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भरता हूँ सबका पेट मैं पिसता हूँ चाक में हर रोज मै

भरता हूँ सबका पेट मैं
पिसता हूँ चाक में
हर रोज मै ख़ुशी खुशी
तपता हूँ आग में
फिर भी जहाँ के लोग
है इतने बेवफ़ा
दिल अपना लगाते हैं
बेखुद गुलाब से

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #गेहूं