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BANDHETIYA OFFICIAL
White पहली बार जुग जाये मेरी मुखरता मैंने लो, मतदान किया। ऐसा कि किया न, रहा हूं अबतक करता,, मैंने लो ,मतदान किया। लब पे उनके बेमतलब की बातें सुंदर, पाबंदी हो हाय लगी अपने जी लब पर, फिर कुंठा की शिकार दिमागी प्रखरता, मैंने लो, मतदान किया। बेढ़ंगे बोलों पर,करतब पर कुछ ढब के - अपने भी हाजिर, जाहिर हों रंग अबके, छा जाये गति,विधि,गतिविधि पे सुंदरता, मैंने लो, मतदान किया। ©BANDHETIYA OFFICIAL #मुखर रहूं बस।
#मुखर रहूं बस।
read morePallavi Kumari
ये शांत झील खामोशी से कुछ कहती है सुनो तो सही ये तुमसे ही बातें करती है ©Pallavi Kumari #मुखर खामोशी
#मुखर खामोशी
read morepankaj
तो कैसा गुज़रा यह साल तुम्हारा?? मेरे लिए तो थोड़ा उतार चढाव से भरा रहा। कुछ अपनों को दुनिया से विदा किया तो कुछ को ज़िन्दगी से हालाँकि बहुत चीज़ें अच्छी भी हुई जिनसे ज़िन्दगी बैलेंस से चल रही है पर अब नए साल से नई उम्मीदें हैं। ग़म और ख़ुशी तो ज़िन्दगी में होंगे ही बस हिम्मत और हौंसला बरक़रार रहे। आपका क्या हाल रहा बताइयेगा। #मुखर ©Humari Adhuri Kahani #Dark
pankaj
Uksssc💔 बरसों तलक एक ख़्वाब सजाये बैठे थे घर के अन्दर किताबों के बीच ख़ुद को बंद कर लिया था सोचा था, अगर एक बार यह एग्जाम निकल जाए तो माँ की उम्मीदें पिताजी का ख़्वाब भाई बहनों के सपने सब पूरे कर देंगे पर कहाँ जानते थे हमारे सपनों को जलाने वाले लोग मौजूद हैं यहाँ हमारी पढ़ाई पर रिश्वत के पैसे भारी पड़ गए हम घर में ही रह गए और नौकरी लेकर चोर नौकरी वाले हो गए। #मुखर ©pankaj sonu #Photos
Bhaskar Anand
गाँव मे शहर "मुझे पता था ऐसा होने वाला है। जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबकुछ शान्त सा दिख रहा था। अभिनय के अंतिम चरण में समय का चक्र गतिमान लग रहा था, और माया प्रभावी। मैं नहीं चाहता था कि मेरे अकस्मात से कोई प्रभावित हो लेकिन ये हो न सका। सभी माया में संबंध के मायावी प्रलोभन में आसक्त थे। मुझे भी सब याद आ रहा है, कभी भी मैं कूच कर सकता हूँ, लेकिन ये पलायन नहीं था, ये स्वाभाविक और स्वीकार्य था। जीवन के गंतव्य के प्रभंजन से कौन बच सका था अबतक, स्वयम्भू भी उसके गत्य से खुद को अलग नहीं कर सके जब।" मैं खो सा गया थ
"मुझे पता था ऐसा होने वाला है। जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबकुछ शान्त सा दिख रहा था। अभिनय के अंतिम चरण में समय का चक्र गतिमान लग रहा था, और माया प्रभावी। मैं नहीं चाहता था कि मेरे अकस्मात से कोई प्रभावित हो लेकिन ये हो न सका। सभी माया में संबंध के मायावी प्रलोभन में आसक्त थे। मुझे भी सब याद आ रहा है, कभी भी मैं कूच कर सकता हूँ, लेकिन ये पलायन नहीं था, ये स्वाभाविक और स्वीकार्य था। जीवन के गंतव्य के प्रभंजन से कौन बच सका था अबतक, स्वयम्भू भी उसके गत्य से खुद को अलग नहीं कर सके जब।" मैं खो सा गया थ
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