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White " हर हर महादेव" ::::::::::::::::::::::::::::

White " हर हर महादेव"
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प्रीत प्रेम सूर्य चंद्रमा 
अदृश्य ऊर्जा स्वरूपा।
जो नष्ट भयो न कभी,
 बदला हैं बसरूपा ।।

जस संलयित तसही बढै 
भई विखण्डितभावभूपा ।
लागे ह्रदय वीरान महल 
 असित भग्न गुफा ।।

रब रूठा या जग झूठा 
प्रियतम का संघ जो छूटा।
भाए नहीं उज्जवल प्रकाश 
लागे विद्यार्थी कलूटा।।

मोह भंग से नीर नेत्र का
अथाह विरह वेदना फूटा।
हर्षित जीवन का कोई अर्थ नहीं
स्नेह स्वपन्न जो टूटा।।

समय का चक्र चला ऐसे
जैसे त्रिदेव धुआं हों उठा।
छीन भिन्न अंग बना तीर्थ स्थल
 मां का अंश जहां जुटा।।

रूदन मन को शांत करने
देवता देवी सब जुटा।
हुऐ शांत एकान्त प्रभु अब
गुफा में तप करने घुसा।।

सती प्रेम देख प्रकृति ब्रह्मांड
भीं ब्यथित थर्रा हो उठा।
तब श्रृष्टि कल्याण हेतु रंग 
पार्वती रचना रचू रूपा।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
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©Prakash Vidyarthi
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