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#वो रात बेहया !!!! ----------- वो रात मानो ,बेहया

#वो रात बेहया !!!!
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वो रात मानो  ,बेहया हो गयी थी
जब तुम बाल खोल कर घूर रहीं थी ...
आधुनिकता में तुम्हारे शर्ट के खुले बटन
नाभी के ऊपर से बाँधे शर्ट का कोर...
मुझे रिझाती रहीं ...
तुम्हारे होठों पर हँसी कातिल निगाहें ... 
वो रात बन गई थी शराब ...
नहीं झेंप रहीं थी ...किसी भी बात पर अपनी अदां
तुम ,मैं और वो रात कोई भी हो...
 मुहब्बत तन मन बेबाक  सुनाती अपनी प्यास...
 दिल  की चाहत प्यार बरसे मिटे प्यास..
इश्क़ के गीत...सरेराह गाती तुम 
बल्ब के घूरने पर... स्विच ऑन ऑफ करती तुम
मानो 'आँख मारकर' लुभाती तुम...
अपने पारदर्शी पोसाक में...इतना इतराती तुम
 .
हाँ!बेहया सी दिख रहीं थी वो!
आधुनिकता जो आज काम वासना  
ग्लाश में शराब शराब में घुलता बर्फ 
स्त्री पुरुष के हर गुण अपनाया...ये बेहयापन कैसे निभाया?
दरवाज़ा बंद रहा...गैरों के लिए तो ,अपनों से भी...
कभी अस्तिव बचाती थी ? धर्म पर अडिग थी
हाँ! अब बेहया हो गयी थी आधुनिकता के तलब में वो!
जो इरादों से अपनी आधुनिकता की पक्की थी
सच में...वो रात ज़िद्दी थी...
अब वो भीड़ में भी गम्भीर नही ...भीड़ से लड़ने की हुनर रखती 
अपनी हर मजबूरी से... हर-हाला लड़ी थी
हर तूफ़ान जन्म देकर उड़ जाती 
 जब उसके सर पे वोडका वाइन चढ़ता
अपने ही ज़िस्म से चादर फाड़ देती ...
ना सूरज की दरकार-ना चाँद का इंतज़ार
चिटकती सड़कों पर नशे में झूमकर चलती है...
हाँ! आधुनिकता में बेहया होती जा रहीं थी वो रात !
अपने हर ख्वाब को मुक़म्मल करने में
हर पुरुष को ठोकर मार... खुद को बराबर जता रहीं ...
स्त्रीत्व के चेहरे का नक़ाब नोंच कर
पुरुष की तिलिस्म वो रच रहीं ...
रात भर जागती-उघियाती , बियर के मगों से बतियाती है...
कभी कुछ लिखती तो कभी संस्कार के
कैनवास पर खुद को नंगी चित्रित करती है...
हाँ! तुम बेहया हो गयी ! खुद को मॉडर्न बनाने में
ढलती रात में , वाशना के चाशनी में मिठाई बनती रहीं...
जिश्म का प्यार में रमी रहीं , रूह का गला घोंट दिया...
आधुनिकता के बाज़ार में जिंदा रहेंगी मेरी साँसों के साथ 
 वो रात और तुम , ये बात दोहराती रहेंगी ...
आधुनिकता में परुष से बराबरी करना
बराबरी में बेहया होने की जिद्द करना ....
आधुनिकता की परिभाषा क्या था तुम्हारे लिये 
बस पुरुषों के दुर्गुणों का बराबरी करना ....

हाँ वो रात बेहया हो गयी थी  .... हाँ वो रात बेहया हो गयी थी  ....
#निशीथ

©Nisheeth pandey
  #WoRaat 
वो रात बेहया !!!!
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वो रात मानो 
बेहया हो गयी थी
जब तुम बाल खोल कर घूर रहीं थी ...
आधुनिकता में तुम्हारे शर्ट के खुले बटन
नाभी के ऊपर से बाँधे

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