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पर्वतों के बीच में नदी है मनोहर कल कल करती बह रही

पर्वतों के बीच  में नदी है मनोहर
कल कल करती बह रही निरंतर
निर्मल जल शीतल अथाह चंचल
बदल रहा निज स्वरूप पल पल
विह्वल हो निहारता अंबर  छवि 
झांकता मेघों से इसको देखो रवि
लज्जा भरी हुई  प्रकृति आनंदित
देख रहा है कवि होकर प्रसन्नचित

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #नदी