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Deepak Kumar Katariya
संसार में किसी को भी अनुकूल करने..!! #संसार #में #किसी #को #भी #अनुकूल #shortshorts #Shorts #motivations #d.K.K
read moreLOL
कुछ तो चाह के अनुकूल हो तुम से भी प्रेम की भूल हो नेह की कभी तो बारिश हो मृत इन पीड़ाओं की धूल हो.. ©KaushalAlmora #अनुकूल #चाह #रोजकाडोजwithkaushalalmora #yqdidi #yqlove #love #प्रेम #365days365quotes
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read moreआयुष पंचोली
जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते हैं, तो वह स्वतः ही हमारी और आकर्षित होने लगती हैं। और उसी के अनुकूल परिस्थितियाँ भी स्वतः ही होती चले जाती हैं। सबकुछ भाव के ही अधीन हैं, ईश्वर भी भाव के ही वश मे होता हैं। जिसका भाव शुद्ध और परमार्थ को साधने वाला होता हैं, उसे कभी किसी चीज की कामना करनी ही नही पड़ती। और एक कटु सत्य यह भी हैं की, जैसे ही कोई व्यक्ति परमार्थ का मार्ग चुनता हैं, सबसे पहले उसका परिवार ही उसका विरोधी हो जाता हैं। और आश्चर्य की बात यह हैं की, परमार्थ के मार्ग पर चलने वाले की दुश्मन दुनिया हो जाती हैं, मगर ईश्वर और प्रकृति उसके अनुकूल हो जाते हैं। इसलिये शायद हम ना ही कर्ता हैं, ना ही कारक, हम सिर्फ निमित्त मात्र हैं। उसके कार्य के जिसने इस सकल सृष्टि की रचना की हैं।🙏🙏 ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते हैं, तो वह स्वतः ही हमारी और आकर्षित होने लगती हैं। और उसी के अनुकूल परिस्थितियाँ भी स्वतः ही होती चले जाती हैं। सबकुछ भाव के ही अधीन हैं, ईश्वर भी भाव के ही वश मे होता हैं। जिसका भाव शुद्ध और परमार्थ को साधने वाला होता हैं, उसे कभी किसी चीज की कामना करनी ही नही पड़ती। और एक कटु सत्य यह भी हैं की, जैसे ही कोई व्यक्ति परमार्थ का मार्ग चुनता हैं, सबसे पहले उसका परिवार ही उसका विरोधी हो जाता हैं। और आश्चर्य की बात यह हैं की, परमार्थ के मार्ग पर चलन
जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते हैं, तो वह स्वतः ही हमारी और आकर्षित होने लगती हैं। और उसी के अनुकूल परिस्थितियाँ भी स्वतः ही होती चले जाती हैं। सबकुछ भाव के ही अधीन हैं, ईश्वर भी भाव के ही वश मे होता हैं। जिसका भाव शुद्ध और परमार्थ को साधने वाला होता हैं, उसे कभी किसी चीज की कामना करनी ही नही पड़ती। और एक कटु सत्य यह भी हैं की, जैसे ही कोई व्यक्ति परमार्थ का मार्ग चुनता हैं, सबसे पहले उसका परिवार ही उसका विरोधी हो जाता हैं। और आश्चर्य की बात यह हैं की, परमार्थ के मार्ग पर चलन
read moreअनुराग चन्द्र मिश्रा
ज़िंदगी में हर अगला कदम बढ़ाने से पहले ख़ुद के अनुकूल अगले 16 कदम.. ख़ुद के प्रतिकूल अगले 64 कदम को ध्यान में रखना चाहिए #ज़िंदगी में हर अगला कदम बढ़ाने से पहले ख़ुद के #अनुकूल अगले 16 कदम ख़ुद के #प्रतिकूल अगले 64 कदम को ध्यान में रखना चाहिए #nojoto #nojotohindi
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read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 11 - वीरता का लोभ शरद् की सुहावनी ऋतु है। दो दिन से वर्षा नहीं हुई है। पृथ्वी गीली नहीं है; परंतु उसमें नमी है। आकाश में श्वेत कपोतों के समान मेघशिशु वायु के वाहनों पर बैठे दौड़-धूप का खेल खेल रहे हैं। सुनहली धूप उन्हें बार-बार प्रोत्साहित कर जाती है। पृथ्वी ने रंग-बिरंगे पुष्पों से अंकित नीली साड़ी पहन रखी है। पतिंगे के झुण्ड दरारों में से निकल कर आकाश में फैलते जा रहे हैं। आमोद और उत्साह के पीछे मृत्यु के काले भयानक हाथ भी छिपे हैं, इसका
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 6 – पूर्णकाम ‘तृष्णाक्षये स्वर्गपदं किमस्ति' 'देवाधिप की मुखश्री आज म्लान दीखती है!' सुरगुरु ने अमरों की अर्चा स्वीकार कर ली थी और महेन्द्र से अभिवादित होकर वे सिंहासन पर बैठ चुके थे। इन्द्र एवं अन्य देवताओं ने भी आसन ग्रहण कर लिया था। 'सुधर्मा सभा में आज चिन्ता की अरुचिकर गन्ध है।'
read moreMk Premalatha
[एन] हॉरोस्कोपो पैरा हो गया 27/02/2018 एआरआईएस मोहब्बत। ऐसा लगता है कि ऐसी चीजें हैं जो आपको समय तक पहुंचने और ब्रह्मांड को नामित करने के लिए बनाई गई हैं। आप आमतौर पर शाश्वत प्रेम के बारे में अपनी कल्पनाओं को माउंट करते हैं। आपका आदर्श रिश्ता दो पिशाचों की तरह होगा, जिससे आप जीवन को एक साथ रख सकते हैं और रक्त के प्रति प्रतिबद्धता प्राप्त कर सकते हैं। वास्तविक जीवन थोड़ा अलग है, अपनी कल्पनाओं को अलग रखें और आपके पास क्या अनुकूल है। क्या होगा, समाप्त हो रहा है पैसा और काम कल के मुकाबले काम के द
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