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Abundance
#चींटी और गहनता..... अंतिम पंक्ति के आगे... तो साहित्य की मिठास ख़त्म हो जाती.. मुझे माफ़ करना मै सबको रिपोस्ट करुँगी पर मानसिक दूषित विचारधारा को नहीं...अपनी बातो में कुछ ऐसे शब्द और को और अर्थ को छोड़ रही हूँ जो समझदार लोग ही समझ पाएंगे.....यहाँ किसने क्या ढोया वो उन रीडर्स के लिए जो जड़ की समझ रखते.... ©Mallika #चींटी
रिंकी✍️
चींटी रानी बहुत मेहनती कभी न हारे , कभी न थकती जब तक है जिंदगी उसकी कर्म से पीछे कभी न हटती मुश्किलों से डट कर लड़ती कोशिश से वो कभी न डरती दृढ़ संकल्प की वो है मूर्ति मेहनत से वो आगे बढ़ती एकता की मिशाल है वो साथ लिए वो सबको चलती कठनाइयों में भी चट्टान बने वो संघर्षो में भी धैर्य धरती बिना रुके वो , बिना झुके चलती रहती बस चलती रहती ✍️ रिंकी "चींटी रानी बहुत मेहनती" चींटी का जीवन हमे बहुत कुछ सिखाता है #ज़िन्दगी #यकदीदी #यकबाबा
BANDHETIYA OFFICIAL
कभी -कभी ही हवा जैसे तूफां होती, बालने,जलाने, बुझाने का सामां होती । अक्सर होती है हवा लौ को संजीवनी, जीवन आक्सीजन,जिंदगी आसां होती। ये जो लो, पर हुए हैं चींटी के, संजीदा हो, चींटी मिट जानी कि खुद में नादां होती। ©BANDHETIYA OFFICIAL #चींटी के पर!
mr.salim
चींटी चढ़ी पहाड़ मे मरने के बास्ते पहले तो लड़कियां हि फैशन करती थी अब बुढ़िया भी फैशन कर ने लगी बूढढो के बास्ते चींटी चढ़ी पहाड़ मे
चींटी चढ़ी पहाड़ मे
read moreप्रभाकर अजय शिवा सेन
रेत में गिरी शक्कर चींटी तो उठा सकती है दोस्तों मगर हाँथी नही इसलिए छोटे आदमी को छोटा ना समझें कभी-कभी छोटा आदमी भी बड़ा काम कर जाता है। शुप्रभात दोस्तों ©प्रभाकर अजय शिवा सेन रेत में गिरी शक्कर चींटी तो उठा सकती है दोस्तों।
रेत में गिरी शक्कर चींटी तो उठा सकती है दोस्तों। #Life
read moreEk villain
आलस्य के कारण अपने ग्रैंडपा की दुर्दशा देख आज का टेंडर स्टेशन जा रहा था तो गुड़ बनाने की इसमें भी खानदानी रावता के कारण सांस लेते हुए गुण गुना का पूरा मन कर रहा था लेकिन उसे अपने पूर्वजों की तरह भूख से मरना भी नहीं था उन्होंने नैतिक शिक्षा की कहानी में पढ़ रहा था ताकि हमें पूर्वजों की गलती से सबक लेना चाहिए उसने ठंड में कमर कसी और बड़ा बरात की कठिन दिनों को सरल बनाने के निकल गया उसने सोचा कि चलो तथागत ही मेहनती के बाद एक चींटी से भी कोई टिप्स ले जाए तभी उसने पीछे से किसी की गुनगुनाने की आवाज सुनाई पड़ी उसने पलट कर देखा तो एक चींटी बाकायदा काला चश्मा लगाए और कानों में हेडफोन लगाए अति रिलैक्स मूड में बैठी हुई बादशाह के गाने के ना रही थी उसके स्वागत विशेषता के विपरीत इस कदर चिंता मुक्त बैठकर बोला क्या बात है छोटी बहन मुझे तो लगता है इसे तुम उल्लू के बैल में माफिया उस समय के अनाज इकट्ठा करने में लगी रही हो पर तुम बिल्कुल सत्ता पक्ष की विधायक की तरह इंजॉय कर रही हो क्या तुम भविष्य की चिंता नहीं है चलो अभी तक समय में मेरे साथ थोड़ा अनाज इकट्ठा कर लो टुडे का दुख पूर्ण समाप्त होने के बाद सिटी बोली यही समस्या है तुम तीनों की जहां और जब मेहनत करनी चाहिए तब नहीं करते हो चाहे तुम बोल रहे हो कि अब जंगल में प्रजातंत्र का अचानक टिंडा आश्रय देकर होकर बोला प्रजातंत्र आ चुका है मुझे भी मालूम है लेकिन उसमें काम चोरी और मेहनत के बजाय रिलैक्स रहने की बात कहां से आ गई मेरे भोले भाई यह तो तुम नहीं समझ पा रहे हो यह गीदड़ और भेड़िया जैसे लोग तक सत्ता पाने के लिए मुफ्त में सब कुछ लुटा दे रहे हैं ©Ek villain #चींटी टिड्डा और प्रजातंत्र #Nofear