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212 212 212 212 इश्क से भी कभी दोस्ती

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इश्क से  भी   कभी  दोस्ती   कीजिये
सोच  अपनी  कभी  तो बड़ी कीजिये

छाये  है  अँधेरे  अपने  जीवन  में भी
इसमें  भी  तो  कभी  रौशनी कीजिये

हमने  सजदे  किये  आस्ताँ  पर  तिरे
अब   कबूले  वफ़ा   बन्दगी  कीजिये

नफरतो  में  गुजर  जाये  ना  जिंदगी
दिल लगा के कभी आशिकी कीजिये

इक  समुन्दर  है  ठहरा  पलक पे तिरे
इन्हें   दे   कर   रवानी  नदी  कीजिये

ख़त्म  हो जायेगी  इक न इक रोज ये
ज़िन्दगी  को  कभी  तो हशीं कीजिये
       ( लक्ष्मण दावानी )
17/11/2016

©laxman dawani
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