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Stories related to 'गुरु के ऊपर शायरी'

Surinder Kumari

गुरु Mahima# गुरु पर्व

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नानक नाम चढदी कला
तेरे भाने सरबत दा भला

©Surinder Kumari गुरु Mahima# गुरु पर्व

Dinesh Sharma Jind Haryana

#गुरु

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गुरु वही है जो  गुरु वही श्रेष्ठ है जिसकी प्रेरणा से चरित्र श्रेष्ठ हो जाए

©Dinesh Sharma Jind Haryana #गुरु

वैभव जैन

#मम गुरु

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Red sands and spectacular sandstone rock formations मम गुरु
श्री विद्या सिंधु के परम पथ अनुयायी
              ज्ञान गंगा धार से सतत करते प्रकाश
जिनके पाद पद्म में मिले मुझे दिव्य राह
      गुरु प्रशस्त चरण में वैभव का बारम्बार प्रणाम
  मेरे उर मे आ बसो मेरे ईश्वर सम गुरु
  'वैभव'  को न राखियो अपनो से दूर

©वैभव जैन #मम गुरु

वैभव जैन

#मम गुरु

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मम गुरु
स्वार्थ तज परमार्थ बताया युग से भरा द्वेष मिटाया
सत कर्मों के पंथ बताए दिव्य गुरु को प्रणाम हमारा

©वैभव जैन #मम गुरु

वैभव जैन

#गुरु विद्या गुरु

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मम गुरु विद्या गुरु
विद्यागुरु के गुण ग्रहण,लघुता रखो स्वयं भरपूर.
लघुता से प्रभुता मिले,आशीष मिल रहा भरपूर.
विद्यागुरु जी साधे जग के, साधन सभी असाध्य.
 गुरु-पूजन, गुरु-वंदना,आप ही है परम आराध्य.

©वैभव जैन #गुरु विद्या गुरु

वैभव जैन

#विद्या गुरु

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मम गुरु विद्यागुरु 

गुरु सूर्य है बड़े अम्बर से है वो विशाल.
गुरु गरिमा से नहीं है कोई बड़ा आकार.
पल पल हमको गढ़ रहे, मूरत होती तैयार
विद्यागुरु का सान्निध्य ही हैं बड़ा उपहार.

©वैभव जैन #विद्या गुरु

Satish Kumar Meena

गुरु

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Mukesh kolasariya

#गुरु

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White  सच्चा गुरु 

सच्चे गुरु की पूरी महिमा 
का गुणगान करना इस
नश्वर जिह्वा के वश में नहीं 
उनकी डांट में भी हमारी भलाई 
छिपी है वो हमारे साथ नहीं 
होकर हमारे साथ है,
पर सच्चा गुरु किस्मत वाले को 
और बोहोत पुण्य से मिलते हैं!

©Mukesh kolasariya #गुरु

Singer Harshit Rajasthani

गुरु वंदना

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Akriti Tiwari

वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी

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White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द 


जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप 
इंसानों के काम आता हूं। 


अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, 
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर 
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो 
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं 


बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, 
फिर भी मेरी जरूरत  समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है 


मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, 
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी 
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो 
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी 
करोगे मेरी देखभाल तो, 
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l

©Akriti Tiwari वृक्ष के ऊपर कविता।  प्रेरणादायी कविता हिंदी
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