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Pankaj Singh
नफरतों के शहर में चालाकियों के डेरे हैं... यहाँ वो लोग रहते हैं, जो तेरे मुँह पर तेरे हैं और मेरे मुँह पर मेरे हैं.... ©Pankaj Singh #नफरतो #शहर #चालाकी
शिवानन्द
चलो #प्यार को हम ,उस #ऊँचाई तक लेकर जाये 👇 #नफरतो की आग बुझा कर, प्यार के बीज बो जाये🙏🙏 #मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर प्यारे #नदान_परींदा #india #yqbaba #yqdidi #hindi #love
Nirankar Trivedi
सच्चे प्रेम की चादर में कोई दाग न मिला, ओढ़ ली ये चादर तो दुनिया से है न कोई गिला | सूरत और सीरत को समझने का एहसास मिला, नफरतों के अंधेरों में भी मुझको तेरा अंधा प्यार मिला | #नफरतो के अंधेरों में भी मुझको तेरा ही अंधा प्यार मिला |
#नफरतो के अंधेरों में भी मुझको तेरा ही अंधा प्यार मिला |
read moreraj chauhan
नफरतो की बात करते हो, नफरतो की बात करते हो, हमने तुफानो से लड़के, अपना ये आशियाँ बनाया है। #तुफानोकीबात
Shivam Pandey
नफरत की आग नफरतो की आग ऐसी लगी ' सारे रिश्ते जलकर राख़ हो गए ! वैसे तो बहुत यकीन था उसको मुझपर" फिर भी हम धोकेबाज हो गए !! #गुमनामSAYAR!! #नफरतो की आग 🔥🔥
#गुमनामSAYAR!! #नफरतो की आग 🔥🔥 #विचार
read moreMahir sayar
नफरत की आग हसीन पल होता था मुस्कुराते हम भी थे रातो को चैन से सोते और सपने सजाते हम भी थे पता नही किस तरह नफरतो की आग लगी हमारे दरमियान हम बिछड़ गए वरना किसी को जिंदगी बताते हम भी थे #नफरतो की #आग
bezubaan parinda
नफ़रत नफरतो का एक हक मुझे अदा कर मेरे मालिक। जो मैं दिखा ना सकी , मैं कहै ना सकी मेरी खामोशी उसकी ताकत बनी।।। उतार दे उसका एहसान।। जो कर सकूं बगावत उसे,बहौत खामोशी से आपने अन्दर ही बिखर के फिर समेटती हु।। बता सकू अपनी नफरत उसे,तोड़ सकू गुरूर उसका उसका एहसान उतार दे मालिक नफरतो का एक हक मुझे अदा कर दे मेरे मलिक।।। #नफ़रत #nojoto
#नफ़रत nojoto
read moreNidhi Srivastava
"बक्श दो इनको , ये कहाँ जायेगे मासूम फ़रिश्ते है, झुलस जाएंगे l मत भरो अपनी नफरतो का जहर इनके मुलायम दिल पे, वरना चुभती साँसो - दुखती धड़कन से इतर अापकी तरह ये भी कुछ और नहीं पाएंगे बक्श दो इनको ये कहाँ जायेगे मासूम फ़रिश्ते है झुलस जाएगे ll है उजालों से भरे , "ये "रौशनी के दिये तुम्हारी नफरतो से मगर कल, ये घर भी जलाएंगे थमा रहे है 'जो' आज खंजर नन्हे हाथो मे, उन्हें ये याद रहे "उसके" इन्साफ मे क़ातिल तो "वो ही "कहलाएंगे बक्श दो इनको ......... लकीरें पीटने की आदत ही पड़ गई हो जिन्हे नये ढंग से जीने का सबब कैसे पायेंगे जिन्दा इंसानो से ज़ियादा मुर्दो की फिकर है जिनको कल की तस्वीर मे नये रंग कैसे लाएंगे है गुजरे ज़माने से मुहब्बतों की दीवानगी जिनको हर नये आज मे वो सिर्फ "इतिहास" ही दोहरायेगे!! बक्श दो इनको ये कहा जाएगे, मासूम फ़रिश्ते है झुलस जायेगे l बक्श दो इनको...
बक्श दो इनको...
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