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rashmiyadav3218
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Rashmi rati

Poetess and writer

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Rashmi rati

White अफवाह ए  बाजार को  ना हवा दी जाए
जो हकीक़त है वो सबको दिखा दी जाए 
हर कोई नहीं है यहाँ जमूरा उसका 
ये बात उस मदारी को बता दी जाए

©Rashmi rati
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Rashmi rati

नामर्दों की  भीड़  है  मुर्दा समाज है
निष्ठुर हृदय संवेदना का मोहताज है

हैवानियत  को  देख  सुन  हर  नजर सवालिया है
चुप है जो अब तक भी वो मानसिक दिवालिया है 

नोच रहे थे गिद्ध उन्हें गीदड़ों के सामने
निकलकर आया नहीं जिस्म कोई ढांकने

भारतीयों का सिर क्यूँ शर्म से झुका नहीं
पूछो ये सिलसिला क्यूँ अंत तक रुका नहीं 

कैसे तुमको  नींद  आई और कैसे तुम रह  पाए 
इतनी हिंसा इतनी जुल्मत आखिर कैसे सह पाए 

ये कहाँ का सुशासन है और कैसी सुरक्षा है
अब तो यकीं हो चला कि नपुंसक व्यवस्था है

इन आँखों में लहू है और जहन में उबाल है
उस  56  इंची  सीने  से  मेरा  इक सवाल है

घर जलता देखकर क्यूँ एक पल ठहरे नहीं 
तुम चुल्लू भर पानी में  क्यूँ डूब के मरे  नहीं

©Rashmi rati #मणिपुर
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Rashmi rati

rashmi rati

©Rashmi rati # manipur # narendra modi # politics # manipur news # poem #✍️✍️

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Rashmi rati

इस समाज में व्याप्त सब जगह ये कैसी लाचारी है 
भूख दर-बदर भटक रही खामोश हुई किलकारी है 

नंगा बदन ढांकने को उनको परिधान नहीं मिलते
बेशकीमती वस्त्र लपेटे पुतले यहाँ खूब दिखते

गली- गली चौराहों पर हम ऐसे दृश्य देखते हैं
दूर से ही उन मासूमों की रोचक तस्वीर खींचते हैं 

पर क्यूँ हम पास नहीं जाते उनका हाल जानने को
 है उन्हें जरूरत रोटी की क्यूँ  तैयार नहीं मानने को

क्या इतने संवेदनाहीन हुए सब बस खुद से ही मतलब है
अपनी खुदगर्जी का  ख्याल रहे बाकी सब बेमतलब है

हम दौड़ रहे दिखावे में अपनी शान दिखाने को
जिन्दगियाँ मजबूर हुईं यहाँ पैसों मे बिक जाने को

जमींदार कहाने को  मन्दिर में दान कराते हैं 
परिसर के बाहर ही बच्चे खड़े हाथ फैलाते हैं 

पत्थर की मूरत पे सज्जन सोने का मुकुट चढ़ाते हैं 
असहाय कहीं टुकडों की खातिर तड़क-तड़प मर जाते हैं 

ईश्वर का इन्हें भक्त कहूँ या मानवता का शत्रू
इनकी  नेकशीलता का कब तक व्याख्यान करूं 

जब भी कोई  भूखों मर कर अपनी जान गंवाता है
इस सत्ता का हर एक नेता बस सहानुभूति दिखलाता है

इस हालत को देख-देखकर मेरा दिल भर आता है
ये मुफ़लिसी और अमीरी का ख्याल मुझे तड़पाता है

ये विचार ही कौंध -कौंध कर जेहन घायल कर जाते हैं 
हाय  विडम्बना कैसी ये हम कुछ  भी ना कर पाते हैं

©Rashmi rati # poem # poetry

# poem # poetry

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Rashmi rati

# ghazal # poetry # sad ghazal ✍️✍️✍️🥀🥀

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Rashmi rati

# ghazal
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Rashmi rati

हिन्दू जाग्रति मँच एवं संगम परिवार को बहुत बहुत शुक्रिया ये क्षण हमेशा अविस्मरणीय रहेंगे आपसे जो स्नेह सम्मान मिला उसके लिए सहृदय आभार व्यक्त करती हूँ

हिन्दू जाग्रति मँच एवं संगम परिवार को बहुत बहुत शुक्रिया ये क्षण हमेशा अविस्मरणीय रहेंगे आपसे जो स्नेह सम्मान मिला उसके लिए सहृदय आभार व्यक्त करती हूँ #कविता

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Rashmi rati

#❤❤
6017a4b89b59fb60de338c03f348e58d

Rashmi rati

Poetry
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Rashmi rati

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