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चलो आज लिखते हैं , जिंदगी की किताब। क्या खोया, क्

 चलो आज लिखते हैं , जिंदगी की किताब।
क्या खोया, क्या पाया, करते हैं हिसाब ।

चलो गिनती करते हैं,कितने टूटे हैं ख्वाब।
कितने बिछड़े अपने, कितने हुये बेनकाब।

थामा के रखा किसने, वक्त पड़ने पर हाथ।
मुश्किल राहों पर भी , निभाया किसने साथ।

कितनी आशाएं टूटी,कौन रोया‌ था तेरे‌ संग।
हंसता तुझ को देख,किसका उड़ा था रंग।

ठंडी ठंडी आहें भरके,कटती रही लंबी रातें
कौन ऐसा शख्स था, जो कर गया  था घातें।

टूटे सपने, घायल आंसू, सिसकियां हैं अनंत
सांसें जब तक न थमे, नहीं जीवन का अंत

©surinder The blackpen
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