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लेखन जीवन का आधार जो कराता है मुझे मेरी हकीक़त से रूबरू वो मेरे जीवन का है आधार, शून्य मात्र सा जीवन बिन इसके कराये सम्पूर्णता का है ये एहसास, मेरे हर अनुभव का महत्व लेखन की लिखावट में ढ़ल है जाता, बनकर प्रेरणास्रोत कोरा काग़ज़ रूपी पन्नें पर है उतर जाता, मेरी मानसिकता के सही गलत का निर्णयों का उचित मार्गदर्शी बन मार्गदर्शन लेखन है दिखलाता, मेरे तनावग्रस्त मन में उत्पन्न हर कशमकश भरे प्रश्नों का जवाब ये लेखन है बन जाता, पहला-चरण _लेखन_का_महत्व शीर्षक-लेखन जीवन का आधार विद्या-कविता #HappyBirthdayYQ #HBDYQ #HBDYQ1 #लेखनकामहत्व #विशेषप्रतियोगिता #collabwithक
पहला-चरण _लेखन_का_महत्व शीर्षक-लेखन जीवन का आधार विद्या-कविता #happybirthdayYQ #HBDYQ #HBDYQ1 #लेखनकामहत्व #विशेषप्रतियोगिता collabwithक #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #tarunasharma0004
read moreDeepak Kanoujia
You are title of the story You are story itself hope you will be the end too... #शीर्षक #
#शीर्षक #
read morePushpendra Pankaj
लिखो सदा प्रत्यक्ष लिखो, बंधकर नहीं ,निष्पक्ष लिखो । लोकतंत्र के हम सब प्रहरी, खुलकर अपना पक्ष लिखो ।। पुष्पेन्द्र पंकज ©Pushpendra Pankaj निष्पक्ष लेखन मर्यादित लेखन
निष्पक्ष लेखन मर्यादित लेखन #कविता
read moreShashank Rastogi
अब लिखने का मन नहीं करता लिखते लिखते, आखों से आंसू निकलते लगते है फिर लोग हमें कमजोर समझते है आंसू पोछना तो अब हर कोई भूल सा गया है लोग चिकन, बकरे को जिंदगी की दुआ मांगते है यह इंसानों को इंसानों की परवाह नही रह गई है बिना शीर्षक
बिना शीर्षक
read moreUtkarsh Pathak UTPAL
प्रेम पीड़ा (इश्क़ न करना) ©Utkarsh Pathak UTPAL शीर्षक #brokenwindow
शीर्षक #brokenwindow #शायरी
read moreकवि और अभिनेता हरिश्चन्द्र राय "हरि"
समय बीत जाने के बादl मर्ज़ ..... लाईलाज़ , हो जाता है! समय बीत जानें के बाद l दवा फिर कोई भी, काम नहीं आती! समय बीत जाने के बाद l वक़्त की कर लो कद्र, और समझो कीमत वक़्त की! वर्ना सिर्फ़ और सिर्फ़ पछतावा होगा, समय बीत जाने के बाद l कवि हरिश्चन्द्र राय🔦हरि🔦 मुंबईllमहाराष्ट्रll ©ACTOR HARISHCHANDRA RAI शीर्षक मुक्तक
शीर्षक मुक्तक #कविता
read moreEr. Ambesh Kumar
समन्दर माँ की ममता की भी गहराई न छू पाया, हजारों छन्द लिख तुलसी की चौपाई न छू पाया। मुझे बचपन में पापा ने छुवाई थी जो कान्धे पर, जहाजों से भी उड़कर मैं वो ऊँचाई न छू पाया।। (आदरणीय भइया जी एवं प्यारा भतीजा ) पिता ( शीर्षक)
पिता ( शीर्षक)
read moreArjun Lingayat
भरोसा तो तुम खुद पे करो ओरो से क्या वास्ता रखा है चलना तो तुझे खुद है मंजिल पे फिर भीड से क्यु डरता है शीर्षक.. भीड
शीर्षक.. भीड
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