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prakashvidyarthi4483
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Prakash Vidyarthi

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Prakash Vidyarthi

White "प्रथा स्वयंवर होता"
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

काश फिर से कोई प्रथा स्वयंवर होता।
नीचे स्वतंत्र धरती ऊपर खुला अम्बर होता।।

मिलता सबको आमंत्रण सब धुरंधर होता।
न कल छपत किसी के अन्दर होता।।

भेदता कोई जन मानव मछली की आँखें सही आंसर होता।
बन जाते सारथी कान्हा जीवन में न भूमि कोई बंजर होता।।

प्रेमी अपनी प्रतिष्ठा में जाता सात समन्दर होता।
प्रेम की परीक्षा में जो जीता वहीं सिकन्दर होता।।

कोई भी राम सीता लखन कोई बजरंगी बन्दर होता।
जाती धर्म के बन्धन से परे मुहब्बत का मंतर होता।।

न कोई बड़ा न कोई छोटा न कोई छुछुंदर होता।
समानता का सामान अवसर प्राप्त पुरंदर होता।।

तोड़ देता कोई भी धनुष शिव भक्ती का तंतर होता।
सह लेता कोई भी कष्ट चाहें पथ में कांटे कंकड़ होता।।

त्याग देती गर सुख नारी लोभ लालच न किसी के अन्दर होता।
स्वर्ग से सुन्दर लगता भारत न श्रृंगार जलन जालंधर होता।।

मिलता सबको बराबर मौका शुभ मुहूर्त का जंतर होता।
करता प्रयास हर विद्यार्थी  गर न कोई भेदभाव अन्तर होता।।

जीत लेता प्रकाश कलयुगी सीता को न कोई आडंबर होता।
गूंजता जय माता दी हर दिशा में खुश ब्रह्मा विष्णु शंकर होता।।

स्वरचित -प्रकाश विद्यार्थी।  भोजपुर आरा बिहार

©Prakash Vidyarthi #Sad_Status #पोएट्री #कविता_शिव_की_कलम_से
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Prakash Vidyarthi

White "हिन्दी हिन्द की प्यारी भाषा "

::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

हिन्दी हिन्द की बड़ी प्यारी भाषा हैं।
मीठे बोल रस घोल न्यारी परिभाषा हैं।।
विश्व धरोहर भारत माता की आशा हैं।
जन गण मन दुलरी साहित्य तराशा है।।

शब्द सृजन श्रृंगार बहु अर्थ अनंता है।
ज्ञान गौरव गाथा अलंकृत छंदा है।।
दोहा सलिल ग्रन्थ सनातन संस्कृति हैं।
मातृभूमि मातृभाषा अपनी जागृति हैं।।

सहज सरल अंतर्मन में ये बसती हैं।
ऋषि मुनि कवियों के लेखन में सजती है।।
जन मानस पटल के वाणी पे चहकती है।
माटी की आवाज युगों युगों बरसती हैं।।

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम हर दिशा की शान हैं।
सभ्य समाज निर्मात्री आर्यावर्त की पहचान है।।
अक्षर शब्द वाक्य शुशोभित हिन्दी सबकी मान हैं।
भाव विभूति संस्कार सुरो की भारती की जान हैं।।

अनेकता में एकता का सूत्र बांधे ये हिन्दी।
अखण्ड भारत को सुन्दर रूप साजे हिंदी।।
फ़िजी मॉरीशस नेपाल सिंगापुर विराजे हिंदी।
त्रिनिदाद टोबैगो पाकिस्तान में हैं आगे हिन्दी।।

श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार. ।
दुनिया भर का हैं चहेती मोहक श्रृंगार।।
करीब 60 करोड़ लोगों का मिलता प्यार 
विद्यार्थी जय भारती जय जन्मभूमि बिहार।।

स्वरचित:- 
प्रकाश विद्यार्थी 
(अध्यापक/कवि/साहित्यकार/गीतकार सह गायक)
मौलाबाग,भोजपुर (आरा) ,बिहार 
पिन कोड - 802301

©Prakash Vidyarthi #sad_quotes #कवितायें
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Prakash Vidyarthi

White "स्टोरी ऑफ 1,2,3"
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
जरा सोचो उस शख्स का प्रेम कैसा होगा ।
जो प्रेम किसी के नाम से कर बैठा होगा ।

जरा समझो जिसने बहुत से विकल्प त्याग दिए।
एक सही के तलाश में एक से अधिक को भाग दिए।।

जरा परखो उसका हृदय तन मन कैसा होगा।
जो रूप रंग नहीं मात्र नाम से ईश्क किया होगा।।

जरा विचार करो कैसे कोई नाम से दिल लगा लेगा।
कभी न पूरा होने वाला अधुरे सपने यू ही सजा लेगा।।

जरा महसूस करो अगर वो अपना प्यार पाले तो क्या होता।
निश्छल शाश्वत प्रेम एहसास का अनमोल रत्न धन सजा होता।।

जरा देखो परखो वैसे प्रेमी का प्रेम कितना पावन होगा 
सुखमय वैवाहिक जीवन ईश्वर के वरदान मनभावन होगा।।

जरा झांको उसकी आंखों में स्नेह सागर क्या ठहरा हैं।
पूछो खुद से प्रश्न क्या उसका प्रेम चाहत इतना गहरा है।।

जरा समझो उसने अपना प्यार चाहत क्यों जगजाहिर नहीं किया।
पूजता रहा एक मूरत को दूसरों को अहसास होने तक नहीं दिया।।

जरा महसूस करो कोई किसी अनजाने का ख्याल क्यों रखेगा।
मानवता के नाते या प्रेम की मायाजाल में ऐसे ही क्यों फसेगा।।

काश एक ऐसी नारी होती जो समझदार स्वच्छ संस्कारी होती।
श्वेत मन जनक दुलारी होती करते नमन गर वो फूल कुमारी होती ।।

जो नहीं पढ़ सका विद्यार्थी का स्नेह उत्तर कुंजी वो अबोध होगा।
प्रकाशित प्रेम की परिभाषा उदाहरण का अब नया शोध होगा।।

©Prakash Vidyarthi #love_shayari #poem✍🧡🧡💛 #कविताएं #रचना_का_सार
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Prakash Vidyarthi

White "गुरु की महिमा"

गुरु ब्रह्म हैं गुरु विष्णु गुरु गोविंद महेश ।
गुरु शरण जो धाय मिट जाए सारा क्लेश।।

गुरु राम हैं गुरु श्याम गुरु पिता मां अम्बा।
गुरु सरस्वती लक्ष्मी पार्वती गुरु दुर्गा जगदम्बा।।

गुरु अल्लाह गॉड ईश्वर एक  
 जिनके कारज नेक अनेक।
चाहें पढलो गीता कुरान रामायण   
 महाभारत या धार्मिक वेद।।

गुरु ज्ञान सरोवर सागर गुरु विद्या की खान।
गुरु जीवन के पथ प्रदर्शक गुरू चक्षु समान।।

गुरु बल हैं गुरु बुद्धि है जैसे 
पावन यमुना गंगा का जल।।
गुरू विद्यार्थी का दीपक प्रकाश   
हर समस्या का सही हल।।

गुरु देव ऋषि मुनि महात्मा गुरु    
संदीपनी वाल्मिकी चाणक्य।
गुरु शिक्षा के नायक शिक्षार्थी
जो दिलाए शिष्यों का लक्ष्य।।

गुरु ब्रह्मांड वैज्ञानिक दर्शन
शास्त्र शस्त्र भी सिखाए।
गुरु के कृपा से अबोध विद्यार्थी 
चांद मंगल भीं घूम आए ।।

गुरु मित्र सखा हितकारी
अच्छा मार्ग प्रशस्त कर्ता।
छात्र छात्राओं को पुत्र पुत्री माने
सबका कष्ट हरण करता।।

गुरु मात्र भाव का भूखा आदर   
 सत्कार सम्मान चहेता।
सूरज बन खुद जलता चलता
 बहुमूल्य ज्ञान गुण सबको देता।।

शिक्षित सभ्य समाज निर्माता   
 यथा निर्देशक गुरु हैं रूप।
शिष्टाचार अनुशासन शुभ चिन्तक 
 गुरु छत्र छाया कभी धूप।।

गुरू किसी को डाक्टर बनाए
किसी को राष्ट्र का राजा।
गुरु से कोई मास्टर इंजीनियर बने 
सच्चा देशभक्त खुश प्रजा।।

गुरु आईएएस आईपीएस पैदा करें
 वकील कलक्टर नेता अधिकारी।
गुरु कृपा दया जो भीं प्राप्त करें   
महाराज भीं बन जाए निर्धन भिखारी ।।

गुरु महिमा मंडन अपरम्पार है
गुरु के पांव जो भक्त पूजे।
मानवजीवन प्रफुल्लित प्रकाशित हों 
धन्य धान्य यश वैभव समृद्धि जय गूंजे।।

जय गुरु विजय गुरु करू गुरू गुणगान
चरण स्पर्श गुरूवे नमः ह्वदय बसे गुरु धाम।।
 
करे प्रकाश गुरु बखान वंदन विद्यार्थी 
कोटि कोटि नमन अभिनंदन प्रणाम।
गुरु से बढ़कर कोई न जग में दूजा  
गुरु चरण में शिक्षित हुए भगवान।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
                भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
  #sad_quotes #कविताएं #poetry_addicts #लेखक_की_दुनिया
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Prakash Vidyarthi

White " विषय अनुरूप ज्ञान"

लिखते हैं आज कुछ
विषय वस्तु अनुरूप ज्ञान।
कहीं छाया तो कहीं धूप
फिर कैसा और क्यों अभिमान 

प्राइमरी वाली नखरा करे
हाई क्लास वाली करे प्यार।
मिडिल वाली मन को भाए
जाति धर्म बना दीवार।।

मैथ वाली मोहब्ब्त करी 
अंग्रेज़ी वाली आंखे चार।
हिन्दी वाली होश उड़ा गईं 
संस्कृत वाली प्रेम आधार ।।

हिस्ट्री वाली हिसाब करे   
इकोनॉमिक्स वाली दर्द बढ़ाएं।
साइंस वाली चाहत शौक रही 
ज्योग्राफी वाली दिल में समाए।।

ऊर्दू वाली परी बड़ी सुन्दर लगे   
भोजपुरी वाली स्नेह रास रचाती।
 केमिस्ट्री वाली घुलना मिलना चाहें
 फिजिक्स वाली दुर भाग जाती।।

बायोलॉजी वाली करीब जो आती
दिल में कम्पन बढ़ाती।
यूपी बंगालन झारखंडी हीरोइन 
सब हैं भाव बडी खाती।।

मनोविज्ञान वाली मन को समझे
योगा वाली योगसन सिखाए।
राजनीति शास्त्र वाली खेल खेलें
नागरिक शास्त्र वाली सभ्य बनाए।
 
प्राकृत भाषा वाली प्यारी लगे
गृह विज्ञान वाली ललचाए।
सोशियोलॉजी साथ निभाती नहीं
विद्यार्थी रूप प्रकाशित हों जाए।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
                भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
  #women_equality_day #kavita
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Prakash Vidyarthi

White "मन की आवाज़"
 अथवा :- गंगा सी दीवानी कीचड़ सा आंवारा 

प्यार की आदत उसने लगाई 
और आदि मैं हों गया।
उसके मन की आवाज का 
बिग फैन विनय हों गया।।

वो गंगा सी दीवानी स्वच्छ 
निर्मल नीर बहती जलधारा।
मुझ कीचड़ सा आवांरा दीवाना   
संग मेल पर संशय हों गया।।

मानो वो अमृत की पावन प्रीत  
प्याली मैं विष का मामूली ।
टुकड़ा का एक दूजे में लगा   
रासायनिक विलय हों गया।।

दोस्ती उससे ऐसे हुई जैसे सुर  
 ताल संगीत एक लय हों गया।
कहीं रूठ न जाए मेरी छोटी मोटी । 
गलतियों से थोडा-सा भय हों गया।।

सोचा था कभी फुर्सत में सुनाऊंगा  
उसे अपनी दास्तान,गज़ल,गीत,।
कविता कहानी का दर्द भरा इंतेहां 
अग्नि परीक्षा प्यारा परिणाम।।

पर दिल थम सा गया ,सुना जब  
उसका रिश्ता कही तय हों गया।
मेरे गुमशुदे ईश्क प्रेम मोहब्बत के  
अन्तिम दृश्य का समय हों गया ।।

प्यार के बाजारों में उसके सोने का   
दिल किसी क्रेता के नाम बय हो गया।
 रजिस्ट्री यानी बिक्री जोर बेईमानी 
 तिलक दहेज़ भीं सब तय हों गया।।

दावत दिया था भोज का उसने 
अपनी सजी महफिल में मुझे।
पर मै शर्मिन्दा हों गया खुदको।  
हारते हुए गिरते हुए देखकर।।

बाजीगर मैं बना बाजीगर पर कोई।  
और उसका विजय हों गया।।
मूंह मीठा करने ही वाला था की  ।
अचानक मुझे उल्टी कय हों गया।।

डॉक्टर ने कहा ठीक हों जायेगा ये
धीरे धीरे दिल का रोगी पागल प्रेमी।।
इसका धड़कन बड़ा नाज़ुक हैं।  
कोमल हृदय सह मासूम हैं ।।

इसे प्यार की खुराक की जरूरत हैं।
क्योंकि इसके दिल जान मोहब्बत ।। 
प्रेमिका सपना का छय हों गया 
जैसे दिल का कोई पय हों गया।।

शमा बांधकर महफिल में रंग जमाकर 
गाकर प्रेमगीत विद्यार्थी रो गया ।
कलप तड़पकर छुपा लिया अपने गम  
प्रकाश शिक्षा मन्दिर में कहीं खो गया।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
                भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
  #sad_shayari #poetery #कविताएं #गजल_सृजन #गीतों
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Prakash Vidyarthi

White " देवो के देव महादेव"
:::::::::::::::::::::::::::::
प्रीत प्रेम सूर्य चंद्रमा 
अदृश्य ऊर्जा स्वरूपा।
जो नष्ट भयो न कभी,
 बदला गयो बसरूपा ।।

जस संलयित तसही बढै 
विखण्डित भावभूपा ।
लागे ह्रदय वीरान महल 
 असित भग्न गुफा ।।

रब रूठा या जग झूठा 
प्रियतम का संघ जो छूटा।
भाए नहीं उज्जवल प्रकाश 
लागे ब्रह्माण्ड कलूटा।।

मोह भंग से नीर नेत्र का
अथाह विरह वेदना फूटा।
हर्षित जीवन का कोई अर्थ नहीं
स्नेह स्वपन्न जो टूटा।।

सती वियोग में क्रोधित भोले
श्रृष्टि संचालन रुका।
देव दनुज सब शिव मनाने
करे जतन शरण झुका।।

विष्णु का चक्र चला ऐसे
त्रिदेव धुआं हों उठा।
छीन भिन्न अंग तीर्थ स्थल
बना मां का अंश जहां जुटा।।

रूदन देव को शांत कराने 
ब्रह्मा एकत्र सब जुटा।
हुऐ शांत एकान्त प्रभु पर्वत
गुफा में तप करने घुसा।।

महादेव की अश्रु देख प्रकृति 
भी व्यथित थर्रा हो उठा।
तब श्रृष्टि संचालन हेतु मां 
पार्वती रचना रंग रूपा।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी 
               भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
  #sawan_2024 #poeatry #कविताएं
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Prakash Vidyarthi

White "दिल की जज्बात "
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

इस मौसम में लिखूं तो किस मौसम में लिखूं।
कि मुझे तुमसे ईश्क हैं।
फिर क्यों कैसा रिश्क है।।

इस सावन में न कहूं तो किस सावन में कहूं।
की ये दिल बेकरार हैं।
हां मुझे तुमसे प्यार हैं।।

अब न चाहूं तो फिर बोलो कब तुम्हे चाहूं।
जब दूसरो की चाहत हो जाओगी 
किसी अनजाने की अमानत बन जाओगी ।।

ऐसे न रूठूं मनाऊं तो फिर कैसे रूठूं मनाऊं।
यहीं तो सच्चा प्रेम मोहब्बत हैं।
ईश्वर की मर्जी और कुर्बत हैं।।

अब न तुमसे मिलूं तो फिर कब तुमसे मिलूं।
इसी से तो नजदीकिया बढ़ेगी।
गहरे रिश्ते की भावना जगेगी।।

इस बारिश में न बोलूं तो किस बारिश में बोलूं।
की तुम मेरी हो और मैं तुम्हारा।
प्यार से भीं प्यारा हैं प्यार हमारा।।

अभी इजेहार न करूं तो कब इजहार करूंगा।
मान या न मान मै तेरा मेहमान।
हम दो दिल और एक हैं जान।।

आज तुम्हें मन की बात न बताऊं तो फिर कब बताऊं।
बोलूं की I love you जानेमन ।
कसम से हम तुम्हारे हैं सनम।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी।    
           (पोएट्री लवर्स)
           भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
  #love_shayari #पोएट्रीलवर्स #कविताएं
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Prakash Vidyarthi

White ""मेरा गुरुकुल विद्यालय परिवार" 
:::::::::::::::::::::::::::::::::::

मेरा विद्यालय शिक्षा केन्द्र का एक सुनहरा मन्दिर हैं।
इस गुरुकुल में शिक्षा सेवकों की बहुत भीड़ हैं।।
पाठशाला के प्रांगण में ही हनुमत  बली महावीर है।
एक से बढ़कर एक यहां ज्ञानी शिक्षार्थी शूरवीर हैं।।

मेरे गुरुकूल के तीन कठिन नियम स्तम्भ है।
परंपरा प्रतिष्ठा और अनुशासन जिनके अंग है।।
बच्चो में सद्भावना सद्विचार के सतरंगी रंग हैं।
हमसब में कुछ नया ढंग हैं उमंग मस्त मलंग है।।

प्रधानाध्यापक सहित सभी शिक्षक शिक्षिकाएं
विद्यार्थियो का स्नेह प्यार दुलार  हैं।
रसोइया गार्ड टोलासेवक सभी कर्मी       
 संघ लगते जैसे एक सुन्दर परिवार है।।

सभी अध्यापक अपने अपने    
 विषय वस्तु के परम ज्ञाता हैं।
बच्चो के लिए मानो तो वे सभी   
 टीचर गण भाग्य विधाता है।।

                           कोई मासूम मेहनती कोई मजाकिया                            
कोई हँसमुख कोई गम्भीर भ्राता है।
कोई किसी से कम नहीं ईथे
 गुरु शिष्य का अद्भुत नाता है।।

आदरनीय रिजवान अली गुरू
शिक्षा सदन गुरुकुल संचालक।
जिनके छत्रछाया में शरण में   
 चहके अबोध दीन बालक।।

जुगेश्वर विज्ञान के हैं पिटारा    
 राकेश रौशन सामाजिक समझौता।
अमित जी कंप्यूटर आईटी महारथी 
 अनिल हिन्दी भाषा ज्ञाता पुरौद्धा।
सूर्य किरण सी रौशनी रूपक चक्षू        
 गणित विदुषी निलंबर नव हरि पौधा।।

विभा सर्वक्गुण संपन मैडम
सरिता सरोवर भक्ती मोह माया।।
सरोज शोध योग बाल  जननी
कविता मैथ गुनी ज्ञानी भाया ।

पूजा घूम घूम पाठ परिलेखा 
श्वेता समरूप श्रृंगार रस खान।।
शशि पप्पू प्रमुख चतुर विद्वान
छात्रों के राहत रूह रहमान।

अतुल निर्भीक चहेता प्रणेता
 देते हैं सबको भला ज्ञान।
साहित्य प्रेमी मासूम प्रकाश  
 करे विद्यार्थी सबको नमन प्रणाम।।

स्वरचित - प्रकाश विद्यार्थी
              भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
  #World_Emoji_Day #poetry_by_heart
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Prakash Vidyarthi

White " हर हर महादेव"
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

प्रीत प्रेम सूर्य चंद्रमा 
अदृश्य ऊर्जा स्वरूपा।
जो नष्ट भयो न कभी,
 बदला हैं बसरूपा ।।

जस संलयित तसही बढै 
भई विखण्डितभावभूपा ।
लागे ह्रदय वीरान महल 
 असित भग्न गुफा ।।

रब रूठा या जग झूठा 
प्रियतम का संघ जो छूटा।
भाए नहीं उज्जवल प्रकाश 
लागे विद्यार्थी कलूटा।।

मोह भंग से नीर नेत्र का
अथाह विरह वेदना फूटा।
हर्षित जीवन का कोई अर्थ नहीं
स्नेह स्वपन्न जो टूटा।।

समय का चक्र चला ऐसे
जैसे त्रिदेव धुआं हों उठा।
छीन भिन्न अंग बना तीर्थ स्थल
 मां का अंश जहां जुटा।।

रूदन मन को शांत करने
देवता देवी सब जुटा।
हुऐ शांत एकान्त प्रभु अब
गुफा में तप करने घुसा।।

सती प्रेम देख प्रकृति ब्रह्मांड
भीं ब्यथित थर्रा हो उठा।
तब श्रृष्टि कल्याण हेतु रंग 
पार्वती रचना रचू रूपा।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

©Prakash Vidyarthi
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