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ताजदार

28/365 कहे रघुवर की सुनो प्रिय, मैं तुमसे जो कुछ कहता हूं। #365days365quotes #365दिन365कोट #writingresolution #bestyqhindiquotes #रघुवर pa #yqbesthindiquotes #aprichit #paidstory

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कहे रघुवर की सुनो प्रिय, मैं तुमसे जो कुछ कहता हूं
भूत तो बीती बात हुई, मैं भविष्य की सोच के डरता हूं

भूत में हर जन व्याप्त था मैं, अब भी सत् जन में रहता हूं
भविष्य में कुछ भी धर्म ना होगा, बस इसी बात से डरता हूं

भूत में कितने गुणी हुए और, कितने ही जन ज्ञानी हुए
भविष्य में ज्ञान की बात ना होगी, मैं ऐसे कल से डरता हूं

भूत में हर जन का सम्मान था, नारी की होती पूजा थी
भविष्य में स्त्री का मान ना होगा, मैं यह सोच कर डरता हूं

भूत में राजा प्रजा की ख़ातिर, सब कुछ न्यौछावर करते थे
भविष्य में रक्षक ही भक्षक होगा, मैं प्रजा की ख़ातिर डरता हूं

भूत में गुरू का मान सम्मान था, पूजा भी तो की जाती थी
भविष्य में गुरु‌ स्वयं अज्ञानी होगा, मैं ऐसे ज्ञान से डरता हूं 28/365
कहे रघुवर की सुनो प्रिय, मैं तुमसे जो कुछ कहता हूं।

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Harshit Singh

फसलों की बुनियाद पर टिकी परी है जीवन की गाथा भूख लगे तो काम ना आवे कोई भी रघुवर की गाथा

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फसलों की बुनियाद पर टिकी परी है जीवन की गाथा
भूख लगे तो काम ना आवे कोई भी रघुवर की गाथा फसलों की बुनियाद पर टिकी परी है जीवन की गाथा
भूख लगे तो काम ना आवे कोई भी रघुवर की गाथा

Bhakti Kathayen

एक बार जो रघुवर की नजरो का इशारा मिल जाए😍😍🙏🙏... #bhaktikathayen #Hanuman #Bhakti #nojotohindi #motivate #viral #Trending #New #status Stori #कविता

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

व्याकुल नैनों को मिला , देखो अब आराम । राम-सिया जी संग जब , पहुँचे अपने धाम ।। अब तो रघुवर आप ही , मुझे बनाएँ दास । आखें जब खोलूँ कभी , #कविता

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व्याकुल नैनों को मिला , देखो अब आराम ।
राम-सिया जी संग जब , पहुँचे अपने धाम ।।

अब तो रघुवर आप ही , मुझे बनाएँ दास ।
आखें जब खोलूँ कभी , देखूँ अपने पास ।।

मन में होता अंकुरित ,  अब सेवा का भाव ।
पाकर रघुवर की शरण , पाया हूँ ठहराव ।।

खुशियां मन की आपसे , कह दूँ मैं श्री राम ।
खत्म हुए देखो सभी , जीवन के संग्राम ।।

भरते जाते कोष सब , इतना  आया  दान ।
रघुवर महिमा आपकी , करते हम गुणगान ।।

आऊँ दर्शन को कभी , कर देना कल्याण ।
तेरे ही उस धाम में , निकले मेरे प्राण ।।

प्राणों का बलिदान कर , पहुँचूँ तेरे धाम ।
दर्शन दो उस रूप में , जिसमें थे श्री राम ।।

११/०१/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR व्याकुल नैनों को मिला , देखो अब आराम ।

राम-सिया जी संग जब , पहुँचे अपने धाम ।।


अब तो रघुवर आप ही , मुझे बनाएँ दास ।

आखें जब खोलूँ कभी ,

साक्षी

सीता तो बन जायेगी वो, तुम मर्यादावान राम तो बनो।। . पुरुष होने का अभिमान करने वालों, तुम रामचंद्र से शीलवान तो बनो। . सीता तो बन जायेगी वो

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Instagram @biharan_tale
सीता तो बन जायेगी वो, तुम मर्यादावान राम तो बनो।।
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पुरुष होने का अभिमान करने वालों, तुम रामचंद्र से शीलवान तो बनो।
सीता तो बन जायेगी वो, तुम मर्यादावान राम तो बनो।। 

नारी को तुच्छ कहने वालों, तुम उत्तम पुरुष राम तो बनो।
सीता तो बन जायेगी वो, तुम मर्यादावान राम तो बनो।। 

कुटिल नजरों से नारी को देखने वालों, तुम रघुवर की तरह चरित्रवान् तो बनो।
सीता तो बन जायेगी वो,  तुम मर्यादावान राम तो बनो।। 

अपशब्दों में नारी शब्द कहने वालों, तुम श्रीराम की तरह नारी का सम्मान तो करो।
सीता तो बन जायेगी वो, तुम मर्यादावान राम तो बनो।। 
बिहारन..❤ सीता तो बन जायेगी वो, 
तुम मर्यादावान राम तो बनो।।
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पुरुष होने का अभिमान करने वालों, 
तुम रामचंद्र से शीलवान तो बनो।
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सीता तो बन जायेगी वो

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

पीर हृदय की देख कर , मन विचलित क्यूँ होय । यही भाग्य का खेल है , जो समझे सुख होय ।। १ पूर्ण सभी अब काज हैं , लेकर प्रभु का नाम । अब रघुवर क #MyJourneyWithNojoto

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पीर हृदय की देख कर , मन विचलित क्यूँ होय ।
यही भाग्य का खेल है , जो समझे सुख होय ।। १

पूर्ण सभी अब काज हैं , लेकर प्रभु का नाम ।
अब रघुवर की हो कृपा , देखे तीरथ धाम ।। २

सुनो हृदय में तुम बसी , जान रहे सब लोग ।
तुम ही बस अंजान हो , मुझे प्रेम का रोग ।। ३

तुमसे प्यारा कुछ नहीं , मानो मेरी बात ।
देखो तुम मेरा हृदय , तुझ बिन क्या है गात । ४

छवि अपनी ही देखकर , पूछे क्या है राज ।।
हृदय आपके मैं बसी , मुझे बताएँ आज ।। ५

घड़ी घड़ी मैं सोचती , करती और विचार ।
प्रेम बिना ये जिंदगी , कश्ती बिन पतवार ।। ६

शब्द शब्द को जोडकर , लिखे मधुर हैं गीत ।
आज मिलन की रात में , पास नहीं मनमीत ।। ७


                          महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR पीर हृदय की देख कर , मन विचलित क्यूँ होय ।
यही भाग्य का खेल है , जो समझे सुख होय ।। १

पूर्ण सभी अब काज हैं , लेकर प्रभु का नाम ।
अब रघुवर क

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु #कविता

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प्रदीप छन्द

दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में ।
वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।।
घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं ।
शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।।

मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में ।
सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।।
तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में ।
आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।।

जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में ।
उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।।
सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में ।
मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।।

जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के ।
दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।।
जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के ।
यही सीढ़ियां ऊपर जाएं ,  देखो नित संसार के ।।

२८/०२/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द

दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में ।
वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।।
घर में बैठे मातु-पिता ही , सु

Parasram Arora

मेरे रघुवर.... #कविता

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प्रभु कल  आये  थे आप मेरे  घर
पर  मैं सो रह था  बेखबर
मेरे कौनसे    कर्मो का फल था  ये
मेरे   प्रेम सागर  मेरे   रघुवर 
आप  आये और मैं खड़ा रहा  बाहर

©Parasram Arora मेरे रघुवर....

आशीष रॉय 🇮🇳

दोहा - रघुवर। #कविता #nojotovideo

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S. Bhaskar

Main aur रघुवर

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मैं और रघुवर

मैं मन से मंद और तन से तरुवर चढ़ गया,
मैं खुदी में जाने कब कैसे रघुवर बन गया।

समझ इतनी की सागर भी गागर में समा लूं,
सबल से भरपूर की पत्थर भी पिघला लूं,
ईश्वर को दूं चुनौती साहस इतना बढ़ गया,
खुद के नशे में चूर मैं कैसे रघुवर बन गया।

गलती मेरी कुछ नहीं चाहे कितनी खताएं कर लूं,
हो वही हमेशा चाहे कुछ भी मैं हुकुम कर लूं,
सबपे बस मेरा चले ऐसा मैं शासक तन गया,
बस झूठे सत्ते की लालच में कैसे रघुवर बन गया।

जो मैं करूं वो सही है जो ना करूं वो गलत है,
मेरी ही किस्मत में जाने क्यूं लिखी गफलत है,
चड़ने का हौसला ऐसा की मेरा भी पर लग गया,
बस प्रभुत्व का नशा ऐसा हुआ कि रघुवर बन गया।

मैं मन से मंद और तन से तरुवर चढ़ गया हूं,
बस खुदी में मगरुर हूं कि रघुवर बन गया है। Main aur रघुवर
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