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arvind adhar
सच का शायर हूँ हद में लिखता हूँ बेक़ाबू ना समझो हमको कोई धोखा खाया तुम छोना बाबू ना समझो मैं जो भी लिखता हूँ सच ही लिखता हूँ मेरी फितरत है मेरी चुप्पी का मैं मालिक साहब का काबू ना समझो ©ARVIND YADAV 1717 2222 2222 2222 2222 #ARVINDYADAV1717 #nojotohindi #nojotoenglish #nojotourdu #Nojoto #Shayar #hindi_poetry
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read moreVinay Naagvanshiv
life ager shikhati hai to kuch chahti bhi h to kuch karna chahiye ©Vinay Naagvanshiv 2222
2222 #Motivational
read moreAshish Kanchan
है मेरा.....सब कुछ बस तू नहीं छीन ले मेरे ख़ुदा मुझसे ज़मीं सारी पर दे दे जो फ़लक़ है मेरा, है बड़ी मुश्किलों में दरिया-ए-इश्क़, सबर न जाने कब तक है मेरा। कब कैसे गलत करार हुआ मोहब्बत में टूट के चाहना, तू समझना समझ ले ग़ुनहगार ये महज़ मज़ाक नहीं इशक़ है मेरा। न बिसात उस इश्क़ की जिसमें ना कर सकें उसकी वफ़ा पर यकीं, है तय अब मुझे ही ले डूबेगा, इतना ख़ुदग़र्ज़ ये शक़ है मेरा। दस्तक़ दे किराये के लिए, हर पहली तारीख़ दहलीज़ पे दर्द, वहम ही था के तेरी इन यादों पे तो कम से कम कुछ हक़ है मेरा। मत कर देर या तू पहले बाहें फैला के मुझे गले से लगा, फैसला या ले जकड़ के दोनों हाथों से घोंट दे जो हलक़ है मेरा। है मेरा....सब कुछ बस तू नहीं बह्र : 2222 2222 2222 212 212 212 212 2222 2222 212 212 #ग़ज़ल #love #brokenheart #ghazal
है मेरा....सब कुछ बस तू नहीं बह्र : 2222 2222 2222 212 212 212 212 2222 2222 212 212 #ग़ज़ल love #brokenheart #ghazal
read moreManish Kumar
बात लगती हो भले ही आपको छोटी, मगर हमारी तो जान पर बन आई है। शेर 2222 2222 2222 2 #shayari #sher #dreamsvsreality #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with Pratibha Sharma
शेर 2222 2222 2222 2 shayari #sher #dreamsvsreality #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with Pratibha Sharma
read moreDurga Kannan
You came Motivated me Freshly rejuvenated I soared #yqbaba#2222#challenge
Ashish Kanchan
कुछ तू बदल, कुछ मुक़द्दर कुछ तू बदल ज़रा कुछ असर हमपे इस वक़्त का यूँ सादिक़ जाता, काश इश्क़ मुक़म्मल होके ही तेरी गली से ये आशिक़ जाता। न थी मोहब्बत फिर भी बेवजह मुस्कुराके मिलता यहाँ, जाने दिल को बेड़ियों में डाल कहाँ अब वो मेरा मालिक जाता। खुली आँखों से तू ना देख सका मोहब्ब्त जानेजहाँ, गर तू इन्हें मूँद लेता शायद फिर तुझे कुछ बेहतर दिख जाता। क्यूँ ख़ाक लगाता फिरता तू इस दिल को पाने बोलियाँ, हँसके बस इक नज़र भर लेता देख ये ख़ुद-बा-ख़ुद बिक जाता। इल्म होता मेरी हालत देख उठेंगी तुझपे उंगलियाँ, हर ज़ख्म छुपाकर मिटा लेता और शक़्ल पर लगा कालिख़ जाता। ख़ुदा ने ना जाने तुम्हे पाने का मुक़द्दर छुपाया कहाँ, दुनिया कहती टूटकर चाहो हर नाम है ज़िंदगी में लिख जाता। भले होती ये उम्र कम या अधूरी रह जाती ये कहानियाँ, भर देता तुझको लकीरों में फिर रूठ चाहे वो ख़ालिक़ जाता। - आशीष कंचन कुछ तू बदल, कुछ मुक़द्दर सादिक़ = ठीक ख़ालिक़ = बनानेवाला 122 / 222 / 2222 / 2222 / 212 2222 / 2122 / 2221 / 2222 / 222