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Stories related to शाखाएं

    LatestPopularVideo

#राji,,,,💞💞💞💞

पले बढ़े थे बचपन से जिस वृक्ष के छांव तले,

आज उनकी ही बूढ़ी शाखाओं से चुभन हो रहा।

#राji ,,,,💞💞💞 #शाखाएं

Anjali Raj

जड़ें कहीं पे हैं मेरी
शाखाएं कहीं पर
बंटी हूँ खण्डों में न जाने 
कौन मेरा घर #YQbaba #घर #home #स्त्री #YQdidi #अंजलिउवाच #जड़ें #शाखाएं

Aarya Shrivastaw

#cominghome टूटी हुई डाली का दर्द उसकी शाखाएं से पूछो Aarya s.

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Mukesh Poonia

#संबंधों की #गहराई का #हुनर #पेड़ों से सीखे, #जड़ों में #चोट लगते ही #शाखाएं #सूख जाती है..! #विचार

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World Fact

इस इंसान के हाथ और पैर पर उग आती हैं पेड़ जैसी शाखाएं #worldfacts #Shorts #Facts #nojototrendingvideo #Nojotoviralvideo #nojotofacts nojoto #Knowledge #nojotofunnyvideo #funnyviralvideo #facttrendvideo #amazingfunnyvideo

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Aacky Verma

दरख्तो से उजड़ती शाखाएं देखी है हमने बहती उल्टी हवाएं देखी है बेवफाई कर के भी जो वफा का स्वांग रचे ऐसी हमने अदाएं देखी है www.aackyshayari. #Shayari #Bewafai #Wafa #शायरी #गजल

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Aacky Verma

दरख्तो से उजड़ती शाखाएं देखी है हमने बहती उल्टी हवाएं देखी है बेवफाई कर के भी जो वफा का स्वांग रचे ऐसी हमने अदाएं देखी है www.aackyshayari. #Shayari #Bewafai #Wafa #शायरी #गजल

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AB

जड़ माँ है, और शाखा वह अन्य स्त्री जो उसके जीवन का अभिन्न होती है, माँ दरख़्त को जन्म देती है, उसका आधार बनती है, उसे सदैव ही हवा तूफान, चक्रव #alpanas

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पुरुष दरख़्त से होते हैं, और स्त्रियाँ होती हैं सख़्त दरख़्त की जड़ें और शाखाएं ! जड़ माँ है, और शाखा वह अन्य स्त्री जो उसके जीवन का अभिन्न होती है, माँ दरख़्त को जन्म देती है, उसका आधार बनती है, उसे सदैव ही हवा तूफान, चक्रव

Bazirao Ashish

अब मेरा क्या काम रहा? न ही मुझमें प्राण रहा, अब मेरा क्या काम रहा? न हरियाली ना छांव रहा, अब मेरा क्या काम रहा? सूख गई सब शाखाएं मेरी, अब #विचार

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अब मेरा क्या काम रहा?
न ही मुझमें प्राण रहा, 
अब मेरा क्या काम रहा?
न हरियाली ना छांव रहा,
अब मेरा क्या काम रहा?

सूख गई सब शाखाएं मेरी,
अब मेरा क्या काम रहा?
जीवन अब न साथ रहा , 
अब मेरा क्या काम रहा?

जब तक थी मुझमें जान, 
होता छांव में विश्राम रहा,
अब मेरा क्या काम रहा?
ठंड में अलाव व अंतेष्ठी में
जलना मेरा काम रहा, 
अब मेरा क्या काम रहा?

            •शिवम दूबे•

©Bazirao Ashish अब मेरा क्या काम रहा?
न ही मुझमें प्राण रहा, 
अब मेरा क्या काम रहा?
न हरियाली ना छांव रहा,
अब मेरा क्या काम रहा?

सूख गई सब शाखाएं मेरी,
अब

Satya Prakash Upadhyay

जैसे पेड़ की शाखाएं अलग-अलग होतीं हैं, और वो अपने सुविधानुसार जिधर प्रकाश मिलता है उधर बढ़ जातीं हैं परंतु पोषण तो सभी को एक जगह से हीं मिलना #विचार

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जैसे पेड़ की शाखाएं अलग-अलग होतीं  हैं, और वो अपने सुविधानुसार जिधर प्रकाश मिलता है उधर बढ़ जातीं हैं परंतु पोषण तो सभी को एक जगह से हीं मिलना है। ठीक उसी प्रकार जिसकी जैसी मानसिक स्थिति और सोच होती है वो उस मजहब की ओर आकर्षित हो आगे बढ़ता है,
 घर और सामाजिक परिवेश का इसमे विशेष योगदान होता है।
 इसमे कोई बुराई भी नही।
परिस्थिति तब विकट हो जाती है जब ये शाखाएं अपने मूल को भूल आपस मे ही संघर्ष करने पर उतारू हो जातीं हैं,और एक दूसरे को नष्ट करने के चक्कर मे कहीं न कहीं अपने पोषण के आधार को हीं घायल कर रही होतीं हैं।जो शाखा जितनी विशाल और समृद्ध होती है उस पर जिम्मेवारियां भी उतनी ही होतीं हैं।
सभी अपने-अपने मार्गों पर चल कर,
अपने कर्तव्यों का जब तक पालन करेंगे
तब तक चाहे कोई किसी मजहब को माने
कोई समस्या नही आ सकती।
बस मेरी बात हीं सही, बाकी गलत,यही समस्या          
का मूल कारण है।

satyprabha💕 जैसे पेड़ की शाखाएं अलग-अलग होतीं  हैं, और वो अपने सुविधानुसार जिधर प्रकाश मिलता है उधर बढ़ जातीं हैं परंतु पोषण तो सभी को एक जगह से हीं मिलना
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