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शुभ'म
चलो अब कसम से इस दिल के अन्धरों में ! मोहब्बत का कुछ चिराग जलाते चलते हैं !! समा को रौशन करती दुआ की रोशनी जो ! अब खुद को खुदा की रोशनी से इश्क कराते चलतें हैं !! बिखरनें को है कुछ नही समा में सवरनें के अलावा ! अब अपनें संवरनें को उसके सब्रने से इजहार कराते चलतें हैं !! इक करार तो है ही अब शायद सन्धि भी हो जाए उससे ! चलो अब कुछ देर में खुद को अपनें महबूब से मिलातें चलतें हैं !! -Sp"रूपचन्द्र" ©Sp"रूपचन्द्र"✍ #सन्धि ,#इजहार #Sunrise
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 14 – ममता 'मैं अरु मोर तोर तैं माया। जेहि बस कीन्हे जीव निकाया।।'
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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 2 - शरण या कृपा? 'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्ह
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।।श्री हरिः।। 21 - मुझे ढूंढो लुका-छिपी का खेल जब खेला जाय, कन्हाई समझ ही नहीं पाता कि उसे छिपे रहना चाहिए और ढूंढने वाले से बोलना नहीं चाहिए। यह तो छिपने के स्थान से निकलकर पुकारेगा - 'मुझे ढूंढ।' श्रुतियों और योगीन्द्र-मुनीन्द्र युग-युग से ढूँढते होंगे इसे और समस्त साधकों का यही अन्वेष्य होगा, यह भिन्न बात है - उन्हें न मिलता होगा; किन्तु गोपकुमारों के लिए - प्रेमैकप्राण जनों के लिए तो यह कभी छिपा नहीं रहा किं इसे ढूँढा जाय। उनसे इसे छिपना आता ही नहीं है। कन्हाई छुपा ही हो तो कौन ढूँढकर पाव
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|| श्री हरि: || 2 - शरण या कृपा? 'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्हा सुकुमार लाल चमत्कार क्या जाने। यवनों के
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