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Mukesh Poonia
यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, "क्युकी" लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं। . ©Mukesh Poonia यदि कोई तुम्हें #नजरअंदाज कर दे तो #बुरा मत मानना, "क्युकी" लोग #अक्सर #हैसियत से बाहर #मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं।
Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777
आज-कल ये खुदा मंहगी से मंहगी घड़ी सभी को दो मगर दुःखों बाली घड़ी किसी को भी ना दो उनकी तलाश इन आँखों को By अरुण चक्रवर्ती
आशीष गर्ग 'रायसाहब'
#आशु #स्वरचित #आम_आदमी मैं कोई शायर नही जिसकी शायरी पर वाहवाही हो मैं कोई नेता नही जिसके #भाषण पर तालियां हो मैं कोई अभिनेता नही जिसकी एक्टिंग पर सीटियां बजें मैं कोई आशिक़ नही जिसपर कहानी लिखी जाए मैं हूँ एक आम इंसान जिसकी पूछ परख कहीं भी नहीं जानता नहीं जिसे कोई रोज जूझता है जो बाजारों से हर चीज बाजार की जिसे मंहगी लगने लगी है बस अपनी ही मेहनत उसे अब छोटी लगने लगी है मैं वो किसान हूँ , जिसे #फसल का भाव नही मिलता मैं वो दुकानदार हूँ जो रोज मन्दी की मार झेलता है मैं वो #तरकारी वाला हूँ जिसका ठेला भरा का भरा रह जाता है मैं वो ग्राहक हूँ जो अपनी ख्वाहिशों को मार देता है मैं वो पागल इंसान हूँ जो #बिजली का बिल ज्यादा आने पर भी भर देता है मैं वो बेख्याल हूँ जो 1.5Gb नेट में सब भूल जाता है जो हो रहा है आजकल देख कर भी आंखे मूंद लेता है मैं वही आदमी हूँ जो #ट्रैफिक पुलिस को देखकर राह बदल लेता है मैं वही इंसान हूँ जो घूमता है बाजारों में खानाबदोश सा घर से लंबी लिस्ट बना समान अपनी जेब के हिसाब से खरीदता है झूठ बोल देता हूँ घर पर की ये समान मिला ही नही बाजार में मैं वही हूँ जो मुस्कुरा देता हूँ अपने बच्चों का चेहरा देखकर भूल जाता हूँ मैं अपना हर गम ,शिकवे शिकायतें ,सब चाहतें मैं वही तो हूँ जो टूटी हुई चप्पलों से साल गुजार देता है लेकिन अपनी बेटी को बाजार से महंगे सैंडल दिलवा कर लाता है बात करता हूँ मंहगी शिक्षा की लेकिन अपने बच्चे सरकारी में पढ़ाता है अरे वही तो हूँ जो 370 हटने की खुशी मानता है लेकिन वो भी हूँ जो ट्रैफिक के मंहगे चालानों से डरता है कौन पूछता है मुझे इस शहर की भरी हुई सड़कों पर लेकिन चुनावों के वक़्त नेता लोग से तलवे चटवाता है बाद में वो घास न डालें लेकिन इतने में ही खुशी मनाता है मैं कौन हूँ ये तो मैं भी नही जानता सरकार कहती है की मैं एक आम आदमी हूँ हाँ मैं हूँ आम जो खास आदमियो के काम आता है सड़को पर आजकल धरने प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है परवाह किसीको नही मेरी लेकिन हर जगह बात मेरी ही होती है #संसद में बातें आम आदमी की भलाई की होती है भला तो लेकिन मालूम है सबको किसका हो रहा है मैं हूँ या नहीं हूँ फर्क किसको पड़ता है यहां मेरे मरने पर कौन इक्कीस #तोपों की सलामी देगा मिल जाएं चार कंधे इतना ही मेरे लिए काफी है जय हिंद #copyright #ashish_kumar #आदमी
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