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Autumn काल का भय, किसको खलता है। जो छल,कपट, करके

Autumn काल का भय,
किसको खलता है।

जो छल,कपट, 
करके चलता है।

समय का मार, 
किसको पड़ता है।

जो समय से,
कर्म नहीं करता है।

अपमान का विष,
किसको पीना पड़ता है।

जो किसी को पीड़ा, 
देकर,पाप करता है।

©Narendra kumar
  #autumn
narendrakumar3882

Narendra kumar

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#autumn #Poetry

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