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Stories related to शब्दांचे घर कविता

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bina singh

#devdas कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश

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मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती 
अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती
अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती 
मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती
मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh

©bina singh #devdas   कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश

Sarita Kumari Ravidas

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White एक घर हो सपनों का 
आशाओं का उम्मीदो का 
तिनका तिनका जोड़ बना हो जो ख्वाबों सा
सपनों का घर हो जो महलों सा 
हर रिश्ता जो चमके चांद सितारों सा
साथ हों सब अपनों का
एक घर हो सपनों सा

©Sarita Kumari Ravidas #sad_shayari एक घर हों सपनों का #Nojoto #Poetry #dream_home  प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश कविताएं हिंदी कविता

Amrendra Kumar Thakur

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तरक्की का मतलब क्या?


चूल्हे पर जलती धीमी लौ,
कुनकुनाती आग में यादें बुनती जो।
झुर्रियों में छिपी कितनी कहानियाँ,
जीवन की उतार-चढ़ाव की निशानियाँ।

सालों के सफ़र में ये हाथ थके,
ख़्वाब बुने जो अब धुंधले दिखे।
इस घर की नींव में उनके पसीने,
आज अकेले, बिन किसी साए के जीने।

तरक्की का मतलब क्या हुआ?
अगर माँ-बाप का सहारा ना बना।
जिन्होंने हर मुश्किल सह ली,
उनके बुढ़ापे में, हम दूर चल दिए।

दुनिया आगे बढ़ती जाती,
पर ये उम्र ठहर सी जाती।
सफलता का क्या मतलब है अगर,
उनकी देखभाल से हम हट गए, कहीं दूर जाकर?

ना हो उनकी उम्र में कोई दर्द,
ना झलके आँखों में कोई सर्द।
तरक्की वो नहीं जो प्यार ना दे,
जो अपने बुज़ुर्गों का साथ ना रहे।

©Amrendra Kumar Thakur #oldage
 हिंदी कविता कविता कोश कविता  हिंदी कविता

sony

वो अब तक घर ना आया #Thinking हिंदी कविता

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White घनघोर अंधेरा छाया है,
फिर मन मेरा घबराया है,
नभ मेघों से भर आया है,
वो अब तक घर ना आया है...

चपला चंचल है चमक रही,
रह रह करके फिर गरज रही,
बादल ने शोर मचाया है,
वो घर अब तक ना आया है....

बारिश की भी बौछार चली,
बूंदों की तेज कटार चली,
आंधी ने चैन उड़ाया है,
वो घर अब तक ना आया है...

सब देख मेरा मन तड़प रहा ,
मिलने को उससे तरस रहा,
तुफां ने कहर बरपाया है,
वो घर अब तक ना आया है....

प्रकृति खुशियों में झूम रही,
ठंडी ठंडी तब पवन चली,
प्रियतम उसका भी आया है,
वो घर अब तक ना आया है...

हो गई तृप्त है जब धरती,
नभ सतरंगी हो आया है,
मिलने का मौसम आया है,
वो घर अब तक ना आया है....

©sony वो अब तक घर ना आया #Thinking  हिंदी कविता

NC

Sad_shayri कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

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Sangeeta Verma

#घर # कविता

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White चार दीवारी से नहीं बनता घर 
अपनों के प्यार के बिना 
अधूरा है हर घर 
बच्चों की किलकारी सी ही तो 
महकता है घर 
बुज़ुर्गो के आशीर्वाद से 
फलता है घर 
माँ का दुलार 
पिता की फटकार से 
मज़बूत बनता है घर 
भाई बहन से लड़ना झगड़ना 
रूठाना मानना से 
खिलता है घर 
थोड़े से आँसू थोड़ी सी हँसी से 
थोड़े से गम थोड़ी सी खुशी 
बस इस से ही तो 
खड़ा रहता है घर।
( चाँदनी ) sangeeta verma

©Sangeeta Verma #घर #  कविता

Sangam Pipe Line Wala

#sad_shayari प्रेम कविता प्यार पर कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

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Vikram Kumar Anujaya

#moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता

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White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद,
हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।"
मैं सोचता हूँ, 
नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है,
हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है,
ये धरती, ग्रह, नक्षत्र,
सबके-सब घूमते क्यों हैं?
चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है,
और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है?
क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद
के लिए किसी की तलाश में है?

©Vikram Kumar Anujaya #moon_day  कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता

शर्मा निखिल

#foryoupapa हिंदी कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविता कोश #पापा

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#पापा 

उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
कंधे पर बैठा कर शहर है घुमाया, 
आप को पाकर लगता है ऐसा, 
आपके रूप में प्रभु को है पाया|

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा, 
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa.
Papa mere papa..

धूप में मेरी छाया बने हो, 
मुसीबत में बने मेरा सहारा, 
आपका जो मिला मुझे साथ, 
निखिल फिर कभी नहीं हारा 

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा,
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa. 
Papa mere papa.. 

हर सपनों को मेरे पूरा है किया,
जो चाहिए था बिन मांगे हैं दिया,
आई जो मुझ पर कभी कोई आंच,
उसको आप ने अपने सर है लिया|

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा,
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa. 
Papa mere papa..

©शर्मा निखिल #foryoupapa  हिंदी कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविता कोश

Pallavi

तुम ‘नदी’ नही , ‘घर’ सा बनकर आना poetry, love , ghar, nadi #Thinking #घर #नदी प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता कविता

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Black 
                  ‘घर’ सा बनकर आना...


हर कोई यहां नदी सा है
जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ...
मगर जो हमेशा स्थिर रह सके
तुम मेरे लिए एक घर जैसे  बन जाना!

आज साथ हैं पर कल का पता नही
ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं...
मगर तुम आना तो कुछ इस तरह 
कोई ‘घर’ सा बन कर आना....
मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं
और तुम ‘घर’ की तरह  मुझे याद आना!

©Pallavi Mamgain तुम ‘नदी’ नही , ‘घर’ सा बनकर आना

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