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कहीं धुआँ छंटा, था कुछ नहीं एक खयाल, पता कुछ नहीं

कहीं धुआँ छंटा, था कुछ नहीं
एक खयाल, पता कुछ नहीं
कब बिछड़े दो जिस्म एक जान
यूँ ही बेवजह, खता कुछ नहीं
अब ना सफर रहा, ना उम्मीद कोई
दिल तड़प रहा, सज़ा कुछ नहीं
की कहीं धुआँ छंटा, था कुछ नहीं

©paras Dlonelystar
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