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mrssmitasandeepr8070
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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

कविताएं लिखने का शौक था अब जुनून बन गया (ख्याल_ए_स्मिता)

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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

White हर रोज प्रार्थना की तेरी इस दुनिया से जाने की मां
तेरी यह जो जर्जर अवस्था थी उसे ना देख पाई मां 
पर तेरे जाने का जो खालीपन है वह कैसे भरेगा मां 
चली आती थी मायके तुझे देखने के बहाने मां 
अब किस बहाने से आऊं और तुझे कहां ढूंढू मां 
जाते जाते बस इतना तो बता जाती ना मां






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©Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi
  #mothers_day
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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

White सत्य को न समझा कभी।
अन्याय में मौन क्यों रहे सभी।।
सतयुग में हुआ शिव का अपमान, और 
जब समाई सती अग्नि में मौन रहे सभी।
शिव का तांडव देखकर क्यो बोल पड़े सभी।।
त्रेता में राम को वन दिया गया और 
हूआ सीता हरण मौन रहे सभी। 
राम ने सीता को अपनाया क्यों बोल पड़े सभी।।
द्वापर युग में चालाकी से पासे फेके गए, और
द्रौपदी के चीरहरण में मौन रहे सभी।
युद्ध की बात आई तो क्यों बोल पड़े सभी।।
कलयुग में अयोध्या वासियों के घर तोड़े गए, 
उनके आंसू और तड़प को देखकर भी मौन रहे सभी। 
आज एक राजनैतिक हार में देखो फिर बोल पड़े सभी।।
(ख्याल_ए_स्मिता)






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©Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi
  #election_results
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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

दोस्ती बरसों बाद आई वो घड़ी लग गई बातों की झड़ी ।
सबको अपनी सुनाना था और सब की सुनना था ।।
पर वक्त अपनी ही गति से चल रहा था ।
बातें अभी पूरी नहीं हुई वक्त को कहां पता था।।
 बहुत कुछ समेटा पर कुछ तो छूट गया था।
घर को सब लौट आए पर शायद लौटा कोई नहीं था।। 
फिर मिलने की चाहत सभी की थी।
पर जिम्मेदारियां से सब बंधे थे ।।
मुलाकातें अब होती रहेंगी और 
 यादें अपने पिटारे खोलती रहेंगी
(ख्याल_ए_स्मिता)

©Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi
  #Friendship
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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

बरसों बाद आई हो घड़ी,लग गई बातों की छड़ी ।
सबको अपनी सुनना था,और सब की सुनना था।।
पर वक्त अपनी ही गति से चल रहा था।
बातें अभी पूरी नहीं हुई,वक्त को कहां पता था।।
 बहुत कुछ समेटा पर कुछ तो छूट गया था।
घर को सब लौट आए पर शायद लौटा कोई नहीं था।। 
फिर मिलने की चाहत सभी की थी।
पर जिम्मेदारियां से सब बंधे थे।।
मुलाकातें अब होती रहेंगी और।
 यादें अपने पिटारे खोलती रहेंगी।।
(ख्याल_ए_स्मिता)







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©Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi
  #Dosti
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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

White चांद में तो दाग है तुम्हें चांद कैसे कह दूं प्रिये
चांद तो है पथरीला और तुम कोमल कली प्रिये 
चांद की तो रात है पर तुम दिन रात की साथी प्रिये
पर चांद सी शीतल हो इसलिए तुम्हें चांद कहता मैं प्रिये
(ख्याल _ए_स्मिता)













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©Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi
  #good_night
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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

White जो गम में भी मुस्कुरा दे वो है मां 
जो खुद भूखा रहकर बच्चों को मिला दे वो है मां 
जो हजारों अपमान पीकर घर को जोड़ कर रखे वो है मां
जिसे परिभाषित करने बैठी स्मिता पर आपरिभाषित है मां
(ख्याल_ए_स्मिता)
















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©Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi
  #mothers_day
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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

लोग कहते हैं गलतियों को दोहराना नहीं चाहिए 
पर हमने एक ही गलती कई दफा दोहराई
एक ही दरिया में हमारी नाव ने कई बार डुबकी लगाई
क्या करें हमारी नाव है पुरानी 
और वो है गहरा पानी
(ख्याल_ए_स्मिता)








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©Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi
  #SunSet
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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

White "जिंदगी "
कुछ कहती कुछ अनकही सी जिंदगी।
 कुछ सुलझी कुछ उलझन से भरी है जिंदगी।।
यहां हर एक चीज की कीमत अलग तय होती है,
हां और उस चीज की कीमत चुकानी होती है।
ये जिंदगी है ये यूं ही कुछ ना देती है।।
जीने के सारे रास्ते बंद कर देती है,फिर,
जीने के लिए एक उम्मीद दिखा देती है।
मर-मर के ही सही पर जीना सिखा देती है।।
अपने  पराए का भेद बखूबी बता देती है
कर्मों का हिसाब है सब को चुकाना पड़ता है।
वक्त वक्त पर सबको आईने दिखा देती है।।
(ख्याल_ए_स्मिता)
 



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©Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi
  #Couple
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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

Blue Moon दिल के दर्द को बखूबी छुपाना
 सीख लिया।
नम आंखों के साथ मुस्कुराना 
सीख लिया।।






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©Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi
  #bluemoon
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Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi

"हे नारी"
 तुम शक्ति स्वरूपा हो
 तुम घर का स्तंभ हो
 तुम ही जीवनदायनी हो 
और संस्कारों की खान भी तुम हो
तुम बिन है, सब अधूरा
पर तुम अपने आप में परिपूर्ण हो।
(ख्याल_ए_स्मिता)



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©Mrs Smita Sandeep Raghuvanshi
  #womeninternational
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