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Gurudeen Verma
शीर्षक - झूम मस्ती में झूम ------------------------------------------------------- धूम मची है धूम, झूम मस्ती में झूम। खुलकर नच ले, खुलकर मस्ती में झूम।। धूम मची है --------------------।। आ ले ले मजा, तू इस जिंदगी का। कर ले थोड़ा नशा, तू दीवानगी का।। ऐसे नहीं उदास हो, तुझमें बहुत है दम। खुलकर नच ले, खुलकर मस्ती में झूम।। धूम मची है ---------------------------।। क्यों अकेला वहाँ है, शामिल महफ़िल में हो जा। जीना नहीं है गमों में, काबिल हस्ती में हो जा।। पौंछ आँखों के आँसू , और भूला दे तू गम। खुलकर नच ले, खुलकर मस्ती में झूम।। धूम मची है -----------------------------।। अपने कर्मों से हम, नयी इबारत लिख दें। दिल जो टूटे हुए हैं, उनमें हिम्मत भर दें।। प्यार से यहाँ रहे, आवो मिलकर हम। खुलकर नच ले, खुलकर मस्ती में झूम।। धूम मची है--------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ साहित्यकार तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #झूम मस्ती में झूम
Ankur Mishra
दो घुट मुझे भी भी पीला दे मैं भी तो देखूँ झूम के सुना है सब भूल जाते हैं इसके बड़े फायदे हैं आज मैं भी देखता हूँ लबों से मय लगाके मुझे भी भुलना है खुद को और बिति यादों को सुना है दर्द बड़ा देतीं हैं आज मय लगा के लबों से उन यादो को भी ज़रा झूमने पे मजबूर करते हैं ©Ankur Mishra #झूम #worldpostday
कवि मनीष
आया सावन झूम के, हरी-हरी धरती गाये घूम-घूम के, आया सावन झूम के, शिव,शंकर,शंभु की टोली आई, झूम-झूम के, आया सावन झूम के,
आया सावन झूम के, हरी-हरी धरती गाये घूम-घूम के, आया सावन झूम के, शिव,शंकर,शंभु की टोली आई, झूम-झूम के, आया सावन झूम के, #कविमनीष
read moreSmita Jain
🌦️🌦️🌦️ आया सावन झूम के🌦️🌦️ जब-जब पड़ी बूंदे पानी की जमीं पर यूं लगा सावन की बूंदों ने दस्तक दी हो मुरझाई सी, अलसाई सी बेलो को, लताओं को हरितमा के आंचल से ढक दिया बरस कर ⛈️⛈️⛈️⛈️🌿🌿🌿🌿🌳🌳🌳☘️⛈️⛈️ गूंजने लगा बारिश की टिमटिमाहट का गुंजन मेंढकों की टर्र -टर्र और झीगुरों के आहटों से प्रकृति का मद्धिम कर्णप्रिय संगीत का जादू झरनों का कलरव देने लगा आमंत्रण पर्यटकों को 🐸🐸⛈️⛈️💫💫🐊🐊🐲🐲🦎🦎🐍🐍 भीगने लगे तन बदन ,मन की पीड़ाओं से परे होकर डोलने लगे छाते, रेनकोट, गली-गली, चौराहों पर मिट्टी से दूषित हो सनने लगे हाथ पैर चलने लगी नावें नवनिहालों की कागज की घरों के बाहर ☔☔☔🌾🌾🌾🌌🌌🌙🌌🌦️🌦️🌥️🌃 करने लगे लुकाछिपी सूरज -चंदा बादलों की ओट में ढलने लगी सुरमई शामें सुनहरी धूप से बेचैनी से करने लगा मन इंद्रधनुष का इंतजार घरों की मुंडेरों और छतों पर जाकर 🌤️🌤️🌤️🌙🌙🌌🌌🌌🌈🌈🌈🌓🌔🌗 बजने लगे मंदिरों में घंटे ज़ोर ज़ोर से उठने लगी मंत्रों के जाप गली- गली मोहल्लों में स्थापित होने लगे चतुर्मास देवताओं और गुरुओं के होने लगी शुद्धि यज्ञ कुंडों के घी -हवन सामग्री से 🌠🌠🔥🔥💮💮🌋🎠🎪🎪🛕🛕🛕🗿 घरों की चौखटों पर टकटकी लगाकर बाट जोहति बिरहनो की खातिर होने लगी वापसी परदेसियों की मेहंदी,महावर की लालिमा से सजने लगे हाथ-पैर भाइयों की कलाई करने लगी बहनों की राखी का इंतजार 💕💕💞💞💘💘♥️♥️❤️❤️💞💕💌💖 यूं लगने लगा सावन की बूंदों ने प्रकृति संग जैसे हर जीव को अपने संपूर्ण वरदान से आर्शीवादित कर दिया गर्मी के अभिशाप से मुक्त कर दिया हो जीवन की संपूर्णता का एहसास कराता आया सावन झूम के 💖💖💕💕🌈🌈🌦️🌦️🌾🌾🛕🛕💖💖 #स्मिता जैन छतरपुर मध्य प्रदेश ©Smita Jain आया सावन झूम के
आया सावन झूम के #स्मिता
read more( prahlad Singh )( feeling writer)
ll कभी रखती है सिर गोद में तो कभी माथे को चूम लेती है इतनी है पागल प्यार में की बाहों में झूम लेती है ll ©( prahlad Singh )( feeling writer) झूम लेती है#Hum
झूम लेती हैHum #Shayari
read moreVikas sharma
सुकूँ की तलाश में सुकूँ खो रहे...हम फकीरा मस्ती में झूम रहा भूल के सारे ग़म ©Vikas sharma #Happy झूम मस्ती में
writer shashi dwivedi
ये धरती ये अम्बर ये सावन घटायें नदियों की कलकलाहठ । पंछियों की गुनगुनाहट बादल छाये है काले-काले कितनी सुहावन हैं घनघोर घटायें।। ये धरती ये अम्बर ये सावन घटायें बारिश की फ़ुहार छाया हैं गुमार चारों तरफ है हरियाली कोयल की है गीत प्यारी ।। ये धरती ये अम्बर ये सावन घटायें मोर पंख फैलाये । मेढ़क भी गीत सुनाये चारों तरफ है खुशहाली अम्बर में है बादल छाये मेघों की है मनमानी ।। ये धरती ये अम्बर ये सावन घटायें -Shashi Dwivedi सावन आया झूम के
सावन आया झूम के
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