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221 2121 1221 212 दुश्वारियां ये दिल कि तम

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दुश्वारियां  ये  दिल कि तमन्ना   बदल  न  दे
इंसान   हूँ   मेरा  ये   नजरिया  बदल  न  दे

अपना खुदा यूँ मान लिया तुझे दिल ने अब
मत कर सितम यूँ इसपे वो खुदा बदल न दे

कर धोखे  जितने चाहे  मगर बात याद रख
खुदा  कहीं  तेरा  यूँ  वो  मोहरा  बदल न दे

ज़ुल्मो सितम ये  चलते नहीं  देर तक कभी
कर ना गुमान अब तू  वो रिश्ता  बदल न दे

छुपा  ले  लाख  झूठ  तू परदे के  पीछे अब
दुआ  कही  किसी की  वो  मुद्दा बदल न दे
          ( लक्ष्मण दावानी )
30/11/2016

©laxman dawani
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