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REETA LAKRA
एक व्यक्ति होटल में खाना खाने गया। बगल की मेज पर दूसरा व्यक्ति बैठा था। पहले ने उसे अपनी मेज पर बुलवाया, बैठाया, खाना मंगवाया । खाना खाते हुए दूसरे के हाथ कांप रहे थे, खाना खत्म करते ही वह सर नवाकर आनन फानन में निकल गया। पहले के साथ वाले ने कहा - इतनी जल्दबाजी में चला गया, बीमार होगा, मैंने उसके कांपते हाथ देखे थे. .. .. पहले ने मुस्कान बिखेरते हुए उत्तर दिया - ऐसा नहीं है। यह उस जेल का जेलर है जहाँ मुझे कैद रखा गया था। इसने जेल में मुझे अत्यधिक प्रताड़ित किया था। मुझे जब प्यास लगती थी, यह मेरे मुंँह में पेशाब किया करता था। आज मैं राष्ट्रपति हूँ। उसे सजा का भय था इसलिए उसके हाथ कांप रहे थे। पर मैं बदला लेने वालों में से नहीं। ये पहले व्यक्ति थे - नेलसन मंडेला।। 🙏 ३७६/३६६ बदले की भावना, मानवता का विनाश करती है। धैर्य और सहनशीलता, विकास और उन्नति लाती है। #महापुरुष yreeta-lakra-9mba
बदले की भावना, मानवता का विनाश करती है। धैर्य और सहनशीलता, विकास और उन्नति लाती है। #महापुरुष yreeta-lakra-9mba
read moregopal Bajag
Jai bhim 🇪🇺 b #महापुरुष #महापरिनिर्वाण_दिन #संविधान #भीमराव_अंबेडकर बाबा, शत-शत तुम्हें प्रणाम, भारत की पावन गाथा, में अमर तुम्हारा नाम। माता श्रीमती भीमाबाई,
#महापुरुष #महापरिनिर्वाण_दिन #संविधान #भीमराव_अंबेडकर बाबा, शत-शत तुम्हें प्रणाम, भारत की पावन गाथा, में अमर तुम्हारा नाम। माता श्रीमती भीमाबाई,
read moreRajeev namdeo "Rana lidhori"
खामोश रहकर भी बहुत कुछ बोला जा सकता है। महापुरुष हमेशा बहुत कम बोलते है और अधिक से अधिक खामोश रहते है!! &&& राजीव नामदेव राना लिधौरी :-टीकमगढ़ (म.प्र.) 9893520965 #खामोश #महापुरुष #राना_लिधौरी #राजीव_नामदेव #Rajeev_namdeo #Ranalidhori
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 4 – कर्म 'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के करने से पाप होता है और कुछ के न करने से।' धर्मराज अपने अनुचरों को समझा रहे थे। 'कर्म संस्कार का रूप धारण करके फलोत्पादन करते हैं। संस्कार होता है आसक्ति से और आसक्ति क्रिया एवं क्रियात्याग, दोनों में होती है। यदि आसक्ति न हो तो संस्कार न बनेंगे। अनासक्त भाव से किया हुआ कर्म या कर्मत्याग, न पुण्य का कारण होता है और न पाप का।' बड़ी विकट समस्या थी। कर्म के निर्ण
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 15 - राधे-श्याम का कुआँ 'इस कुऐँ में राधेश्याम कहना होता है। राधेश्याम कहो।' मेरे साथी ने मुझे प्रेरित करते हुए स्वयं कुएं में मुँह झुकाकर बड़ी लम्बी ध्वनि से कहा 'रा-धे-श्या-म।'
read moreGudia Gupta
अच्छा रहा जीवित नहीं देश के महापुरुष देख कर जीवित न रहते देश के महापुरुष हो रही है लूट-पाट देश में बेईमानियां स्वार्थ कारण बन रहा बुराई की निशानियां दे कर हमें हाथ में देश की आज़ादियां चले गए वो स्वर्ग को छोड़ कर निशानियां गए थे बनाकर वे इस देश का भविष्य नोंचते भविष्य देश का अपनों की ये टोलियां सीख कुछ उनसे भी तू जो देश के खातिर मरे आपस में लड़ता रहे दुश्मन इसी की ताक में एकता को तोड़ने में दुश्मन इसी फ़िराक में न कर उन्हें बुलंद तू जवाब दे चालाक से प्रेरणा तुझे मिले छोड़ गए पदचिह्न को तू सोच कर विचार कर देख ले पदचिह्न को हौंसला बुलंद कर आरम्भ कर इस राह को देश को सफल बना कर तू हासिल जीत को हौसला बुलंद कर,कर तू हासिल जीत को हौसला बुलंद कर हौसला बुलंद कर 'शिखा' #हौसलाबुलंदकर#peom#hindipoem#nojotohindi#Gudiagupta
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 10 – अनुगमन 'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात् पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी। थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु
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