ही जाता है, मुद्दा तो है ही, बस चुनावी फर्ज़ निभाना आता है। माना कि नारी बढ़ चुकी है आगे बहुत ही ज़्यादा, सफल होने पे उन के नाम की माला जपी जाती है, सफर के काँटों को अाखिर कौन उठाने आता है,
read moreRam Kumar Baiga
गौठान में उत्थान सखी के द्वारा (खाद )निर्माण कार्य करते हुए फोटो ©Ram Kumar Baiga #गौठान #उत्थान #खाद
Ram Kumar Baiga
उत्थान सखी के द्वारा बैठक रजिस्टर चेक करने संबंधित चर्चा ग्राम पंचायत बदना | ©Ram Kumar Baiga #उत्थान
RABISH KARNWAL
शिक्षित बनो #ज्ञान के लिये, संगठित रहो #उत्थान के लिये, संघर्ष करो #स्वाभिमान के लिए, जान लगा दो #संविधान के लिए #जयभीम #जयसंविधान 🙏🙏🙏 ©RABISH KARNWAL #Goodevening
Nirankar Trivedi
मेरा संघर्ष समाज में फैली उन कुरीतियों और गंदगी से है जो इंसान की इंसानियत को गंदगी से धूमिल करती है | जीवन सभी को मिलता है मग़र जीना कुछ ही लोग समझ पाते हैं|आज मैं इसी संघर्ष से गुजर रहा हू की मैं दूसरों के लिए गलत नहीं हू तो अन्य लोग क्यों गलत है | और निश्चित ही एक दिन समाज को वो सच्चाई बताऊँगा जिसे लोग स्वीकारने से खुद को रोक नहीं पाएंगे | मेरा संघर्ष मेरे देश, मेरे माता पिता और धरती के सभी प्राणियों के लिए है जिससे उन्हें मेरे द्वारा कोई तकलीफ न हो |क्योंकि अगर जीवन का उत्थान समझना है तो देश और समाज का उत्थान समझो | #मेरा संघर्ष आने वाले कल को सुन्दर बनाने का है |
#मेरा संघर्ष आने वाले कल को सुन्दर बनाने का है |
read moreDurgesh Bahadur Prajapati
परिवर्तन की इक नयी पहल... विगुल बज रहा नवपरिवर्तन का मिलकर कदम बढ़ाओ सब, समाज राष्ट्र उत्थान के लिए संग मिलकर जय गाओ सब । संग मिलके जय गाओ सब। समय हो रहा परिवर्तन का मिलकर कदम बढ़ाओ सब... नवल प्रभा की नवल रश्मि से उर्जित तन-मन-प्राण करो, नवयुवा राष्ट्र के जनहित में अब नवयुग की शुरुआत करो। जन-जन में देवत्व जगाओ जनहित का सम्मान करो, प्रश्न उठ रहा मानव समाज में अब तो इक हुंकार भरो। समय हो गया समाधान का मिलके आवाज उठाओ सब, समाज राष्ट्र उत्थान के लिए संग मिलकर जय गाओ सब । मिलके कदम बढ़ाओ सब। -- दुर्गेश बहादुर प्रजापति परिवर्तन की इक नयी पहल...
परिवर्तन की इक नयी पहल...
read moreNarendra Naresh Rawat
महत्वहीन है वो ज्ञान जो स्वयं तक ही सीमित हो जाये।। ज्ञान का वास्तविक महत्व किताबों से बाहर निकलकर व्यवहारिक जीवन में उतरकर समाज के उत्थान से है।। जो ज्ञान अपने अतिरिक्त कुछ और देख नही पाता वह एक दिन नष्ट हो ही जाता है।। जबकि समाज के उत्थान हेतु उपयोग में लाया गया ज्ञान ही स्थायी होता है।। _NARENDRA_SINGH सामाजिक उत्थान से है ज्ञान का वास्तविक महत्व।।
सामाजिक उत्थान से है ज्ञान का वास्तविक महत्व।।
read moreMukesh Poonia
Story of Sanjay Sinha आज मेरे छोटे भाई का जन्मदिन है। मेरा वही भाई जो चार साल पहले मुझे छोड़ कर चला गया, उसका आज जन्मदिन है। मैं चाहूं तो उसके जन्म के एक-एक पल याद कर सकता हूं। मुझे सब कुछ याद है कि कैसे उसके जन्म पर बुआ हंसुआ से थाली बजा रही थीं। कैसे पूरे घर में सब खुशी में डूबे हुए थे। कैसे मैं तालाब के किनारे से दौड़ता हुआ घर को भागा था। मुझे याद है, मेरी चप्पल कहीं छूट गई थी। पर मुझे पता था कि मेरे घर छोटा सा बाबू आया है मेरे लिए। मैंने अपने खिलौने का खूब ध्यान रखा। पर वो भी चार साल
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