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काव्य मंजूषा
चंद ही निज़ाम हैं यहाँ वरना हर कोई किसी न किसी का ग़ुलाम है यहाँ यूँ तो सबकी ज़िंदगी में कुछ न कुछ ख़ास है पर किसी किसी की चर्चा-ए-आम है यहाँ रक़बत की अंधी दौड़ में रंजिश ही पालते हैं लोग एक दूसरे का यहाँ एहतराम कहाँ मार-काट, लूट-पाट मची है चारों तरफ़ हरसू सरकार कोई भी आए जाए, इन विकृतियों पर विराम कहाँ सरस्वती और लक्ष्मी की लड़ाई में लक्ष्मी ही जीत रही है सदा ज्ञान-चक्षु जन्म-जन्मांतर से बंद, फिर भी ख़ुद को हर कोई महाज्ञानी समझता है यहाँ इंसान भी कैसा जीव है, मंगल पर जीवन का अंश ढूँढता है पृथ्वी पर पंचतत्व होते हुए भी मची है त्राहि-त्राहि, इसका किसी को संज्ञान कहाँ #writeups #meriqalamse #lifequotes #nojoto #selfmusing #deepthoughts #poetrylove #poeticsoul
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read moreSanju Deswal
#OpenPoetry ज़िंदगी ________ ज़िंदगी तेरा हिसाब गड़बड़ है हसीन तो बहुत है तू फिर भी यहां हर तरफ़ मची एक अजीब सी हड़बड़ है, जिन्होंने कभी स्कूल जाकर भी नही देखा बहुत बार वो ज्ञान की बात कह जाते हैं ओर कुछ पढ़े-लिखे आज भी अनपढ़ हैं, साथ देने की बजाय एक दूसरे को पीछे छोड़ने मे लगे हैं यहां लोग कुछ इस तरह की मची यहां भगदड़ है, सब ज़िंदगी की कश्मकश मे कुछ यूं उलझे हैं के अपनो के लिए वक्त ही नही है ए ज़िंदगी थोड़ा सा अपने गणित मे सुधार कर तेरा तो पूरा हिसाब ही गड़बड़ है। ©SanjuDeswal #OpenPoetry
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