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Abundance

#मेरे लोग 🤗🤗😊😊

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रामाश्रित

आपका नाम ही 
सांस बन जाये
आपके दर्शन ही
आस बन जाये
खुसी आप,आप
निराश बन जाये
भक्तो के लिए बने हो
रामाश्रित के लिए भी
 काश बन जाये

🙏समर्पणम🙏

©रामाश्रित #SunSet #आश्रित #रामाश्रित

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

Parul Sharma

#कुछ_लोग_ऐसे_भी आजकल सझने व समझाने वाला जमाना ही नहीं रहा या फिर लोगों की बर्दाश्त करने की क्षमता कम हो गयी है या फिर लोग एकाकी जीवन व्यतीत करना चाहते है। वो किसी दुसरे का बजूद वर्दाशत नहीं कर पाते और दूसरे को मानना में उनकी इज्जत घटत है। जो संबल है, प्रबल है, ओहदेदार है, कमाते है वो अपने पर आश्रित लोगों का जीवन जीना दुश्वार कर देते है क्यों कि वह खुद को सर्व गुण सम्पन्न और कोई न गलती करने वाला समझते है और गलती हो भी जाये तो उसे बार बार दोहराते है ये जता कर कि उन्हे गलतियां करने का पूरा का पूरा

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आजकल सझने व समझाने वाला जमाना ही नहीं रहा या फिर लोगों की बर्दाश्त करने की क्षमता कम हो गयी है या फिर लोग एकाकी जीवन व्यतीत करना चाहते है। वो किसी दुसरे का बजूद वर्दाशत नहीं कर पाते और दूसरे को मानना में उनकी इज्जत घटत है। जो संबल है, प्रबल है, ओहदेदार है, कमाते है वो अपने पर आश्रित लोगों का जीवन जीना दुश्वार कर देते है क्यों कि वह खुद को सर्व गुण सम्पन्न और कोई न गलती करने वाला समझते है और गलती हो भी जाये तो उसे बार बार दोहराते है ये जता कर कि उन्हे गलतियां करने का पूरा का पूरा अधिकार प्राप्त है  और उन पर आश्रित लोग उनके गुलाम है जिन्हें उनके हर फैसले को माना उनका धर्म उन्हें बिना सोचे समझे उनकी हर बात को मानना होगा  यहाँ समझने का ठीकरा केवल एक ही पर नहीं थोपा जा सकता दोंनों तफ से  कोई समझने वाला भी तो होना चाहिये। समय और इज्जत तो सबको चाहिये पर दुसरे की बात और मौजूदगी किसी को बर्दाशतल नहीं एसे में समझना समझाना पत्थर पे सिर मारना है 
      पारुल शर्मा #कुछ_लोग_ऐसे_भी
आजकल सझने व समझाने वाला जमाना ही नहीं रहा या फिर लोगों की बर्दाश्त करने की क्षमता कम हो गयी है या फिर लोग एकाकी जीवन व्यतीत करना चाहते है। वो किसी दुसरे का बजूद वर्दाशत नहीं कर पाते और दूसरे को मानना में उनकी इज्जत घटत है। जो संबल है, प्रबल है, ओहदेदार है, कमाते है वो अपने पर आश्रित लोगों का जीवन जीना दुश्वार कर देते है क्यों कि वह खुद को सर्व गुण सम्पन्न और कोई न गलती करने वाला समझते है और गलती हो भी जाये तो उसे बार बार दोहराते है ये जता कर कि उन्हे गलतियां करने का पूरा का पूरा

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 7 – धर्म-धारक 'आज लगभग तेंग का पूरा परिवार ही नष्ट हो गया।' बात मनुष्यों में नही, देवताओं में चल रही थी। 'वह कृष्णवर्णा दीर्धांगी कंकालिनी लताकण्टकभूषणा चामुण्डा किसी पर कृपा करना नहीं जानती। उसने मेरी अनुनय को उपेक्षा के निष्करुण अट्टहास में उड़ा दिया। आप सब देखते ही हैं कि किस शीघ्रता से वह प्राणियों के रक्त-माँस चाटती जा रही है।' 'तुम्हारे यहाँ तो अद्भुत सुइयाँ एवं ओषधियाँ लेकर एक पूरा दल चिकित्सकों का आ गया है।' दूसरे देवता ने अधिक खिन

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
7 – धर्म-धारक

'आज लगभग तेंग का पूरा परिवार ही नष्ट हो गया।' बात मनुष्यों में नही, देवताओं में चल रही थी। 'वह कृष्णवर्णा दीर्धांगी कंकालिनी लताकण्टकभूषणा चामुण्डा किसी पर कृपा करना नहीं जानती। उसने मेरी अनुनय को उपेक्षा के निष्करुण अट्टहास में उड़ा दिया। आप सब देखते ही हैं कि किस शीघ्रता से वह प्राणियों के रक्त-माँस चाटती जा रही है।'

'तुम्हारे यहाँ तो अद्भुत सुइयाँ एवं ओषधियाँ लेकर एक पूरा दल चिकित्सकों का आ गया है।' दूसरे देवता ने अधिक खिन

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते


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