Find the Best पीत Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutपीते हैं तो जिंदा है, उसे भी कोई पीता है, पीताम्बर शब्द है, पीताम्बर किसे कहते है, पीता है इंडिया,
Pooran Bhatt
फ़र्ज़ करो हम अहले वफ़ा हों, फ़र्ज़ करो दीवाने हों फ़र्ज़ करो ये दोनों बातें झूठी हों अफ़साने हों फ़र्ज़ करो ये जी की बिपता, जी से जोड़ सुनाई हो फ़र्ज़ करो अभी और हो इतनी, आधी हमने छुपाई हो फ़र्ज़ करो तुम्हें ख़ुश करने के ढूंढे हमने बहाने हों फ़र्ज़ करो ये नैन तुम्हारे सचमुच के मयख़ाने हों फ़र्ज़ करो ये रोग हो झूठा, झूठी पीत हमारी हो फ़र्ज़ करो इस पीत के रोग में सांस भी हम पर भारी हो फ़र्ज़ करो ये जोग बिजोग का हमने ढोंग रचाया हो फ़र्ज़ करो बस यही हक़ीक़त बाक़ी सब कुछ माया हो इब्ने इंशा की कविता..
इब्ने इंशा की कविता..
read moreMukesh Ojha
बसंत आगमन की शुभकामनाऐं। ................................................... पीत पीत हुए पात सिकुड़ी-सिकुड़ी-सी रात ठिठुरन का अन्त आ गया देखो बसन्त आ गया। मादक सुगन्ध से भरी पन्थ पन्थ आम्र मंजरी कोयलिया कूक कूक कर इतराती फिरै बावरी जाती है जहाँ दृष्टि मनहारी सकल स्रष्टि लास्य दिग्दिगन्त छा गया देखो बसन्त आ गया। शीशम के तारुण्य का आलिंगन करती लता रस का अनुरागी भ्रमर कलियों का पूछता पता सिमटी-सी खड़ी भला सकुचायी शकुन्तला मानो दुष्यन्त आ गया देखो बसन्त आ गया। पर्वत का ऊँचा शिखर ओढ़े है किंशुकी सुमन सरसों के फूलों भरा बासन्ती मादक उपवन करने कामाग्नि दहन केशरिया वस्त्र पहन मानों कोई सन्त आ गया देखो बसन्त आ गया।। ####मुकेश ओझा#### वसन्त पंचमी की आपको हार्दिक शुभ कामनाएं #NojotoQuote basant aagman......#####
basant aagman......#####
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 44 - नित्य मिलन श्याम आज बहुत प्रसन्न है। यह आनन्दकन्द - इसके समीप पहुँचते ही दुसरों का विषाद-खिन्न मुख खिल उठता है। जहाँ जाता है, हर्ष-आह्लाद की वर्षा करता चलता है; किन्तु आज तो लगता है जैसे पूर्णिमा के दिन महासमुद्र में ज्वार उठ रहा हो। मैया ने शृंगार कर दिया है। सिर पर तैल-स्निग्ध घुंघराली काली सघन मृदुल अलकें थोड़ी समेट कर उनमें मोतियों की माला लपेट दी है और तीन मयूरपिच्छ लगा दिये हैं। भालपर गोरोचन की खोर के मध्य कुंकुम का तिलक है। कुटिल धनुषाकार सघन भौंहों के नीचे अंजन-रंजि
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 22 - नाम बताओ 'अरे, कौन है? छोड़ भी।' आज तनिक भद्र सखाओं से हटकर तमाल तरु के मूल में आ बैठा था। तमाल की ओट से आकर कन्हाई ने पीछे से उसके दोनों नेत्र अपने करों से बन्द कर लिये भद्र चौंका नहीं; किन्तु उसने अपने दोनों करों से नेत्र बन्द करने वाले के कर कलाइयों से कुछ ऊपर पकड़ लिये। अब यह स्पर्श भी क्या पहिचानने की अपेक्षा करता है? रुनझुन नूपुर भी बजे थे। बहुत सावधानी से आने पर भी कटि की मणिमेखला में कुछ क्वणन हुआ ही था और नन्दनन्दन के श्री अंग से जो उसकी वनमाला में लगी तुलसी का स
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