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Nitish Tiwary
White अपनी हसरतों पर लगाम लगाने हमें नहीं आता, उसकी मोहब्बतों का कलाम सुनाने हमें नहीं आता। कश्ती अगर साथ छोड़ दे जिसका बीच भँवर में, ऐसे समंदर को सलाम करने हमें नहीं आता। जलते हुए खूबसूरत चिराग को बुझाने हमें नहीं आता, किसी के घर की रौशनी को मिटाने हमें नहीं आता। पर्दे के पीछे यूँ सियासत करने हमें नहीं आता, चुपके से महबूबा का घूँघट उठाने हमें नहीं आता। पैमाने के ज़ाम को आधा छोड़ देना हमें नहीं आता, मयखाने में यूँ अकेले महफ़िल जमाना हमें नहीं आता। देखिए ना, सफ़र में कितनी धूप है, छाँव का नामो निशान नहीं, बिना काँटों के मंज़िल तक पहुँचना हमें नहीं आता। ©Nitish Tiwary #sad_qoute #ghazal
Rajneesh Kumar
मैकशी सोलह बरस की हो गई है ज़िंदगी यूँ ही गुज़ारी आ भी जाओ जिस हवेली पर बहारें मेहरबाँ थीं ढह गई सारी की सारी आ भी जाओ धुन सुनाओ बांसुरी की ए मुरारी चार सू है मारा मारी आ भी जाओ ©Rajneesh Kumar #ghazal se
#ghazal se
read more"सीमा"अमन सिंह
White ग़ज़ल: बनारस, प्रेम और मणिकर्णिका बनारस की गली में वो मिला था, नज़र में इक समुंदर सा खिला था। वो बातें कर रहा था ज़िन्दगी की, मगर मणिकर्णिका पे सब लिखा था। हवा में थी ख़ुशबू रूहानी उसकी, जहाँ मैं था, वहीं वो भी सिला था। गंगा के किनारे बैठते हम, वो दिल में और दिल में बनारस बसा था। मरण का भी वहाँ भय कैसा होता, जब उसकी आँखों में पूरा ब्रह्मांड था। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora #ghazal
#banarasi_Chhora #ghazal #Life
read moreABhishek Parashar
White ख़बर झूठी थी और अख़बार जाली थे कहानी के सभी किरदार जाली थे सर-ए-बाज़ार नफ़रत बिक रही थी और मोहब्बत से भरे बाज़ार जाली थे मैं कैसे दुश्मनों का सामना करता दिए जो दोस्त ने हथियार जाली थे यक़ीं होता नहीं इस बात पर लेकिन यक़ीं कर दोस्त मेरे यार जाली थे मैं अब जो कहता हूँ सच कहता हूँ यारो मिरे पहले के सब अशआर जाली थे सभी मर कर समझ जाएँगे इक दिन ये मोहब्बत दोस्ती घर-बार जाली थे ©ABhishek Parashar #ghazal #sher shayari on life
SHIVA KANT(Shayar)
White तेरे गुलाबी गालों पे,कोई खूबसूरत ग़ज़ल लिख दूँ..! साथ गुज़रे जो सुनहरे पल,उन्हें हसीं कल लिख दूँ..! ©SHIVA KANT(Shayar) #GoodMorning #ghazal
samandar Speaks
White हां मैं ऐसा हूं तो हूं, थोड़ा सख्त हूं,थोड़ा अख्खड़ हूं थोड़ा भावुक भी तो हूं अब क्या करूं ऐसा हूं तो हूं तुम चाहते हो,आडंबर की चादर में लपेटना तुम चाहते हो दिखावे के बाजार में बिकना तुम चाहते हो बाहरी उपहारों से अलंकृत करना तुम चाहते हो चमक की दौड़ में लपेटना पर क्या करूं जो हूं सो हूं, हां मैं ऐसा हूं तो हूं ऊब जाते होगे न तुम भी शायद कभी कभी बाजार कि चमक से ललचाते होगे न तुम भी कभी कभी पर क्या करूं तुम्हे जड़ों से दूर तो नही कर सकता न तुम्हें कृतिम सम्मान के तिलिस्म में नहीं जकड़ सकता न मैं नहीं चाहता ये आडंबर ये शोर शराबा तुम्हे खीच ले मैं नहीं चाहता साधना कि प्राप्ति को भटकाव भींच ले हां मैं चाहता हूं तुम्हारे मंजिल प्राप्ति के जश्न में शामिल होना मैं चाहता हूं कैमरे में नहीं,तुम्हारे भविष्य कि तस्वीर में उतरना मै चाहता हूं तुम्हें भविष्य के नक्श pe यूकेरना शायद इसलिए बोरिंग सा हूं बेरुखी में सना सना सा हूं शायद इसलिए तुम्हारे जश्न से कटा कटा सा हूं अब क्या करूं ऐसा हूं तो हूं राजीव ©samandar Speaks #good_night Internet Jockey Sandeep L Guru Samima Khatun Radhey Ray Gautam Kumar
#good_night Internet Jockey Sandeep L Guru Samima Khatun Radhey Ray Gautam Kumar #मोटिवेशनल
read moreKhushi Kandu
ऐ हबीब मेरे तिरे आने की ख़बर किसी मुज़्दा से कम नहीं मिरा जी रक़्स करता है ऐसा लगता है मुझे कोई ग़म नहीं ©Khushi Kandu #khushikandu #sheroshayari #ghazal #khushithought
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