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अज्ञात
तेरा चिंतन मनन, अब पूछता कौन है अच्छे बुरे व्यसन,अब पूछता कौन है बेईमानी के धंधों में इजाफा बहुत है ईमानों का पतन अब पूछता कौन है.. दर्द देने की आदत शुमार है जमाना दर्द का कारण क्या अब पूछता कौन है जुल्मो सितम से आसमाँ फटा जाता है फूलों से कोमल मन अब पूछता कौन है दिलों में शहादत की लौ ही बुझ गई शहीदों को नमन अब कौन पूछता है.. ये जमीं बँट गई आसमां लुट गया फिर किसके हिस्से वतन, अब पूछता कौन है राहे वतन पे बिछना तेरी शान थी गुल बिखरा किस बदन अब पूछता कौन है... जाने कहाँ मशगूल हो रहीं जिंदगियाँ अपना ही घर आँगन अब पूछता कौन है.. जब आँखों की शर्मो हया ही मर गई मुँह ताकता दर्पण अब पूछता कौन है... ©अज्ञात #किसके हिस्से वतन
#किसके हिस्से वतन
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White ज़िगर मे बुग्ज ज़बा पर मिठास रखते है, ये लोग ऐसे ही हमसे खठास रखते है//१ हसद की आग से हमको जला ना पाओगे, हम अपने आप मे ये बात खास रखते है//२ तुम हमसे आज तलक हम शनासा हो न सके, ये और बात तुम्हे आस पास रखते है//३ मेरे वतन की विविधता को जान लेना तुम, मस्जिदो-गिर्जे गुरुद्वारे-सनमखाने निवास रखते है//४ कहीं भी जाओ जहाँ मे-ये बुग्ज लेकर तुम, हम उल्फतों की"शमा" का विकास रखते है//५ #Shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #GoodMorning ज़िगर मे बुग्ज ज़बा पर मिठास रखते है,ये लोग ऐसे ही हमसे खठास रखते है//१ हसद की आग से हमको जला ना पाओगे,हम अपने आप मे ये बात खास
#GoodMorning ज़िगर मे बुग्ज ज़बा पर मिठास रखते है,ये लोग ऐसे ही हमसे खठास रखते है//१ हसद की आग से हमको जला ना पाओगे,हम अपने आप मे ये बात खास
read moreMohammad Ibraheem Sultan Mirza
Mufti Tariq Masood Sahab Ki Apne Watan Wapsi, मुफ़्ती तारीक़ मसूद साहब की अपने वतन वापसी, #Muftitariqmasood #muftitariqmasoodspeeches moh
read moreMohammad Ibraheem Sultan Mirza
Mufti Tariq Masood Sahab Ki Apne Watan Wapsi, मुफ़्ती तारीक़ मसूद साहब की अपने वतन वापसी, #Muftitariqmasood #muftitariqmasoodspeeches moh
read moreNiaz (Harf)
White यह कैसी तन्हाई है, दिल में एक तिश्नगी है, मुल्क-ए-ग़ैर में बसे हम, मगर दिल वहीं की गली है। याद आती हैं वो गलियाँ, जहाँ बचपन बीता था, दोस्तों की महफिलें, जहाँ हर ग़म भुलाया था। अम्मी की लोरियों में, सुकून-ए-दिल की बातें थीं, अब तो बस ख़्वाबों में, वो सारी राहतें हैं। वो मस्जिद की अज़ान, वो मंदिर की आरती, हर सुबह की ताज़गी, अब बस यादों की बात है। परदेस की चमक में, दिल की वीरानियाँ हैं, रोज़ी की तलाश में, बस यादों की परछाइयाँ हैं। वतन की मिट्टी की खुशबू, रूह में घुल जाती है, पर इस सफ़र की मंज़िल, बस एक बेचैनी लाती है। कब लौटूंगा उस ज़मीन पर, जहाँ दिल बसता था, मुल्क-ए-ग़ैर की दौलत, मुझे क्या रास आएगी? ©Niaz (Harf) #Sad_Status #Niaz R. Ojha Sircastic Saurabh Sethi Ji Sana Ekram Adhuri Hayat Dia यह कैसी तन्हाई है, दिल में एक तिश्नगी है, मुल्क-
#Sad_Status #Niaz R. Ojha Sircastic Saurabh Sethi Ji Sana Ekram Adhuri Hayat Dia यह कैसी तन्हाई है, दिल में एक तिश्नगी है, मुल्क-
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