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अदनासा-
स्वयं के अस्तित्व हेतु अपितु धरातल ही चाहिए अतः संसार में समस्त अस्तित्व को स्वीकार कर लिया कर परंतु प्रत्येक प्रश्न का केवल एक उत्तर सरल है अंततः संसार में समस्त का अस्तित्व स्थायी संभव ही नही है। ©अदनासा- #हिंदी #अस्तित्व #स्थायी #संभव #नही #धरातल #अंततः #Instagram #Facebook #अदनासा प्रस्तुत चित्र एवं चित्र पर शब्दों का चित्रण या वैचारिक काव्य का संचालन मूलतः मेरा मोबाइल ही करता है, प्रिय दोस्तों कृपया यह बताएं कि, आपको यह तस्वीर कैसी लगी एवं वैचारिक लेख पर भी आलोचनात्मक टिप्पणी अवश्य करें।💐💐🌹🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳
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read moreBalwant Mehta
हर ओर इम्तिहान से अंततः सुकून मिला दिल को हौसला मिला मुझको हालातों से लडने का। ©Balwant Mehta #udaasi #इम्तिहान #अंततः #हौंसला #दिल #सुकून
Raja Hindustani
*-शब्दों का संसार-* शब्द रचे जाते हैं, शब्द गढ़े जाते हैं, शब्द मढ़े जाते हैं, शब्द लिखे जाते हैं, शब्द पढ़े जाते हैं, शब्द बोले जाते हैं, शब्द तौले जाते हैं, शब्द टटोले जाते हैं, शब्द खंगाले जाते हैं, *#अंततः* शब्द बनते हैं, शब्द संवरते हैं, शब्द सुधरते हैं, शब्द निखरते हैं, शब्द हंसाते हैं, शब्द मनाते हैं, शब्द रूलाते हैं, शब्द मुस्कुराते हैं, शब्द खिलखिलाते हैं, शब्द गुदगुदाते हैं, शब्द मुखर हो जाते हैं, शब्द प्रखर हो जाते हैं, शब्द मधुर हो जाते हैं, *#फिर भी-* शब्द चुभते हैं, शब्द बिकते हैं, शब्द रूठते हैं, शब्द घाव देते हैं, शब्द ताव देते हैं, शब्द लड़ते हैं, शब्द झगड़ते हैं, शब्द बिगड़ते हैं, शब्द बिखरते हैं शब्द सिहरते हैं, *#किंतु-* शब्द मरते नहीं, शब्द थकते नहीं, शब्द रुकते नहीं, शब्द चुकते नहीं, *#अतएव-* शब्दों से खेले नहीं, बिन सोचे बोले नहीं, शब्दों को मान दें, शब्दों को सम्मान दें, शब्दों पर ध्यान दें, शब्दों को पहचान दें, ऊँची लंबी उड़ान दे, शब्दों को आत्मसात करें... उनसे उनकी बात करें, शब्दों का अविष्कार करें... गहन सार्थक विचार करें, *#क्योंकि-* शब्द अनमोल हैं... ज़ुबाँ से निकले बोल हैं, शब्दों में धार होती है, शब्दों की महिमा अपार होती, शब्दों का विशाल भंडार होता है, *और सच तो यह है कि-* *शब्दों का अपना एक संसार होता है* ©Raja Hindustani #CityEvening
राठौड़ मुकेश
ललचाती, सकुचाती,सीखाती, भरमाती,इठलाती, अंततः, सुस्ताती चीर निंद्रा!! जीवन यात्रा। अंदाज अलग, भागमभाग, चैन औ सुकूं की, अंततः, नींद उड़ाती!! जीवन यात्रा। अनुभव बांटे, भविष्य को बांचती, वर्तमान भुलाती, अंततः, मन भटकाती!! जीवन यात्रा। कहकहे लगाती कभी, मन कचोटती कभी, हंसाती कभी, रुलाती, अंततः, मिट्टी मिश्रित होती!! जीवन यात्रा। #lifepoetry
Shubham Sagar
मारा मुल्क आर्यावर्त जो कभी अपने अलौकिक ज्ञान से दूसरों को प्रकाशित करता था जो अपनी एतिहासिक विरासत के कारण विश्व में प्रसिद्ध था अपने विद्या एवं दर्शन से संपूर्ण विश्व में ज्ञान का दीप जलाता था एवं अपनी अद्वितीय छवि से पूरे विश्व पटल पर अपना नाम अंकित कर चुका था। बदलते समय ने इसका स्वरूप भी बदल दिया और इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाने लगा आर्यावर्त में अधिक समृद्धि एवं धन होने के कारण इसे सोने की चिड़िया तो दूसरी तरफ अधिक ज्ञानी एवं शिक्षित होने के कारण इसे आर्यावर्त की संज्ञा दी गई इन नायकों ने अपने आलोक से पूरी दुनिया को आलोकित कर दिया। पर समय ने ऐसा करवट बदला की सब कुछ बदल गया विश्व गुरु कहलाने वाला आर्यावर्त धीरे-धीरे पराधीन हो गया विदेशी शासकों के लालची निगाहों ने स्वतंत्र सोने की चिड़िया को पिंजरे में कैद कर दिया फिर यहां के धन और दौलत को लूटना और धीरे-धीरे अपना वर्चस्व कायम से करना शुरू कर दिया। और अंततः आर्यावर्त पूरी तरह जंजीरों में जकड़ा चुका था। तथा जहां से निकल पाना मुश्किल था अंग्रेजों के कुदृष्टि यहां के हंसते खेलते धनसंपदा पर पड़ी और भिखारी की भांति दोनों हाथ फैलाते हुए हमारे देश में व्यापार की भीख मांगी आर्यावर्त ने हमेशा अपने सुपुत्र को प्रेम एवं दया का पाठ पढ़ाया इसी गुणगान के कारण हमने उन्हें रोजगार दिया। पर किसे मालूम था कि एक दिन इनका रोजगार हमें बेरोजगार कर देगा सर्वप्रथम उन्होंने हमारी एकता को खंडित किया तथा हमारे धन संपदा एवं अंत में हमें ।सब कुछ छीन लिया। आर्यावर्त की भूमि जो अतीत में हरियाली से सुशोभित थी अब उस पर लालिमा छा चुकी थी यहां की सारी शक्तियां ब्रिटेन के हाथों में थी आर्यावर्त उसका गुलाम हो चुका था चारों तरफ तबाही का मंजर था परंतु कहीं ना कहीं आर्यावर्त के सुपुत्र के दिल में आग की चिंगारी सुलग रही थी यह चिंगारी सन 18 सो 57 में एक दावानल की भांति पूरे भारत में फैल गई परंतु सही दिशा ना मिलने के कारण यह आग कुछ ही क्षणों के बाद धीमी हो गई क्योंकि इन में एकता की कमी थी।। परंतु क्रांतिकारियों ने इस आग को बुझने नहीं दिया वे परिस्थिति को परख चुके थे महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस भगत सिंह एवं सरदार पटेल इत्यादि ने देश प्रेमियों के दिलों में धधक रही आग को बुझने नहीं दिया। वे उन्हें सही दिशा दिखाने के प्रयास में जुटे रहे शायद अंततः उन्हें सही दिशा मिल चुकी थी और बस बाकी था इसका विस्फोटित होना।। इस प्रकार संघर्ष करने के उपरांत 14 अगस्त 1947 ईसवी के अर्धरात्रि को शताब्दियों के खोई हुई स्वतंत्रता भारत को पुनः प्राप्त हो गई हमने भारत माता को गुलामी की जंजीर से मुक्त तो करवा दिया परंतु अपने स्वार्थ के लिए इसके अंग को हिंदुस्तान पाकिस्तान एवं बांग्लादेश आदि राष्ट्रों में विभाजित कर दिया । प्रस्तुतकर्ता:- Shubham S 15 Aug ki हार्दिक शुभकामनायें
15 Aug ki हार्दिक शुभकामनायें
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