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Kanhaiya Lal Meena
#ramya1705 #krishan #Hanuman #narayan सभी देवता जिस एक को पूजते हे वो हमारे महाबली हनुमान कहते है #समाज
read moreसिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
#GuruNanakJayanti गुरुमुखि नांद गुरुमुखि वेदं गुरुमुखि रहिआ समाई। गुरु इसरु गोरखु बरमा गुरु पारबती माई।। #गुरु नानक देव जी के 550वें जन्मोत्सव की लख लख बधाईयां। गुरु वाणी ही शब्द एवं वेद है। प्रभु उन्हीं शब्दों एवं विचारो में निवास करते है ।गुर
#गुरु नानक देव जी के 550वें जन्मोत्सव की लख लख बधाईयां। गुरु वाणी ही शब्द एवं वेद है। प्रभु उन्हीं शब्दों एवं विचारो में निवास करते है ।गुर #gurunanakjayanti
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" कालरात्रि " चामुंडे मुंडमथने नारायणी नमोस्तुते या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है हिंदू धर्म में देवी के इस रूप को वीरता का प्रतीक माना जाता है मां दुर्गा ने दुष्टों का विनाश
सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है हिंदू धर्म में देवी के इस रूप को वीरता का प्रतीक माना जाता है मां दुर्गा ने दुष्टों का विनाश
read moreParamjeet kaur Mehra
सभी देवी देवताओं की आयु सीमा होती है। केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही अविनाशी हैं।शास्त्रों में प्रमाण है कि सभी देवताओं, ब्रह्मा विष्ण #nojotovideo #Life_experience
read moreVibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ पिता स्वर्गः पिता धर्मः पिता परमकं तपः । पितरि प्रीतिमापन्ने सर्वाः प्रीयन्ति देवताः ॥ अर्थात:- मेरे पिता मेरे स्वर्ग हैं, मेरे पिता मेरे धर्म हैं, वे मेरे जीवन की परम तपस्या हैं। जब वे खुश होते हैं, तब सभी देवता खुश होते हैं ! HappY Father's Day ❤Papa❤ Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤ पिता स्वर्गः पिता धर्मः पिता परमकं तपः । पितरि प्रीतिमापन्ने सर्वाः प्रीयन्ति देवताः ॥ अर्थात:- मेरे पिता मेरे स्वर्ग हैं,
Meri Diary Vs❤❤ पिता स्वर्गः पिता धर्मः पिता परमकं तपः । पितरि प्रीतिमापन्ने सर्वाः प्रीयन्ति देवताः ॥ अर्थात:- मेरे पिता मेरे स्वर्ग हैं, #Papa #FathersDay #fatherslove #yqdidi #yqquotes #FatherLove #yourquotedidi #vs❤❤
read morePARBHASH KMUAR
देवी दुर्गा ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए पृथ्वी पर नौ अवतार लिए थे, जिन्हें नवदुर्गा भी कहा जाता है। इनमें सबसे पहला अवतार, देवी शैलपुत्री का है। देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप ‘शैलपुत्री’ का अर्थ है, पर्वत की पुत्री या पहाड़ों की बेटी। इन नौ अवतारों में से देवी दुर्गा के इस अवतार की कहानी, माता सती के आत्मदाह से जुड़ी हुई है। तो आइए जानते हैं, माँ शैलपुत्री की महिमा की पुण्य कथा- देवी दुर्गा के इस अवतार की पूजा, नवरात्रि के पहले दिन बड़े धूमधाम से की जाती है। देवी दुर्गा के प्रथम स्वरप, शैलपुत्री को शांति और सौभाग्य की देवी माना जाता है। देवी शैलपुत्री का स्वरूप भी अत्यंत मनोरम है। देवी के बाएं हाथ में कमल का पुष्प सुसज्जित है, तो वहीं उन्होंने अपने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण किया है। देवी शैलपुत्री का वाहन वृषभ यानी बैल है, इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। उनकी महिमा कथा का उल्लेख नवदुर्गा पुराण में भी मिलता है। पुराणों में निहित कथा के अनुसार, प्रजापति दक्ष अपने दामाद भगवान शिव के प्रति अत्यंत क्रोध और ईर्ष्या का भाव रखते थे। एक बार, उन्होंने कनखल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया और सभी देवताओं को उसमें शामिल होने का निमंत्रण भेजा, लेकिन दक्षराज ने अपनी पुत्री सती और उनके पति शिव को इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। इस यज्ञ के बारे में जब देवी सती को पता चला, तो वह वहां पहुंची और दक्ष से शिव को निमंत्रण न भेजने का कारण पूछा। इसपर प्रजापति दक्ष ने सती का घोर अपमान किया और महादेव के बारे में कई अनुचित शब्द भी कहे। देवी सती अपने पति का ऐसा अपमान सह नहीं पाईं और उन्होंने, उसी यज्ञ की अग्नि में अपनी देह त्याग दी। देवी सती के इस तरह आत्मदाह करने के बाद, भगवान शिव उन्माद से हो गए और कैलाश भी श्रीहीन हो गया। सभी देवताओं को महादेव की ऐसी हालत देखकर अत्यंत चिंता होने लगी, लेकिन दैत्यों को महादेव की दशा पर बहुत आनंद आ रहा था और उन्होंने मौके का फायदा उठाते हुए, स्वर्गलोक में उपद्रव मचाना शुरू कर दिया था। तब सभी देवताओं ने त्रस्त होकर, आदिशक्ति का ध्यान किया और उनसे देवगणों की रक्षा करने की प्रार्थना की। देवी आदिशक्ति ने तब सभी देवताओं को यह कहते हुए आश्वस्त किया, कि वह बहुत जल्द राजा हिमवान के घर कन्या रूप में जन्म लेंगी। दूसरी तरफ़, पर्वतराज हिमालय और उनकी पत्नी मैनावती की कोई भी संतान नहीं थी, इसलिए उन दोनों ने भी आदिशक्ति की आराधना करते हुए, उनसे संतान प्राप्ति का वर मांगा। पर्वतराज और उनकी पत्नी की तपस्या से प्रसन्न होकर, आदिशक्ति ने उन्हें यह आशीर्वाद दिया, कि वह स्वयं उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। कालांतर में जब देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया, तो पर्वत की पुत्री होने के कारण उनका नाम पार्वती, शैलपुत्री और गिरिजा पड़ा। बचपन से ही देवी शैलपुत्री, महादेव को ही अपना सर्वस्व मानती थीं और देवर्षि नारद के कहने पर वह शिव को पाने की तपस्या करने के लिए, जंगल में चली गईं थी। उस वक्त, कोई भी देवी शैलपुत्री को उनकी तपस्या से विचलित नहीं कर पा रहा था। तब स्वयं महादेव ने उनके प्रेम की परीक्षा लेने के लिए, सप्तऋषियों को शैलपुत्री के पास भेजा। सप्तऋषियों ने वहाँ जाकर, महादेव के बारे में बहुत बुरा भला कहा, कि वे तो अघोरी हैं, जटाधारी हैं इत्यादि, लेकिन शैलपुत्री पर इन बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा और वह अपनी तपस्या में लीन रहीं। उनकी ऐसी अडिग भक्ति और प्रेम को देख सप्तऋषि बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कैलाश आकर सारा वृत्तांत महादेव को सुनाया। इसके बाद, महादेव ने देवी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का निश्चय कर लिया और सप्तऋषियों ने उनके विवाह का शुभ लग्न तय कर दिया। हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का काफ़ी महत्व होता है और इसे मुख्य रूप से साल में दो बार मनाया जाता है, पहला चैत्र के महीने में और दूसरा आश्विन के महीने में। देवी शैलपुत्री की पूजा के दौरान दुर्गा स्तोत्र, सप्तशती और चालीसा इत्यादि का पाठ भी किया जाता है। मां शैलपुत्री का पूजन मंत्र - “वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥” अर्थात, सभी भक्तों को मनोवांछित वर देने वाली, वृषारूढ़ा देवी शैलपुत्री का मैं वंदन करता हूँ। ऐसी मान्यता है, कि देवी शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए उनकी पूजा में सफेद फूलों और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। मान्यता तो यह भी है, कि काशी में देवी शैलपुत्री का एक प्राचीन मंदिर स्थित है, जहाँ माता के दर्शन मात्र ©parbhashrajbcnegmailcomm देवी दुर्गा ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए पृथ्वी पर नौ अवतार लिए थे, जिन्हें नवदुर्गा भी कहा जाता है। इनमें सबसे पहला अवतार, देवी शैलपुत्र
देवी दुर्गा ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए पृथ्वी पर नौ अवतार लिए थे, जिन्हें नवदुर्गा भी कहा जाता है। इनमें सबसे पहला अवतार, देवी शैलपुत्र #Knowledge
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KP technology and a ©KP TAILOR HD क्यों मनाई जाती है सावन शिवरात्रि प्रतिवर्ष श्रावण माह में आने वाली चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है। कहते हैं कि भगवान शिव ने अमृत मंथन क
क्यों मनाई जाती है सावन शिवरात्रि प्रतिवर्ष श्रावण माह में आने वाली चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है। कहते हैं कि भगवान शिव ने अमृत मंथन क #Quotes
read moreAnjali Mishra
Papa... Papa apne hi toh ungli pakar kr chala sikhaya , Jab jab giri tab tab uthna sikhaya... Larkharate kadmon ko sambhalna sikhaya, Bhatakti raah ko manzil tak pahuchaya.... . School ki jo phli sidhi pr kadam jo apne rakhwaya , Kadam kadam per hausalon k saath badhna sikhaya... . Maa ne rote hue chup karaya, pe papa apne hi toh hasna sikhaya... jab jab maa ne zor se daat lagaya , Tab tab papa apne bhot pyaar se manaya .... . Mere khushi ka pehla khilona papa apne dilaya , Har haste hue pal ko sawarna sikhaya ... . " पिता स्वर्गः पिता धर्मः | पितरि प्रीतिमापन्ने सर्वाः प्रीयन्ति देवताः ॥ " Love you papa❤️ ©Anjali Mishra Meaning:- मेरे पिता मेरे स्वर्ग हैं, जब वे खुश होते हैं, तब सभी देवता खुश होते हैं And I can wear your shoes ... But I can't wear your pat
Meaning:- मेरे पिता मेरे स्वर्ग हैं, जब वे खुश होते हैं, तब सभी देवता खुश होते हैं And I can wear your shoes ... But I can't wear your pat #Life #Love #Papa #कविता #nojotohindi #FirstLove #loveyoupapa #happpyfathersday
read morerahasyamaya kahani
समुद्र मंथन से निकले हैरान कर देने वाले रहस्य लेकिन बैठक में कोई उपाय न निकल सका। तब देवगणों ने आपस में विचार-विमर्श किया कि क्यों न बैकुंठ
समुद्र मंथन से निकले हैरान कर देने वाले रहस्य लेकिन बैठक में कोई उपाय न निकल सका। तब देवगणों ने आपस में विचार-विमर्श किया कि क्यों न बैकुंठ
read moreABHISHEK OJHA
गुरु के रुप में भगवान का ही अवतरण समझना श्रेयस्कर है। सद्गुरु की शरण से बढ़कर कोई पद प्रतिष्ठा नहीं है। जीवन के रहस्यों को सुलझाने का हर कदम गुरु की ओर जाता है। इसलिए, गुरु की पूजा से सभी देवता प्रसन्न होते हैं। गुरु के बिना ज्ञान की पात्रता संभव नहीं। गुरु का सम्मान और उन पर आस्था, विश्वास व निष्ठा के रूप में गुरु दक्षिणा के पुष्प भेंट करना अभीष्ट है। दिशाहीन जीवन को दिशा देने का महानतम उपकार सदा सद्गुरु ही करता है। गुरुपूजा करने वाला शिष्य हर अवसर पर विजेता बनता है। प्रत्येक वाणी प्रतीक बनकर गुरुकृपा के अधीन ज्ञान के अमृतपान का अधिकारी हैं। #Gurupurnima #abhishek_ojha गुरु के रुप में भगवान का ही अवतरण समझना श्रेयस्कर है। सद्गुरु की शरण से बढ़कर कोई पद प्रतिष्ठा नहीं है। जीवन के
#Gurupurnima #abhishek_ojha गुरु के रुप में भगवान का ही अवतरण समझना श्रेयस्कर है। सद्गुरु की शरण से बढ़कर कोई पद प्रतिष्ठा नहीं है। जीवन के #Life_experience
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