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Archana Chaudhary"Abhimaan"
यत्र, तत्र, सर्वत्र व्याप्त है तू। फिर क्यों तेरी पूजा, इबादत कहीं जा कर ही जरूरी है। जो नेक राह पर चले अच्छे कर्म करे मानवता के लिए। तो तेरी रहमत होगी,तेरी कृपा बरसेगी। खामखा लोग उलझ रहे। यदि धर्म हमारा सच्चा और अच्छा तो क्यों फैलाए नफरत चारो ओर। क्यों ना बनाए सौहार्द वातावरण। क्यों ना रहे अमन चैन से। क्यों सवाल है बहुत, जवाब है सरल। लेकिन करना और निभाना है मुश्किल। #तत्र
राणा रामकुमार यदुवंशी
अबकी सावन मुझे सावन का इंतिजार नही, तुम यत्र कहो मैं तत्र लिखूं....... सब्द सब्द चुनकर के "राणा"पत्र लिखूं,? कि बिना लिखे ही जीवन को सर्वत्र लिखूं, लिख दु ताजा हाल ए सावन कैसा है.. कि बीत गये यादो के मंजर सत्र लिखूं?? तुम यत्र कहो मैं तत्र लिखू, हरे कृष्ण
हरे कृष्ण
read moreAtul Sharma
*"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता"* *अर्थात जहां "नारी" की "पूजा" होती है वहां "देवता" निवास करते हैं हम ये सब मानते हैं किंतु अपनाते कितना है*... *अब आप कहोगे अब "महिलाओं का सम्मान" भी तो करते हैं उनको उनके "जन्मदिन" पर या "विवाह की वर्षगांठ" पर "उपहार" इत्यादि देते हैं किंतु क्या यह सब पर्याप्त है*... *अब आप ही सोचिए एक महिला अपने "पति" के लिए अपने "पिता" के लिए अपने "पुत्र" के लिए,और अपने "भाई" के लिए क्या क्या नहीं करती है, और आप उसे "एक छोटा सा उपहार" 🎁देकर संतुष्ट मानते हैं स्त्री को" स्वर्ण आभूषण" नहीं चाहिए "महंगे वस्त्र" नहीं चाहिए* *उसे तो चाहिए आपका "सम्मान" सबके सामने भी और" एकांत" में भी उसे चाहिए आपका "समय" उसे चाहिए "आपका समर्पण" और थोड़ा सा "प्रयास" कि आप उसे जता पाए कि आपके जीवन में उनका स्थान और बराबरी का भाव है तभी आप कह पाएंगे* *"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता"*.... Häppý Möťhëř'ş Ďãý 👩👦 ✨🙏🏻👍🏻 Bý-Åťüľ Şhãřmå *"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता"* *अर्थात जहां "नारी" की "पूजा" होती है वहां "देवता" निवास करते हैं हम ये सब मानते हैं किंतु अपनाते कितना है*... *अब आप कहोगे अब "महिलाओं का सम्मान" भी तो करते हैं उनको उनके "जन्मदिन" पर या "विवाह की वर्षगांठ" पर "उपहार" इत्यादि देते हैं किंतु क्या यह सब पर्याप्त है*... *अब आप ही सोचिए एक महिला अपने "पति" के लिए अपने "पिता" के लिए अपने "पुत्र" के लिए,और अपने "भाई" के लिए क्या क्या नहीं करती है, और आप उसे "एक छोटा सा उपहार" 🎁देकर संतुष्ट मानते हैं स्त्री
*"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता"* *अर्थात जहां "नारी" की "पूजा" होती है वहां "देवता" निवास करते हैं हम ये सब मानते हैं किंतु अपनाते कितना है*... *अब आप कहोगे अब "महिलाओं का सम्मान" भी तो करते हैं उनको उनके "जन्मदिन" पर या "विवाह की वर्षगांठ" पर "उपहार" इत्यादि देते हैं किंतु क्या यह सब पर्याप्त है*... *अब आप ही सोचिए एक महिला अपने "पति" के लिए अपने "पिता" के लिए अपने "पुत्र" के लिए,और अपने "भाई" के लिए क्या क्या नहीं करती है, और आप उसे "एक छोटा सा उपहार" 🎁देकर संतुष्ट मानते हैं स्त्री
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