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Stories related to कुहरी बेसाल्ट खडक

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Manojsharma Mahakaal Bhkt Monu

#खडक सिंह के खड़कने से खड़कती हैं #खिड़कियां,,,, मेकअप💄 के नाम पर #आटा_पोतती हैं लड़कियां👸....❗❗😐 😂😂😂 #शायरी #nojotophoto

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 #खडक सिंह के खड़कने से खड़कती हैं #खिड़कियां,,,,

#मेकअप💄 के नाम पर #आटा_पोतती हैं लड़कियां👸....❗❗😐
 😂😂😂

Pankaj Neeraj

निडर निर्भीक हो जलने को अपने सीने को तान खड़ा है उसके अंदर उसके ही जैसा लम्बा सा अभिमान खड़ा है एक हाथ में ढाल लिए वो खडक एक में तान खड़ा है उस

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 निडर निर्भीक हो जलने को
अपने सीने को तान खड़ा है
उसके अंदर उसके ही जैसा
लम्बा सा अभिमान खड़ा है
एक हाथ में ढाल लिए वो
खडक एक में तान खड़ा है
उस

Sheela Gahlawat seerat

नज्म शीर्षक:- तुम बिन रीता चुपके- चुपके से तुम आती हो, फिर भी तुम बिन रीता सपनों को मनकों में पिरो जाती, फिर भी तुम बिन रीता #Gulzar #कविता

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नज्म

शीर्षक:- तुम बिन रीता


चुपके- चुपके से तुम आती हो, फिर भी तुम बिन रीता
सपनों  को मनकों में पिरो जाती, फिर भी तुम बिन रीता

नजरों में तुम बसती हो, ये मेरा विश्वास है या   है  भम्र
तुम संग हर लम्हा पाती, फिर भी तुम बिन रीता

फिर लौट चलों उन हंसीन वादियों में जहाँ जीया हर सपना
मोहब्बत की बुनती बुनकर लाती, फिर भी तुम बिन रीता

हर लम्हे में महकी बगियाँ, फूलों की क्यारियाँ हैं सजी
तुम हो तो ये बेला मखमली है, फिर भी तुम बिन रीता

ख्यालों को ख्वाबों में, तुमको ही ढूढती हूँ हर इक सपना
मदहोशी के आलम में आती, फिर भी तुम बिन रीता

पत्तों की खडक में भी लगता है, तुम ही तो....... 
यादों की चादर तान सोती, फिर भी तुम बिन रीता
सीरत

©Sheela Gahlawat seerat नज्म

शीर्षक:- तुम बिन रीता


चुपके- चुपके से तुम आती हो, फिर भी तुम बिन रीता
सपनों  को मनकों में पिरो जाती, फिर भी तुम बिन रीता

अनुराग चन्द्र मिश्रा

#आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम "दे दी हमें आजादी बिना खडक #Freedom #nojotohindi #hindinama

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आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम
किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं
कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम

"दे दी हमें आजादी बिना खडक बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल"

इन पंक्तियों से आगे कभी कुछ सोच पाए हैं हम
क्या इतनी आसां थी आजादी बिना लहू बहाए मिली हमें
ये छोटी बड़ी सी बात क्यों नहीं समझ आती किसी के
किसी का नाम ले तो कोई छूट जाता है
क्या इक किरदार दूसरे के बिना सब कुछ निभा पाता है ?

"करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीदे-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है"

ऊपर की पंक्तियां अधूरी ही रह जाती
ग़र नीचे की पंक्तियों की बहार ज़हन में न आती
कोई छोटा बड़ा नहीं यहां हर कोई बराबर का भागीदार है
और इसे कायम रखना ही हमारी पहचान है| #आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम
किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं
कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम

"दे दी हमें आजादी बिना खडक
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