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Harsh Khanna
ऐ नींद कभी ऐसी राह पर ले चल, जहाँ अल्फाज़ो की निन्दा से अलग मैं और माँ का आँचल हो। #yqbaba#yqdidi#नींद#निन्दा
NASAR
निन्दा "उपेक्षा से बेहतर है" उपेक्षा #yqdidi #yqbaba #निन्दा #उपेक्षा
Death_Lover
दोहा दोस पराए देखि करि,चला हसन्त हसन्त, अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत अर्थ इंसान की फितरत कुछ ऐसी है कि दूसरों के अंदर की बुराइयों को देखकर उनके दोषों पर हँसता है, व्यंग करता है लेकिन अपने दोषों पर कभी नजर नहीं जाती जिसका ना कोई आदि है न अंत। ॥मेरे राम॥ ©Himanshu Tomar #मेरे_राम #कबीर #खुद #स्वयं #निन्दा #अन्त #मन #मेरा_मन #दोहा #humantouch
Asheesh Gupta
#चर्चा और #निन्दा,यह केवल सफल व्यक्तियों के भाग्य में होती है, इसलिए #सफर जारी रखिये..!! 🌞🌻।।शुभ प्रभात।।🌻🌞 #शस्त्रमेव_जयते
Rahul Shakya
लोग अक्सर पूछते हैं , तुम्हारी बहुत "निन्दा" हो रही है।। मेरा एक ही जवाब होता है, "निन्दा" उसी की होती है , जो जिन्दा है, तारीफ तो अक्सर मरे हुये की होती है।। इसलिए अपने विश्वास में जीयो...
डॉ. मनोज कुमार "मन"
निन्दा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं। निन्दा खून साफ करती है, पाचन क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है। निन्दा से मांसपेशियां पुष्ट होती हैं। निन्दा पयरिया का तो सफल इलाज है। सन्तों को परनिन्दा की मनाही है, इसलिये वे स्वनिन्दा करके स्वास्थ्य अच्छा रखते हैं। -हरिशंकर परसाई जी कहिन
S❤️P
#सिलसिला आज भी वो ऐ #जारी सै #तेरी याद मेरी #निन्दा पै #भारी सै 😏🙄🙄😑😑😐🤔🤔 यादों का आलम
यादों का आलम
read moreGokul Tapadiya
मेहमान देखकर मान और सम्मान बदल जातें हैं चढ़ावा कम हो तो आशीष और वरदान बदल जाते हैं वक्त पर मन की मनोकामना अगर पूरी न हो तो भक्तों की भक्ति मंदिर और भगवान बदल जाते है लोग अक्सर मुझसे पुछते हैं जगह जगह तुम्हारी बहुत "निन्दा" हो रही है और मेरा एक ही जवाब होता है निन्दा उसी की होती है जो जिन्दा है तारीफ तो हमेशा मरे हुये की होती है बस अपने विश्वास में जियो अच्छे काम करते रहिये चाहे लोग तारीफ करें या न करें क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना ...
Deepak Kumar
“आप को अपने भीतर से ही विकास करना होता है। कोई आपको सीखा नहीं सकता, कोई आपको आध्यात्मिक नहीं बना सकता। आपको सिखाने वाला और कोई नहीं, सिर्फ आपकी आत्मा ही है।” जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता | शक्ति और विशवास के साथ लगे रहो। सत्यनिष्ठा, पवित्र और निर्मल रहो, तथा आपस में न लडो। हमारी जाति का रोग ईर्ष्या ही है। यदि कोई तुम्हारे समीप अन्य किसी साथी की निन्दा करना चाहे, तो तुम उस ओर बिल्कुल ध्यान न दो। इन बातों को सुनना भी महान् पाप है, उससे भविष्य में विवाद का सूत्रपात
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