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Stories related to काल्पनिक हत्यारी बहन

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Dharma Bhardwaj

हत्यारी💔

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जो कहानी पड़ी मैंने,.
वो तुम्हारी थी क्या?..
वो जो लिपट-लिपट कर
मर गए इश्क़ में,
उन्हें कोई बीमारी थी क्या?....!!

तुम्हारा वजूद तो, अभी ज़िंदा है,
उनकी खुदा पर,
कोई उधारी थी क्या?
उन्हें कोई बीमारी थी क्या?....!!

इसमें वादे तो बहुत लिखें थे उन्होंने
कि ना बिछड़ेंगे कभी,
उनकी कोई अलग से 
तैयारी थी क्या?....!!

रुख़सत हुआ मैं भी पड़ते पड़ते तुमसे,
सच बताओ,
तुम कोई हत्यारी थीं क्या?...!!

©Dharma Bhardwaj #हत्यारी💔

Jagdish lodhi

इंदौर की हत्यारी को #फ़िल्म

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Sachin Pratap Singh

(काल्पनिक) #Quotes

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Kunal Salve

कमाल असते शब्दांची 
काल्पनिकच पानांवर उतरतात 
कोणीतरी येईल सत्यात म्हणून 
खरी मनातून वाट पाहायला लावतात ! #काल्पनिक

Gopal pandey

काल्पनिक #विचार

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अपने जब पराये हो जाते हैं, तो पराए भी अपने हो जाएंगे
इस बात का भ्रम न पालना
अपने और पराए दोनो ही भ्रम वादी शब्द है काल्पनिक

Manish Kumar Savita

ये सत्ता है कल तक राम को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस आज राम के गुणगान गा रही है देखना कल चंद वोटों के खातिर अल्लाह को भी न काल्पनिक बता दे,एक से बढ़कर एक इतिहासकार है इस पार्टी में.....
#Manish Kumar Savita #काल्पनिक

B.L Parihar

मुस्कुराया था वो बिछड़ते वक़्त...
उसकी कोशिश थी कम पराया लगे... #काल्पनिक

Parasram Arora

काल्पनिक आश्चर्य..... #सस्पेंस

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आशचर्य होता है ये देख कर
ज़ब ईश्वर  की  प्रतिमा  धूल में  भी बन जाती  है
ज़ब  चाँद  किसी की  ज़ेबा में पड़ा  मिलता है
ज़ब मछली सागर से उछल कर किसी पेड़ पर जा बैठती है
जब  उसी पेड़ पर रेंगती हुई  गिलहरी  सूरज  को
चबा जाती है  या 
ज़ब एक नाविक अपनी  किश्ती की  पतवार  तूफानों  की ओर  घुमा  देता है ..... जहाँ लहरों का
उफनता यौवन  ज्वार भाटो को  ललचाता है

©Parasram Arora काल्पनिक आश्चर्य.....

Ruchika

ठोकर खा कर, 
सहम सा गया है दिल, 
किसी से ना अब, 
आसानी से पाएगा मिल।

निढाल हो, छुप कर बैठ गया है, 
दिमाग के पीछे,
मंजूर नहीं उसे, फिर से कोई रोंधे उसे,
 पैरों के नीचे। #सहमादिल#काल्पनिक

राजेंद्रभोसले

काल्पनिक कविता

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एकदा गेलो होतो एका कवी संमेलनात 
घुसमट झाली माझ्या विचारात।।धृ।।
भावनांचा  कोण मांडे कडीपत्ता
विचारांचा नव्हता कुठे थांगपत्ता
विवेकशुन्य भाषेचा दांडपट्टा
परीक्षक होते निगरगटा।।१।।
आयोजकाची रंगली सुपारी
कवींची टोळी आली दुपारी
काव्याची  नुसती हमरातुमरी
रचना मांडल्या बाजारी।।२।।
कवितेचे विषय वेश्या तमाश्या
चारोल्यांच्या घोंगावल्या माश्या 
वेचलेल्या उम्रट भाषा
कवितेत पारंपरिक दशा।।३।। काल्पनिक कविता
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