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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी दिन के भी उजाले, कम है तरक्की के लिये नींद और चैन अपने गवाते गवाते रातो को भी बाजार रोशन होने लगे है जरूरतों जो कभी कम ना हुयी जीवन रोज खपाते खपाते दौड़ और होड़ की लगी है बाजी मौत के आगोश में जाते जाते प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #good_night दौड़ और होड़ की लगी है बाजी
#good_night दौड़ और होड़ की लगी है बाजी
read moreniranjana dange,Neel.
हर नन्हे से बालक की कहानी एक सी नही होती होते किसी के हर ख्वाब सच्चे तो कोई नन्हा बालक रोता है 2 निवालो के लिए ना होती जहा दो वक्त की रोटी तक मिलती वहा खिलोने मिलने की तो कही गुंजाइश नहीं देख दूसरे बच्चो को करते उसके नन्हे लब्ज़ सवाल है क्यू नही है मां ये सब मेरे पास क्यू मैं इस लायक नही रो देती एक मां भी है सुन बच्चे के सवाल है सोचती है क्यू ना कर पा रही बच्चे की ख्वाइश पूरी है जहा होना चाहिए स्कूल बैग पास में होता हाथ में कटोरा है दिख जाते है कही हाथ फैलाते दूसरो के सामने तो कही दिखते बर्तन साफ करते किसी ढाबे पर है कही दिख जाते ट्रेन में करते हुए ट्रेन की सफाई है फिर कुछ नन्हे बालको का बचपन खोता हुआ देखा के जमाने में फिर कुछ बच्चो को देखा डूबे हुए बुरे व्यशनो में है बाल श्रमिक एक अपराध जग में पर जब नही है दो वक्त की रोटी तक उसके पास तो क्या करे वो जमाने में करने दो वक्त की रोटी कुछ उसे तो करना होगा हाथ फैला दूसरो के सामने पेट उसे भरना होगा ""जब बच जाए कुछ खाना घर में दे दो उन जरूरतमंदों को जो नही खिलोने काम के तुम्हारे बच्चो के वो दे दो उन बच्चों आजाएगी एक प्यारी सी मुस्कान देख कर भी पुराने खिलोने है ""क्यू की उन बच्चो के लिए वो भी बड़े अनमोल है"" आज का बस यही सारश है की जैसे भी हो सके हम उनकी थोड़ी मदद करे ©Neel. बाल श्रमिक reality life quotes in hindi
बाल श्रमिक reality life quotes in hindi
read moreडॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
#लगी है आग सीने में...
read moreAK Srivastava
र्दुलभ बाल रूप भगवान् राम के दर्शन🙏 ©AK Srivastava र्दुलभ बाल रूप भगवान् राम के दर्शन🙏 जय श्री राम
र्दुलभ बाल रूप भगवान् राम के दर्शन🙏 जय श्री राम
read moreHeer
हर शक्श से परेशान होने लगी हूं, ये मैं कैसी इंसान होने लगी हूं। अब सबसे दूर रहने के बहाने ढूंढने लगी हूं, ये मैं कैसी होने लगी हूं। पहले वक्त गुजरता था दोस्तो की महफिलों में, अब वक्त तनहा गुजारने लगी हूं, ये मैं कैसी होने लगी हूं। कभी ठहाके लगाते नही थकती थी मैं, अब अकेले में भी मुस्कुराती नही मैं, ये मैं कैसी होने लगी हूं। ©Heer ये मैं कैसी होने लगी हूं..!!😔
ये मैं कैसी होने लगी हूं..!!😔
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