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Ramgopal Singh
अब तो तनिक भी संकोच नहीं होता। देखकर इन लाशों के ढेर को। क्योंकि यही तो हैं चंद सियासत गरदो की, कामयाबी की सीढि़यां। इन्सानियत को बेवजह मिली है मौत। कहती आईं हैं, सदियों से पीढ़ियां। #5LinePoetry ©Ramgopal Singh देखकर इं लाशों के ढेर को।
देखकर इं लाशों के ढेर को।
read moreNaushad Sadar Khan
आँखो में तेरी साज़िशें होटो पे दग़ा है सीने में तेरे दिल नहीं शैतान बसा है , लाशों के ढेर पर तू मनाता है दिवाली फ़ितरत फ़रेब है ना तू इंसान बचा है, सीने में तेरे दिल नहीं शैतान बसा है , आँखो में तेरी साज़िशें होटो पे दग़ा है सीने में तेरे दिल नहीं शैतान बसा है लाशों के ढेर पर तू मनाता है दिवाली फ़ितरत फ़रेब है ना तू इंसान
आँखो में तेरी साज़िशें होटो पे दग़ा है सीने में तेरे दिल नहीं शैतान बसा है लाशों के ढेर पर तू मनाता है दिवाली फ़ितरत फ़रेब है ना तू इंसान
read morealfazon_ki_diary
नफ़रत का आलम तो देखो, कि सियासत के इस मज़हबी खेल में कितना बदल गया इंसान, कि अब लाशों के ढेर में भी ढूढ़ लेता है हिन्दू और मुसलमान...! नफ़रत का आलम तो देखो, कि सियासत के इस मज़हबी खेल में कितना बदल गया इंसान, कि अब लाशों के ढेर में भी ढूढ़ लेता है हिन्दू और मुसलमान...! . .
नफ़रत का आलम तो देखो, कि सियासत के इस मज़हबी खेल में कितना बदल गया इंसान, कि अब लाशों के ढेर में भी ढूढ़ लेता है हिन्दू और मुसलमान...! . .
read moreLove forever
hhsjjskakaks ©Love forever देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए, हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए । सफर शुरू किया था की घर जायेंगे, ये किसने सोचा था की मर जायेंगे । रो र
देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए, हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए । सफर शुरू किया था की घर जायेंगे, ये किसने सोचा था की मर जायेंगे । रो र
read moreसुसि ग़ाफ़िल
जो जोश का शोर था चारों तरफ दिशाओं में , क्रांति की आवाज़ें गूंज रही थी , लोग कच्ची गलियों से लेकर पक्की सड़कों पर मिसालें ले रहे थे हाथों में! वो मंजर एकदम से तब्दील हो गया लाशों के ढेर में , किसी ना किसी बहाने से आखिर ऐसा क्या हुआ सब लोग डरने लग गए ! लोगों को सांसो से ज्यादा चूल्हे जलने की फिक्र होने लगी! जो जोश का शोर था चारों तरफ दिशाओं में , क्रांति की आवाज़ें गूंज रही थी लोग कच्ची गलियों से लेकर पक्की सड़कों पर मिसालें ले रहे थ
जो जोश का शोर था चारों तरफ दिशाओं में , क्रांति की आवाज़ें गूंज रही थी लोग कच्ची गलियों से लेकर पक्की सड़कों पर मिसालें ले रहे थ
read moreSK Singhania
देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए, हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए । सफर शुरू किया था की घर जायेंगे, ये किसने सोचा था की मर जायेंगे । रो रहा था बहुत परेशान था वह सबसे पूछ रहा था, एक बाप लाशों के ढेर में अपना बेटा ढूँढ रहा था। ©SK Singhania देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए, हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए । सफर शुरू किया था की घर जायेंगे, ये किसने सोचा था की मर जायेंगे । रो र
देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए, हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए । सफर शुरू किया था की घर जायेंगे, ये किसने सोचा था की मर जायेंगे । रो र
read moreTera Sukhi
मंज़र बदल गया क्या हुआ शहर को बुझाओ अब जिहाद में जले कैहर को FULL READ IN CAPTION 👇 * मंज़र बदल गया * मंज़र बदल गया क्या हुआ शहर को बुझाओ अब जिहाद में जले कैहर को लाशों के ढेर पर सियासत दार बैठे है बदलो अब तो लहू से रंगी
* मंज़र बदल गया * मंज़र बदल गया क्या हुआ शहर को बुझाओ अब जिहाद में जले कैहर को लाशों के ढेर पर सियासत दार बैठे है बदलो अब तो लहू से रंगी
read moreKHINYA RAM GORA
मुद्दत से आरज़ू थी कि जरा फुरसत हमें मिले फुरसत जरा मिली कि सब कुदरत से जा मिले लाशों के ढेर हैं कहीं कहीं सिसक रही जिंदगी जो बच गये उनको कभी अब न ऐसी वबा मिले बरसों से जिनकी जुबां पर आया न कलमा कभी आज वही खुदा ख़ुदा कर करके ख़ुदा से जा मिले ज़मी दफ्न को कम पड़ी कम पड़ीं लकड़ियाँ भी इस माहौल की मौत अब किसी को भी न मिले या ख़ुदा मेरे वतन की खुशियाँ हैं तेरे हाथ में इस माहे रमज़ान में हमको निजात ऐ वबा मिले ©khinyaram (LADLA) gora PREM KUMAR Ritesh Raj follow me ☹ Hariom Pal Anurag Sangam Ap मुद्दत से आरज़ू थी कि जरा फुरसत हमें मिले फुरसत जरा मिली कि सब कुदरत से जा मि
PREM KUMAR Ritesh Raj follow me ☹ Hariom Pal Anurag Sangam Ap मुद्दत से आरज़ू थी कि जरा फुरसत हमें मिले फुरसत जरा मिली कि सब कुदरत से जा मि
read moreFarukh Maniyar
ये मुग़ल या अंग्रेजी काल की तस्वीर नहीं है! यह 2021 के संघ ऐडियोलॉजी पे चलनेवाले धार्मिकउत्सव प्राथमिकतावाले भाजपा शाशन काल की तस्वीरें है!
read more#maxicandragon
#AzaadKalakaar आजादी गर पर्चों से आती तो देश का सपूत यूं मरता ना😠 आजादी गर समझौंतो से आती तो सरहद पर कोई लडता ना😠 आजादी गर चरखे से आती तो क्रांतिकारी फांसी चढता ना😠 आजादी आंदोलन से आती तो अखंडभारत मेरा बंटता ना 😠 मान लिया यूँ आई आजादी तो मौत कुत्ते की तू मरता ना 😠 मान लिया दे दी आजादी तो ये बंटवारा तू करता ना 😠 मान लिया अहिंसक था तू तो लाशों के ढेर लगाता ना 😠 मान लिया महान ही थे तुम तो सड गल के ना मरना था 😠 झूठे थे मक्कार थे तुम तुमको पहले ही मरना था 😠 मुगल संग संताने उनकी ज्वालामुखी में भरना था 😠 रक्षक बोस देश के होते प्रधान पटेल को बनना था 💪 क्रांतिकारी कानून चलाते सनातन को शिक्षा करना था 💪 #ऐंसी_आजादी #Sadharanmanushya ©#maxicandragon आजादी गर पर्चों से आती तो देश का सपूत यूं मरता ना😠 आजादी गर समझौंतो से आती तो सरहद पर कोई लडता ना😠 आजादी गर चरखे से आती तो क्रांतिकारी फांस
आजादी गर पर्चों से आती तो देश का सपूत यूं मरता ना😠 आजादी गर समझौंतो से आती तो सरहद पर कोई लडता ना😠 आजादी गर चरखे से आती तो क्रांतिकारी फांस
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