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mdshawaaz7163
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Poet Shawaaz

Student Poet Shasanjh Insta - Shawaaz116 अधूरी कहानी का मुक़म्मल एहसास हूं मैं, अल्फ़ाज़ नहीं, जज़्बात हूं मैं..!!

https://youtu.be/qmxu-UCDx7k

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Poet Shawaaz

White कभी रेत से ख़वाब थे,
जिसे आंधियों ने गिरा दिए,

कुछ अतीत के पन्ने ,
जिसे वक़्त ने भुला दिए ,

उनसे वस्ल और हिज़्र की बातें 
ताउम्र हुई,
शायद किस्मत ने ये सिलसिले 
थमा दिए,

ओर ये मोहब्बत , ये कितनी 
हकीकत है?
फ़कत यही सवाल किसको किसकी 
कितनी जरूरत है ?

मिले मोहब्बत तो हर किस्सा 
मशहूर है,
ना मिले तो हर कहानी में जैसे 
फ़ितूर ही फ़ितूर है..!!

©Poet Shawaaz #sad_shayari
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Poet Shawaaz

White अब तक ख्वाइशों में सुमार हो तुम,
शायद अभी भी मेरी जिंदगी की हकीक
त से दूर हो तुम,,!!

©Poet Shawaaz #Sad_Status
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Poet Shawaaz

White अब तक ख्वाइशों में सुमार हो तुम,
शायद अभी भी मेरी जिंदगी की हकीक
त से दूर हो तुम,,!!

©Poet Shawaaz #Sad_Status
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Poet Shawaaz

White तू रहनुमा है कोई याद नहीं,
तू हकीकत है कोई ख्वाब नहीं,

तेरी मौजूदगी पर एहतेराम है मेरा,
शायद तेरे शहर में कयाम है मेरा,

तुझे छू कर गुजर जाऊं,
ये वादा है मेरा,

तेरा होकर बिखर जाऊं,
ये इरादा है मेरा,

अब फकत तेरे होते हुए गुजर जाऊंगा,
तेरे बाद नहीं,

तू हकीकत है कोई ख्वाब नहीं..!!

©Poet Shawaaz #love_shayari
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Poet Shawaaz

तुम्हारे आने का यकीन भी ऐसा है,
कि तुम्हारे जाने के यकीन जैसा है,

जो सताए मुझे शायद वैसा है इश्क़ तेरा,
ये कैसा है इश्क़ मेरा,ये कैसा है इश्क तेरा..!!

©Poet Shawaaz #rosepetal
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Poet Shawaaz

मुझे समझ पाना अब मेरे वस में भी नहीं है,
शायद एक वही शख्स मेरे दस्तरस में नहीं है, 

उसकी मौजूदगी का यकीन खुद को दिलाऊ कैसे,
ये कसमक्स है कि खुद को उससे दूर रख पाऊं कैसे, 

उसका मिलना न मिलना तो फकत किस्मत की बात है,
मिलों सी दूरी को दूर कर पाऊं कैसे, 

हां उसकी सादगी ने ही लूटा है मेरे मोहब्बत का सल्तनत,
उसका होकर किसी और का हो जाऊं कैसे..!!

©Poet Shawaaz #DhakeHuye
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Poet Shawaaz

एक ऐब है तू मेरी आदतों में,
ये ऐब मुझसे अब सुधारी नहीं जाती,

मुसलसल अब "फितूर" बना है तू मेरा,
तेरे बिन कोई लम्हा गुजारी नहीं जाती..!!

©Poet Shawaaz #RajaRaani
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Poet Shawaaz

अब तेरे मेरे सिलसिले में,
फासले क्यों है, 

यूं मंजिल के करीब आकर,
जुदा रास्ते क्यों है, 

रेत की तरह जो बिखरा है,
सल्तनत तेरे मेरे ख्वाब का, 

अब एक दूजे से कोई,
वास्ते क्यों है, 

क्यों है वीरान हर पल आजकल,
इन रातों में इतनी कसमकस क्यों है, 

और काफिर बनाया है हमें एक दूजे की,
इबादत ने ऐ दोस्त, 

फिर वही दास्तान लिखने की,
तेरी मेरी आदत क्यों है..!!

©Poet Shawaaz #UskeHaath
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Poet Shawaaz

जो बीत गया है उसे बीता रहने दे,
जो रिश्ता टूटा है तुझसे मुझसे उसे टूटा रहने दे,


और जी रहे है फिर दोबारा वही लम्हे,
फिर वही यादें हम तुम, 

अब मुझसे फिर वही वक्त,
फिर वही एहमियत न मांग, 

ओ मेरे हमदम मेरे हमनवा इन पलों को,
इन लम्हों को,
फिर किसी रिश्ते में न बांध, 

मुझसे पहले सी मोहब्बत,
मेरे महबूब न मांग, 

मुझसे पहले सी मोहब्बत,
मेरे महबूब न मांग..!!

©Poet Shawaaz #us
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Poet Shawaaz

जो बीत गया है उसे बीता रहने दे,
जो रिश्ता टूटा है तुझसे मुझसे उसे टूटा रहने दे,


और जी रहे है फिर दोबारा वही लम्हे,
फिर वही यादें हम तुम, 

अब मुझसे फिर वही वक्त,
फिर वही एहमियत न मांग, 

ओ मेरे हमदम मेरे हमनवा इन पलों को 
इन लम्हों को,
फिर किसी रिश्ते में न बांध, 

मुझसे पहले सी मोहब्बत,
मेरे महबूब न मांग ,

मुझसे पहले सी मोहब्बत,
मेरे महबूब न मांग ..!!

©Poet Shawaaz
  #us
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